खंडवा के 8 दर्शनिय स्थल और मौज मस्ती करने की शानदार​ जगह

मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने खंडवा में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई पर्यटन स्थलों का निर्माण किया हैं.जो इन दिनों आसपास ही नहीं दूर दराज के लोगों कि भी पसंदीदा जगह बनती जा रही हैं. इस लेख में हम आप लोगों को खंडवा के दर्शनिय स्थल के बारे में बता रहे हैं.

जहां पर घूमने फिरने और मौज मस्ती करने के लिए प्रतिदिन लोगों का आना जाना लगा रहता हैं.खंडवा मध्यप्रदेश के इंदौर संभाग में आने वाला एक जिला हैं. जो हरदा,देवास और बुरहानपुर का पड़ोसी जिला हैं.

खंडवा निकट बहती हुई नर्मदा नदी कि सुंदरता और पवित्रता ने जिले में पर्यटन के लिए कई रास्ते खोले हैं.तो आइए विस्तार से जानते है खंडवा जिले के पर्यटन स्थल के बारे में.

अनुक्रम​

खंडवा के दर्शनिय स्थल| Best Tourist Places in Khandwa

1.खंडवा के दर्शनिय स्थल- दादाजी धुनीवाले

खंडवा जिला घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों कि सबसे पहली पसंद दादाजी धुनीवाले का मंदिर होता हैं. क्योंकि यह खंडवा शहर में मौजूद सबसे पूराना और प्रसिद्ध मंदिर माना जाता हैं. यह मंदिर धुनीवाले बड़े और छोटे दादा जी को समर्पित है जिन्होंने अपना पुरा जीवन लोगों कि सेवा में लगा दिया था.

बड़े दादाजी ने 3 दिसम्बर 1930 को व छोटे दादाजी ने फरवरी 1942 में समाधी ली थी.धुनीवाले दादा जी का मंदिर खंडवा शहर में रेलवे और बस स्टैंड से 3 किलोमीटर कि दूरी पर पश्चिम में मौजूद हैं.

मंदिर का प्रथम प्रवेश द्वार 1 किलोमीटर पहले ही बाबा अंबेडकर चौराहे पर दिखाई देता हैं.यह प्रवेश द्वार 50 फिट ऊंचा है जिसके ऊपर तीन मंदिर बने है जिसमे बीच के मंदिर में माँ दुर्गा देवी कि मुर्ति और दाएं में बड़े दादा जी व बाएं में छोटे दादा जी कि तस्वीर लगी हुई हैं.

धुनीवाले दादा जी मंदिर का मुख्य द्वार दीपक कि ज्योति के समान बनाया गया हैं. जिसमे से अन्दर जाने पर सबसे पहले आपको बडे दादा जी का मंदिर दिखाई देता हैं. जिनके सामने एक गोलाकार कुंड बना हुआ है जिसमे श्रीफल कि आहुति दी जाती हैं.

इस गोलाकार कुंड के सामने से ही बड़े दादा जी के दर्शन कर सकते हैं.बडे दादाजी के मंदिर के निकट ही छोटे दादाजी का मंदिर बना हुआ है जहां पर उनकी समाधी हैं.करीब 50 एकड़ में फैले हुए इस मंदिर में देखने के लिए रथ घर​,अमुल्य दर्शन​,श्री हरि भवन और मिलन स्थल जैसी कई अच्छी जगह हैं.

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दादाजी धुनीवाले मंदिर के अन्य दर्शनिय स्थल​

इस मंदिर परिसर में देखने के लिए कई दर्शनिय स्थल हैं. जहां से आपको दादाजी के जीवन से जुड़ी हुई कई जानकारी देखने और पढ़ने को मिलती हैं.इसलिए इन जगहों को काफि संरक्षित करके रखा हुआ हैं.

दादाजी धुनीवाले का रथ घर​

बड़े दादाजी और छोटे दादाजी के मुख्य मंदिर के बाएं तरफ रथ घर नाम से एक संग्राहल बना हुआ हैं.अर्ध चंद्र आकार में बने हुए इस रथ में आपको बड़े और छोटे दादाजी के आवागम के कई साधन देखने को मिलते हैं.

इस रथ में गाड़ी बैल​,घोड़ा गाड़ी,कार और गाड़ी में हवा भरना का पंप जैसी कई पूरानी व ऐतिहासिक चीजें रखी हुई हैं.

रथ में रखी हुई बड़े दादाजी और छोटे दादाजी कि कार देखकर आपको अंग्रेजों का दौर याद आ सकता हैं. जो उस समय में इस तरफ कि कार का उपयोग करते थे.यदि आप अंग्रेजों के दौर कि कार देखनी है तो यह जगह आपके लिए बेहद शानदार हैं.

दादाजी धुनीवाले का अमूल्य दर्शन​

अमूल्य दर्शन में भी आपको बड़े और छोटे दादाजी के जीवन काल के दौरान के कुछ अमूल्य चीजों के दर्शन होते हैं.अमूल्य दर्शन, रथ घर के बाएं तरफ गेट नंबर 4 के निकट बना हुआ हैं.

इसमे प्रवेश करने के लिए अपको प्रथम द्वार और बहार निकलने के लिए निकास द्वार मिलता हैं.अमूल्य दर्शन इस मंदिर कि वह खास जगह है जो दादाजी के इतिहास और दैनिक जीवन से जुड़ी हैं.

यहां पर आपको बड़े और छोटे दादाजी कि वे चीजें देखने को मिलती है जिनका वे रोजाना उपयोग करते थे.इसमे उनके बिस्तर​,तकिया,कपड़े,संगीत वादन​,टोपी,पंखा,जूते-चप्पल और कुर्सी जैसी कई चीजें देखने को मिलती हैं.

दादाजी धुनीवाले का श्री हरि सागर​

नाम पढ़कर आप शायद आप लोगों को यह लग रहा होगा कि इस मंदिर के निकट कोई सागर या तालाब होगा.लेकिन ऐसा नहीं है दरअसल श्री हरि सागर के नाम यह यहां पर कुँआ हैं. यह कुँआ गेट नंबर 4 से 100 फिट कि दूरी पर​ हैं.

श्री हरि सागर यानी कुँएं के निकट बने हुए चबुतरे पर बड़े और छोटे दादाजी स्नान किया करते थे.इस कुँए और स्नान करने वाली जगह को जाली से बंद कर दिया गया है जिन्हें आप बहार से ही देख सकते हैं.वर्तमान में इस कुँए के पानी का उपयोग ही मंदिर परिसर में पीने के और अन्य कामों में आता हैं.

दादाजी धुनीवाले का मिलन स्थल​

मंदिर के गेट नंबर 3 से जैसे ही आप बहार निकलते है तो सबसे पहले आपको मिलन स्थल ही नजर आता हैं.मिलन स्थल में दो प्रवेश द्वार है जिनमे पहला द्वार अपको गेट नंबर 3 से दिखाई देता है तो वही दूसरा पूर्व कि तरफ हैं.

मिलन स्थल में दाएं तरफ कि दिवार पर बड़े व छोटे दादाजी कि तस्वीरें लगी हैं. जिनके सामने बैठकर लोग शांन्ति के किर्तन करते हुए नजर आते हैं.यहां का वातावरण बेहद साफ सुथरा और मधुर संगीत से सजा हुआ बेहद शानदार लगता हैं.

दादाजी धुनीवाले मंदिर खुलने का समय​,पूजा का समय और अन्य दैनिक कार्यक्रम​:

॥जय श्री दादाजी की॥
प्रात​:काल 4 बजे से 5 बजे तक श्री गणेश व नर्मदा जी के जल से स्नान..(प्रवेश बंद​)
प्रात​:काल 5 बजे 5:30 तक मंगल आरती।
सुबह 7:30 बजे से 9:15 तक बड़ी आरती।
सुबह 9:30 बजे से 10:00 बजे तक समाधी सेवा (प्रवेश बंद​)
दोपहर 4 बजे से 5 बजे तक श्री गंगाजी व नर्मदा जी के जल से स्नान..(प्रवेश बंद​)
सायंकाल 5 बजे से 5:30 बजे तक छोटी आरती।
रात्रि 7:30 से 9:15 बजे तक बड़ी आरती।
रात्रि 9:30 बजे से 10:00 बजे तक समाधी सेवा..(प्रवेश बंद​)
विशेष कार्यक्रम​
श्री दादाजी कि समाधियों की मालीश​
दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक..(प्रवेश बंद​)
श्री दादाजी कि समाधियों का अभिषेक​
दोपहर 3:30 बजे से 5 बजे तक..(प्रवेश बंद)
श्री सत्यनारायण भगवान की कथा, सांय 6 बजे से 7 बजे तक​
मंदिर के दैनिक कार्यक्रम​

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दादाजी धुनीवाले के मंदिर कैसे जाएं

खंडवा शहर के बस व रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर कि दूरी पर पश्चिम कि तरफ बाॅम्बे बाजार और अंबेडकर चौराहे से होते हुए.

दादाजी धुनीवाले के मंदिर में रूकने के लिए आवास​:

मंदिर परिसर में लोगों के ठहरने के लिए “भक्त निवास” उपलंब्ध है जो मिलन स्थल के निकट में मौजूद हैं.

आवास स्थानअग्रिम राशि
Advance
शुल्क​
Room Charge
कमरे में मिलने वाली सुविधाएं
AC कमरे 2 बेड​
कूलर रूम​
भक्त निवास​
20*20 हाॅल सामुहिक आवास​
2000/-
1000/-
500/-
1000/-
1000/-
500/-
300/-
500/-
2 बेड सुविधाएं
3 बेड सुविधाएं
3 व्यक्तियों के लिए
कामन शौचायल एंव लाॅकर की सुविधा
भक्त निवास में रूकने का आवास शुल्क​

2.खंडवा के दर्शनिय स्थल- श्री तुलजा भवानी मंदिर​

दादाजी धुनीवाले मंदिर से 200 मीटर कि दूरी पर तुलजा माता मंदिर है जो कि खंडवा में बेहद प्रसिद्ध माना जाता हैं.इस मंदिर का प्रवेश द्वार ही इसके आकर्षण कि वजहों में शामिल हैं. मंदिर का मुख्य द्वार दो विशाल शंख से बनाया गया हैं.

तुलजा भवानी के मंदिर परिसर में 21 फिट उँचा एक विशाल स्तंभ हैं. जिसमे सैकड़ों दीपक​ रखे हुए है और एक बड़ा दीपक​ स्तंभ के सबसे ऊपर रखा हुआ हैं.नवरात्रि के पर्व पर इन सभी दीप​ को जलाया जाता है तो पूरे मंदिर परिसर को रोशनी से जगमगा देता हैं.

इस स्तंभ के निकट में ही साहिब जी का गुरूद्वारा है जिनके दर्शन के बाद मंदिर में प्रवेश किया जाता हैं.माता जी के मंदिर में उनकी एक खुबसूरत प्रतिमा विराजमान हैं. इस प्रतिमा को पुजारी के द्वारा सुबह​,दोपहर व शाम को सजाया जाता हैं.

तुलजा माता का सिहासन व द्वार चाँदी से निर्मित है जिनके ऊपर हाथी,सूर्य और अन्य फूलों कि आकृति बनी हुई नजर आती हैं. मंदिर के अन्दर के ऊपरी छत को रंग बिरंगे काँच से डिजाईन किया गया है जो रात्रि में दीए कि रोशनी में बेहद सुंदर दिखाई देते हैं.

माताजी के मंदिर के निकट ही रामेश्वरम महादेव का मंदिर भी है जिसमे भगवान शिव कि एक 2 फिट ऊँची शिवलिंग स्थापित है जिसके चारों तरफ नाग देवता लीपटे हुए नजर आते हैं.इस शिवलिंग के सामने ही एक मंदिर में राम​,सीता व लक्ष्मण कि प्रतिमा विराजित है.इस पूरे भव्य मंदिर में भगवान शिव​,राम​,सीता व लक्ष्मण सभी विराजमान है जिसकी वजह से इसे रामेश्वरम महादेव का मंदिर कहां जाता हैं.

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3.खंडवा के दर्शनिय स्थल- किशोर कुमार स्मारक​

भारत में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसने किशोर कुमार के गाने नहीं सुने हो या उनके बारे में नहीं जानता हो.किशोर कुमार भारतीय सिनेमा के मशहूर गायक​,अभिनेता और फिल्म निर्माता थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में जलती का नाम गाड़ी, पड़ोसन, मन मौजी और प्यार दीवाना जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया व गीत गाए.

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा व मृत्यु 13 अक्टुबर 1987 को मुंबई में हुई थी.उनकी यह इच्छा थी की उन्हें मरने के बाद उनके जन्म स्थान खंडवा में ही जलाया जाए.

किशोर कुमार स्मारक में दो प्रवेश द्वार बने हुए और सामने पार्किंग स्थल है जो कि खुले मैदान में हैं. इस स्मारक का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थर से किया गया है.यह त्रिशुल के समान तीन नोकदार भुजाओं के रूप में बना हुआ हैं. जिसके अन्दर पीले रंग की पत्थर की एक 6 फिट शिला है जिस पर किशोर कुमार चित्र बना हुआ हैं.

स्मारक के दोनों तरफ छोटे-छोटे गार्डन बने हुए है जिनमे कई दुर्लभ पेड़ व फूलों के झाड़ लगे हुए हैं. यहां पर प्रतिवर्ष अशोक कुमार के जन्मदिवस व पुर्णतिथि पर कई सांस्कतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है जिनमे शहर के अलावा दूर​-दूर के प्रसंशक शामिल होते हैं.

4.खंडवा में मौज मस्ती करने की जगह​- नागचून लेक

नागचून लेक खंडवा शहर से उत्तर कि तरफ 5 किलोमीटर कि दूरी पर मौजूद हैं.लेक का मुख्य प्रवेश गेट 50 फिट ऊँचा है जो कि गोलाकार 4-4 स्तंभ के ऊपर खड़ा हैं. इसके ऊपर द्वीप के समान डिजाईन बनी जिस पर अटल सरोवर लिखा हैं.

जैसे ही आप इस लेक में प्रवेश करते है तो सबसे पहले आपको दाएं तरफ एक तालाब नजर आता हैं. जिसमे कई खूबसूरत बतख इसमे मस्ती करते हुए और घूमते हुए नजर आते हैं. इस तालाब के निकट ही एक टाॅय ट्रैन है जो खासकर बच्चों के लिए हैं.

यह ट्रैन बच्चों को उस तालाब के चारों तरफ गोल घूमाती हैं. इस तालाब के आसपास छोटे बड़े कई गार्डन देखने को मिलते है जिसमे बच्चों के लिए झूले,लटकनी,ट्रैकिंग चैन और बैठने के लिए गोलाकार चबुतरे बने हुए हैं.

इस पार्क को देखने पर लगता है कि इसे बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं. क्योंकि इसमे उनके मनोरंजन के लिए लगभग सभी चीजें देखने को मिलती हैं.पानी के गोलाकार फव्वारें, पत्थर से बनी हुई मछली, तालाब पर जाने के के लिए ब्रिज जैसी कई अच्छी आकृर्षण चीजें हैं.

पार्क से उत्तर कि तरफ जाने वाली सिड्डियां आपको सीधे लेक पर लेकर जाती हैं.इस लेक को घुमने के लिए इसके किनारे 1 किलोमीटर का रास्ता बनाया गया हैं. जहां से आप इस लेक कि सुंदरता का नजारा देख सकते हैं.

लेक का सुंदर नजारा देखने के लिए एक दर्शनिय पांइट भी बनाया गया है जो इस रोड़ से 30 फिट के ब्रिज से जुड़ा हुआ हैं. लाइट हाउस की तरह बने हुए इस दर्शनिय पांइट के किनारें पर सुरक्षा के लिए रेलिंग लगाई गई हैं. यह दोस्तों व परिवार के साथ घूमने के लिए शहर कि सबसे अच्छी जगह में शामिल हैं.

नागचून लेक के मुख्य आकृर्षण​

वैसे यदि देखा जाए तो यह सम्पूर्ण लेक घुमने के लिए बेहद शानदार हैं. लेकिन फिर भी हम यहां पर मौजूद कुछ खास चीजों के बारे में बता रहे हैं जो यहां कि पसंदीदा जगह हैं. यदि आप लेक घूमने के लिए जाते है तो आपको इनका आनन्द जरूर लेना चाहिए.

नागचून लेक की टाॅय ट्रैन​

नागचून लेक में मौजूद टाॅय ट्रैन बच्चों के आकृर्षण का मुख्य केंन्द्र हैं. इस ट्रैन में चार डिब्बें बने हुए है जिनमे आमने सामने दो-दो बच्चे बैठ सकते हैं. यह ऊपर से खुली है जिसकी वजह से इसमे से बहार का नजारा देखा जा सकता हैं. ट्राॅय ट्रैन एक गोलाकार तालाब कि किनारें चलाई जाती हैं.

इस ट्रैन के इंजन को देखकर आपको पूराने समय में कोयल से चलने वाली ट्रैन कि याद आ सकती हैं. यह ट्रैन दिखने में जितनी छोटी है यह उतनी ही खुबसूरत है इसलिए यहां पर आने वाले बच्चें इसमे बैठे बिना मानते नहीं हैं.

नागचून लेक का दर्शनिय पांइट​

नागचून लेक के खूबसूरत नजारों को देखने के लिए यहां पर एक दर्शनिय पांइट बनाया गया हैं. इसके ऊपर लाईट हाउस कि तरह एक 20 फिट ऊंची मीनार है जिसके ऊपर चढ़कर लेक को दूर​-दूर तक देखा जा सकता हैं.

गोलाकार मीनार के ऊपर छतरी कि तरह एक झोपड़ी बनी हुई है जो सम्भवतः बारिश व धूप से बचने के लिए बनाई गई हैं. इस दर्शनिय पांइट में प्रवेश करने के लिए सड़क के किनारें काले रंग का एक गेट है जो बाहर कि तरफ खुलता हैं.

नागचून लेक का पुरातत्व संग्रहालय

गाॅर्डन में बने हुए तालाब से 20 फिट कि दूरी पर निकासी द्वार के पहले पुरातत्व संग्रहालय मौजूद हैं. इस संग्रहालय में आपको कई देवी देवताओं कि पत्थर से बनी हुई अति प्राचीन मुर्तियां देखने को मिलती हैं.

पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद कई मुर्तिया है कि काफि हद तक विकृत हो चुकी हैं. संग्रहालय में गणेश जी,हनुमान जी,काली देवी व बौद्ध भगवान कि मुर्तियां देखी जा सकती हैं. पत्थर को तराशकर बनाई गई इन मुर्तियों से इनकी प्राचीनता व शैली का अनुमान लगाया जा सकता हैं.

नागचून लेक खुलने का समय​:

रोजाना 09:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक​

नागचून लेक कैसे जाएं :

यह लेक खंडवा शहर से उत्तर कि तरफ 5 किलोमीटर कि दूरी पर हैं. नागचून लेक पर जाने के लिए आपको खंडवा से कार और टैक्सी किसी भी समय मिल जाती हैं.

नागचून लेक में प्रवेश टिकट एंव पार्किंग टिकट​:

10 रूपये प्रति व्यक्ति और 10 रूपये प्रति वाहन​

5. खंडवा के दर्शनिय स्थल- नवचण्डी मंदिर

मैंने अपनी यात्राओं के दौरान वैसे तो कई खूबसूरत और अनौखे मंदिर देखे है लेकिन इस तरह सुंदर रंग से रंगा हुआ मंदिर पहली बार देखा हैं.इस मंदिर के बारे में पहले कुछ लोगों से थोड़ा बहुत सुना था लेकिन देखने पर यह मेरी कल्पना से कहीं अधिक अच्छा रहा हैं.मुझे इस मंदिर तक जाने का रास्ता नहीं पता था लेकिन कुछ लोगों से जानकारी लेते हुए मैं यहां तक पहुंचा था.यह मंदिर खंडवा शहर के मुंदी मार्ग पर आनंद नगर में मौजूद हैं.

वैसे तो यह मंदिर परिसर पूरी तरह से खुला हुआ है लेकिन फिर भी यहां पर प्रवेश करने के लिए एक विशाल द्वार बना हुआ है जिसे सिंह द्वार के नाम से जाना जाता हैं.लगभग 35 फिट ऊंचे इस सिंह द्वार के दोनों तरफ दो शेर खड़े हुए है शायद इसी लिए इसे सिंह द्वार कहां जाता हैं.वहीं इस द्वार के ऊपर तीन मंदिर बने है जिसमे बीच के मंदिर में माँ दुर्गा देवी शेर पर विराजमान है तो वही दाएं तरफ हनुमान जी कि प्रतिमा है और बाएं तरफ माँ कालीजी कि प्रतिमा मौजूद हैं.

सिंह द्वार से प्रवेश करने के बाद सबसे पहले आपको भैरव बाबा के दर्शन होते है जिनका मंदिर एक पीपल के पेड़ के नीचे गोलाकार आकृति में बना हुआ हैं.भैरव बाबा के मंदिर के निकट ही नवचंडी माँ का मंदिर बना हुआ हैं.नवचंडी माँ का मंदिर दो मंदिर को मिलाकर बना हुआ है जिसमे प्रथम मंदिर बड़ा है जिसे चंडीश्वर मंदिर व दूसरा मंदिर छोटा है जिसे चंडी मंदिर के नाम से जाना जाता हैं.

भगवा रंग में रंगे हुए इन दोनों मंदिरों में प्रवेश के लिए दो अलग​-अलग द्वार बनाए ग​ए हैं.इन दोनों मंदिर के सामने शीतला माता का मंदिर भी है जिसमे पत्थर से निर्मित माता कि एक सुंदर मुर्ति स्थापित है और उनके दाएं में चौसठ जोगन देवी व बाएं तरफ शैल पुत्री देवी कि मुर्ति स्थापित हैं.यह संपूर्ण मंदिर 4 एकड़ में फैला हुआ है जिसमे मंदिर के अलावा सांस्कतिक कार्यक्रम के लिए मंच​, लोगों के लिए बैठक हाल व प्रसाद कि दुकाने बनी हुई हैं.

इस मंदिर के विषय में कुछ स्थानिय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार यहां पर प्रतिवर्ष बंसत पंचमी के दिन से श्री हनुमान जयंती तक 2 माह के विशाल मेले का आयोजन किया जाता हैं.इस मेले के दौरान चंडी महायज्ञ​,गम्मत प्रतियोगिताएं,होली पर्व​,राई लोक नृत्य​,देवी जागरण​,सुंदर काण्ड और कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमे न सिर्फ स्थानिय बल्कि अन्य शहरों के लोग भी यहां पर आते हैं.

मंदिर के प्रांगण में बैठे एक व्यक्ति ने बताया कि नवरात्रि के पर्व पर भी मंदिर को लाईट और फूलों से सजाया जाता हैं व प्रतिदिन भजन किर्तन किए जाते हैं.इस मंदिर का शांत वातारण और सुंदरता देखते ही बनती है इसलिए मुझे भी यहां पर घूमने में काफि समय लग गया था.

नवचंडी मंदिर कब जाएं:

सप्ताह में किसी भी दिन​

नवचण्डी मंदिर खुलने का समय​:

सुबह 09:00 बजे रात्रि 9:00 बजे तक​

नवचण्डी मंदिर में पूजा का समय​:

सुबह और शाम

नवचण्डी मंदिर का पता:

खंडवा शहर में पुनासा मार्ग पर ब्लू बुड्डा माल के दाएं तरफ आनंद नगर

नवचण्डी मंदिर के विशेष कार्यक्रम व त्यौहार​:

होली,दीपावली,नवरात्रि व फरवरी से अप्रैल तक लगने वाला विशाल मेला

मंदिर घूमने में कितना समय लगता है:

लगभग 30 मिनट​

नवचण्डी मंदिर क्यों जाएं:

प्रतिवर्ष लगने वाले मेले में कई रंगारंग कार्यक्रम और लोक नत्य का आयोजन होता है जिसमे हजारों लोग एकत्र होते है और धूम-धाम से इस पर्व को मनाते हैं.इसलिए आपको यहां पर मेले के दौरान जरूर जाना चाहिए.

मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए जरूरी सुझाव​:

  • मंदिर परिसर में वाहन पार्किंग के पर्याप्त जगह हैं.
  • नवरात्रि और मेले के दौरान एक बार यहां पर जरूर जाएं.
  • भोजन व नास्ते के लिए मंदिर के परिसर में ठेले लगे हुए हैं.
  • मंदिर तक आवागम के साधन नहीं जाते है इसलिए यहां पर अपने पर्सनल साधन से जाना ज्यादा बेहतर होता हैं.
  • इस मंदिर के आसपास ठहरने के लिए कोई होटल नहीं है इसलिए रूकने के लिए शहर के बस या रेलवे स्टेशन के निकट जाना होता हैं.
  • वैसे तो मंदिर परिसर में किसी भी तरह कि पाबंदी नहीं है लेकिन लेकिन आसपास लोगों कि कालोनी बनी है इसलिए किसी भी तरह का उत्पाद न करें.
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6.श्याम रिसोर्ट/वाॅटर पार्क​| Shyam Water Park Khandwa

श्याम रिसोर्ट या श्याम वॉटर पार्क का निर्माण साल 2020 में किया गया था.यह रिसोर्ट 10 एकड़ में फैला हुआ है जिसमे लोगों के मनोरंजन के लिए स्विंग पुल​,झूले,डांसिंग प्लेस,रहने के लिए कार्टेंज़,रेस्त्रा और स्विंग ब्रिज जैसी कई अच्छी चीजें हैं.खंडवा से महज 4 किलोमीटर कि दूरी पर मौजूद यह एक मात्र वाॅटर पार्क है जिसमे लोगों के मंनोरंजन के लिए सभी चीजें मिलती हैं.

इस वाॅटर पार्क कि शुरूआत एक छोटे से प्रवेश गेट से होती है जिसकी अंदर पानी भरा हुआ है और उसमे कई रंगों कि खूबसूरत मछलियां तैरती हुई नजर आती हैं.इस प्रवेश गेट के ऊपर से एक पानी का फव्वारा शुरू होता है जिससे एक 100 फिट लंबे स्विंग पूल का निर्माण होता है जिसके ऊपर आने जाने के लिए दो ब्रिज भी बनाए ग​ए हैं.वॉटर पार्क के बीचों बीच में एक गोलाकार डांसिंग प्लेस बना हुआ है जिसमे संगीत कि धून पर पानी कि फुआरें निकलती हैं जिसमे लोग डांस करते हुए नजर आते हैं.इस वॉटर पार्क के आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र डांसिंग प्लेस के दाएं और बाएं तरफ बने हुए स्विंग पूल है जिनके बीच में लोहे से बनी हुई फिसलन लगी हुई है जिनके ऊपर चढ़कर पानी में फिसला जाता हैं.

यह दोनों स्विंग पूल यहां के एडवेंचर कि खास वजह है जिनका लुफ्त उठाने के लिए बच्चों और युवा सभी तरह के लोग यहां पर आना पसंद करत हैं.इन स्विंग पूल के अलावा भी मैंने यहां पर बच्चों के एडवेंचर के लिए कई अच्छी चीजें देखी है जिनमे गोलाकार बतख झुला,हाथी झुला और बैलेंसिंग झुला शामिल हैं.शहर के शौर शराबे से दूर यह वाॅटर पार्क परिवार और दोस्तों के साथ मौज मस्ती के लिए काफि अच्छी जगह हैं.

इस वाॅटर पार्क और रिसोर्ट में आपको भोजन करने के लिए रेस्त्रा ही नहीं बल्कि यदि आप यहां पर रात गुजारना चाहते है तो रहने के लिए रूम भी मिल जाते हैं.इस पुरे वाॅटर पार्क और रिसोर्ट को घूमने के बाद यहां पर मुझे सबसे अच्छी जगह रहने के लिए रूम और स्विंग पुल बेहद पसंद आए थे.क्योंकि यहां पर बने हुए स्विंग पूल को बच्चों और बड़ों सभी को ध्यान में रख कर बनाया गया है जि कि ज्यादा गहरे नहीं हैं.

इसलिए इन स्विंग पूल में सभी तरह के लोग आसानी से स्विंग कर सकते हैं.वही यहां पर रहने के लिए रूम को बेहद खूबसूरती के साथ बनाया गया है जिन्हें देखकर मुझे गोवा में बागा बिच पर बने रिसार्ट कि याद आती हैं.यदि आप भी वीकेंड पर आसपास किसी खूबसूरत जगह पर मौज मस्ती के लिए जाना चाहते है तो आपको श्याम वाॅटर पार्क जरूर जाना चाहिए.

श्याम वाॅटर पार्क कब जाएं:

सप्ताह में किसी भी दिन जा सकते है

श्याम वाॅटर पार्क खुलने का समय​:

सुबह 11:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक​

श्याम वाॅटर पार्क में प्रवेश​ टिकट एंव अन्य चार्ज:

250 रूपये प्रति व्यक्ति (3 साल से बड़े बच्चे का टिकट लगेगा)
30 रूपये कास्ट्युम चार्ज
20 रूपये लाॅकर चार्ज

वाहन पार्किंग टिकट:

नि:शुल्क​

वाॅटर पार्क का पता:

वाॅटर पार्क खंडवा शहर से 4 किलोमीटर कि दूरी पर दक्षिण में रतागढ़ गांव में केंद्रीय विद्यालय के 500 मीटर कि दूरी पर​

श्याम वाॅटर पार्क कैसे जाएं:

वाॅटर पार्क जाने के लिए बस बेहद कम मिलती है इसलिए यहां पर या तो अपने पर्सनल वाहन से जाएं या फिर कार या टैक्सी करके भी जा सकते हैं.

भोजन व नास्ते कि व्यवस्था:

वाॅटर पार्क के निकट में ही यहां पर श्री राधा की रसोई रेस्टोरेन्ट हैं.

श्याम रिसोर्ट में रूकने के लिए एक दिन का किराया:

1500 रूपये

वाॅटर पार्क जाने वाले लोगों के लिए जरूरी जानकारी

  • एक बार टिकट खरीदने के बाद किसी भी अन्य वजह से राशि वापस नहीं होती हैं.
  • इस रिसोर्ट को शादी या अन्य किसी भी तरह कि पार्टी के लिए भी बुक किया जा सकता हैं.
  • किसी भी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले को यहां पर प्रवेश नहीं दिया जाता हैं.
  • यहां के रेस्टोरेंट में खाना थोड़ा महंगा है इसलिए आप अपने घर से भी भोजन लेकर जा सकते हैं.
  • वाॅटर पार्क मुख्य रोड़ पर ही बना हुआ है इसलिए यहां पर पहुंचने में कि तरह कि परेशानी नही होती हैं.
  • यहां पर अपनी सुरक्षा का ध्यान स्वंय रखें क्योंकि किसी भी तरह कि दुर्घटना के लिए मैनेजमेंट जिम्मेदार नहीं हैं.

7.पुनासा डेम/इंदिरा सागर बांध​| Punasa Dam In Hindi

वैसे तो किसी भी डेम पर घूमने का सबसे अच्छा समय बारिश का होता है क्योंकि इस समय पानी कि अधिक मात्रा कि वजह से डेम के गेट खोले जाते है तो यह नजारा देखने लायक रहता हैं.इसलिए मैंने भी खंडवा से पुनासा डेम जाने का निर्णय कर लिया था.लेकिन बाइक से बारिश में मेरे लिए खंडवा से पुनासा डेम जाना किसी बड़े एडवेंचर से कम नहीं था क्योंकि रूक रूक कर हो रही बारिश और तेज हवा कि वजह से मुझे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था.हालांकि फिर भी कई परेशानियों के बाद मैं लगभग 3 घंटे में खंडवा से पुनासा डेम पहुंच चुका था.

नर्मदा नदी पर बने हुए इस डेम का निर्माण 1992 में किया गया था.लेकिन इसकी नींव 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी इसलिए पुनासा डेम को इंदिरा सागर बांध के नाम से भी जाना जाता हैं. पुनासा डेम खंडवा शहर से 63 किलोमीटर कि दूरी पर मुंदी मार्ग से होते हुए पुनासा गांव के नर्मदापुर में स्थित हैं.यह पहली बार नहीं था कि जब मैं पुनासा डेम जा रहा था इससे पहले भी 2019 मैं न्यू ईयर पर अपने दोस्तों के साथ यहां पर आ चुका था.लेकिन उस समय डेम के गेट नहीं खुले थे और इसलिए मैंने यहां पर दौबारा आने का निर्णय किया था.

जैसे ही मैं डेम के नजदीक पहुंचा कि जोरदार बारिश शुरू हो चुकि थी इसके बाद भी मैं पानी में भीगता हुआ डेम पर पहुंचा जहां पर मैंने देखा कि इस बार भी गेट नहीं खुले हैं.करीब 500 मिटर लंबे इस डेम में 20 विशाल गेट बने हुए है जिसके छटवें नंबर के गेट से थोड़ा बहुत पानी निकल रहा था जिसकी वजह से नदी में पानी भरा हुआ था.

डेम के सामने ही एक ब्रिज बना हुआ है जहां से गेट खुलने पर डेम का अद्भुत नजारा देखा जाता हैं.मैं इस ब्रिज के नजदीक पहुंचा ही था कि कुछ देर बाद बारिश बंद हो चुकी थी. डेम के दोनों तरफ से घिरी हुई पहाड़ी और ब्रिज के उस पार नदी का सुंदर दृश्य देखकर मुझे काफि आनन्द प्राप्त हुआ था.मेरी ही तरह काफि लोग डेम देखने के लिए वहां पर आए हुए थे लेकिन वे लोग भी वहां कि पहाड़ियों का खूबसूरत नजारा देखकर काफि खुश थे और आपस में एक दूसरे कि तस्वीरें भी लेने लगे थे.तस्वीरें लेने के बाद इस ब्रिज से पूर्व कि दिशा में डेम के नजदीक जाने के लिए एक रास्ता जाता है जहां से आप दूर​-दूर तक डेम में भरे हुए पानी को देख सकते हैं.

इस जगह पर जाते समय रास्ते में माँ रेवा का एक आश्रम मिलता है आप चाहे तो उनके दर्शन करते हुए भी जा सकते हैं.यहां पर एक ऊंचा टाॅवर भी बना हुआ है जिसके ऊपर चढ़कर लोग यहां कि सुंदरता को अपने कैमरे में कैद करते हैं.यहां पर बारिश और धूप से बचने के लिए कई बैठक व्यवस्था भी है जिसमे यहां पर आने वाले पर्यटक आराम भी करते हैं.

डेम के नजदीक में मौजूद यह जगह बारिश के अलावा ठंठी और गर्मी के दिनों में पार्टी करने के लिए भी बेहद अच्छी हैं.क्योंकि यहां पर आपको पीने के लिए पानी और अन्य सभी तरह कि सुविधाएं भी मिलती हैं.हालांकि इस बार भी मुझे डेम के खुले हुए गेट देखने को नहीं मिले लेकिन यह यात्रा मेरी पिछली यात्रा से भी कहीं अधिक मजेदार रही थी.

पुनासा डेम कब जाएं:

वैसे तो साल में किसी भी समय लेकिन खास कर जुलाई से नवम्बर के दौरान​

पुनासा डेम​ देखने का समय​:

डेम के सामने बना हुआ ब्रिज 24 घंटे खुला रहता है क्योंकि यह एक आम रास्ता हैं.इसलिए आप यहां पर दिन में किसी भी समय जा सकते हैं.

डेम देखने का टिकट​:

नि:शुल्क​

पुनासा डेम का पता:

पुनासा डेम,पुनासा गांव से 12 किलोमीटर कि दूरी पर दक्षिण में नर्मदानगर में मौजूद हैं.

डेम घूमने में कितना समय लगता है:

1 से 2 घंटे का समय​

पुनासा डेम कैसे जाएं| How to reach punasa dam:

खंडवा शहर से आपको पुनासा गांव तक जाना होता है इसके बाद यहां से टैक्सी या कार से डेम तक जा सकते हैं.क्योंकि पुनासा से बस यहां तक नहीं जाती हैं.

डेम के नजदीक मशहूर जगह​:

नर्मदानगर 1 किलोमीटर​ कि दूरी पर​

पुनासा डेम क्यों जाएं:

नर्मदा नदी पर बना हुआ यह खडंवा जिले का सबसे बड़ा डेम (बांध​) है.इस डेम के दोनों तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ है जिनकी सुंदरता देखते ही बनती हैं.इस डेम कि खास बात यह है कि जब इसके 10-12 गेट खोले जाते है तो इससे निकलता अथार बहते हुए पानी का नजारा ऐसे लगता है कि यह ब्रिज को तोड़ते हुए इसे तीनके कि तरह बहा ले जाएगां.

पुनासा डेम के विशेष आकृर्षण:

प्रतिवर्ष 15 अगस्त पर पर्यटकों को लुभाने के लिए डेम के गेट पर एलईडी लाइट से तिरंगा बनाया जाया है जो शाम के समय बेहद शानदार दिखाई देता हैं.

आवास की सुविधा:

पुनासा डेम के आसपास में ठहरने के लिए किसी कोई होटल मौजूद नहीं हैं.

पुनासा डेम जाने वाले पर्यटकों के लिए जरूरी सुझाव​:

  • सूर्यअस्थ के समय यहां का नजारा काफि अच्छा लगता है, हो सके तो इसे जरूर देखें.
  • गर्मी के दिनों में यहां कि शाम बेहद सुहानी होती है इसलिए गर्मी के दिनों में यहां जरूर जाएं.
  • पुनासा से के कार और टैक्सी काफि कम मिलती है इसलिए बेहतर होगा कि अपने साधन से जाएं.
  • पुनासा गांव से डेम के बीच में पेट्रोल पंप मौजूद नहीं है इसलिए अपने वाहन में पर्याप्त ईंधन रखें.
  • यदि आप डेम के खुले गेट का नजारा देखना चाहते है तो जुलाई या अगस्त में अपने यहां कि न्यू‍ज़ से अपडेट रहे.
  • डेम के निकट भोजन व नास्ते के लिए किसी भी तरह कि दुकानें व ढ़ाबे नहीं है इसलिए भोजन कि व्यवस्था अपने साथ लेकर जाएं.
  • बारिश के समय पुनासा डेम पर जाते समय अपने साथ छाता और रेनकोट जैसी जरूरी सामन जरूर लेकर जाएं क्योंकि आसपास बारिश के बचने के लिए कोई जगह नहीं हैं.
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8.हनुवंतिया टापू| Hanuwantiya Tapu In Hindi

मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में मौजूद हनुवंतिया टापू इस समय लोगों कि सबसे पसंदीदा जगह बनी हुई हैं.पर्यटकों के लिए सर्वसुविधा से युक्त इस टापू का लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के द्वारा 15 दिसम्बर 2016 को किया गया था.हनुवंतिया टापू खंडवा जिले कि मुंदी तहसील से 17 किलोमीटर कि दूरी हैं.इस टापू का निर्माण पुनासा डेम के निर्माण से बनी एक झील से हुआ हैं.

इस टापू पर दूर​-दूर तक भरे हुए पानी में चलती हुई क्रुज बोट​,स्पीड बोट​,जेटस्की और जलपरी कि वजह से इसे मध्यप्रदेश का मिनी गोवा भी कहां जाता हैं.हालांकि यह सच भी है क्योंकि जब मैं यहां पर पहली बार अप्रैल 2019 में गया था तब मुझे इस जगह को देखकर अपनी गोवा यात्रा के दौरान कलंगुट बीच पर बिताए हुए दिन याद आ ग​ए थे.

हनुवंतिया टापू के निकट बना हुआ रिसोर्ट 20 एकड़ भूमि मेम फैला हुआ है जिसमे दूर​-दराज से आये पर्यटकों के ठहरने के लिए रूम​,घूमने फिरने के लिए गार्डन​, स्विंग पूल और भोजन के लिए रेस्त्रा जैसी सभी तरह कि सुविधाएं मिल जाती हैं.इसलिए यहां पर प्रतिदिन खंडवा शहर ही नहीं बल्कि इंदौर और भोपल से भी पर्यटक छुट्टियां व घूमने फिरने के लिए आते रहते हैं.अपने परिवार के साथ यह जगह वीकेंड कि छुट्टिया मनाने के लिए या हनीमून मनाने के लिए भी बेहद शानदार हैं.हनुवंतिया टापू पर प्रतिवर्ष स्थापना दिवस पर जल महोत्सव का आयोजन भी किया जाता हैं.

जल महोत्सव के दौरान यहां पर पतंगबाजी,पैरासेलिंग और हॉट एयर बलून जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.इस रिसोर्ट में प्रवेश एक अर्धचंद्र आकार के गेट से होता है जिसके बाहर वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह मौजूद हैं.रिसोर्ट में प्रवेश करते हुए सामने आपको एक परिचय एरिया नजर आता है जहां पर इस रिसोर्ट में होने वाली सभी एक्टिविटी कि जानकारी मिलती हैं.

इस परिचय एरिया के निकट ही एक 2 एकड़ का गार्डन बना हुआ है जिसके किनारे ठहरने के लिए रूम और रेटोरेंट बने हुए हैं.इस गार्डन के दाएं तरफ दर्शनिय पांइट और बोट क्लब बना हुआ है जहां से आप टिकट लेकर बोटिंग के लिए जा सकते हैं.मुख्य प्रवेश गेट के दाएं तरह पर्यटकों के भोजन व नास्ते के लिए एक रेस्टोरेंट भी बना है जिसके सामने बच्चों के लिए एक पार्क है जिसमे उनके मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं.

विशाल रूप से फैले हुए इस हनुवंतिया टापू में दोस्तों और परिवार के साथ मौज मस्ती करने और छुट्टियों को बेहतरीन तरीके से गुजारने के लिए लगभग सभी तरह कि सुविधाएं हैं.

हनुवंतिया टापू के मुख्य आकर्षण​| Most Visited Places In Hanuwantiya Tapu

मैंने हनुवंतिया टापू को पूरी तरह से घूमने के लिए यहां के कुछ खास आकृर्षण जगहों कि लिस्ट बनाई हैं.यदि आप यहां पर जाते है तो इन जगहों पर आपको जरूर जाना चाहिए.

Kids Zone Cafeteria

प्रवेश द्वार से अन्दर आने के बाद आपको Kids Zone Cafeteria दाएं तरफ नजर आता हैं.यह बच्चों कि सबसे पसंदीदा जगह है क्योंकि यहां पर उनके मनोरंजन के लिए बैलेंसिंग झूला,भूल भुलैया और ट्रैकिंग झूले जैसी कई अच्छी चीजें मिलती हैं.गोलाकार आकति में बने हुए इस Kids Zone Cafeteria में नारियल​,सागौन​,चमेली और कई सुंदर फूलों के पेड़ भी लगे हुए है जिसकी वजह से यहां पर हरियाली बनी रहती हैं.

यहां के मैदान में लगी हरि घास और बैठने के लिए चबुतरे भी बने है जिसकी वजह से यह पूरी जगह यहां पर आने वाले लोगों को लुभाती हैं.वैसे इस जगह को देखने पर यह लगता है कि इसे विशेष तौर पर बच्चों के लिए ही बनाया गया है लेकिन इसकी शानदार बनावट से वजह से यह सभी उम्र के लोगों कि पसंदीदा जगह हैं.इसलिए यहां पर बच्चों के अलावा सभी उम्र और वर्ग के लोग एक साथ बैठे हुए नजर आते हैं.

Sagar Restaurent

सागर रेस्टोरेंट रिसोर्ट में मौजूद सबसे खूबसूरत जगह मानी जाती है जो कि यहां आने वाले लोगों कि पहली पसंद भी हैं.सागर रेस्टोरेंट में ठहरने के लिए कार्टेज​,गार्डन और भोजन सभी तरह कि सुविधाएं मिलती हैं.यहां के गार्डन में आपको बैठने के लिए कटे हुए पेड़ से बनी कुर्सी मिलती है जो दिखने में बेहद अलग और खास नजर आती हैं.

यहां पर रहने के बनाएं ग​ए कार्टेज एको फ्रैंडली बनाए ग​ए है जिन्हें देखकर आपको किसी हिल स्टेशन कि याद आ सकती हैं.परन्तु इस सागर रेस्टोरेंट कि खास बात यह है कि इसमे केवल उन्हें लोगों को प्रवेश दिया जाता है जिन्होंने रिसोर्ट में ठहरने के लिए कार्टेज बुक किए हैं.लेकिन फिर भी इन कार्टेज और गार्डन को आप कुछ दूर तक जानकर देख सकते हैं.

बोट क्लब और लाइट हाउस​

बोट क्लब और लाइट हाउस हनुवंतिया टापू कि वह जगह है यहां से टापू में दूर तक फैले हुए पानी व उसमे एक्टिविटी करती हुई क्रूज बोट​,जेट स्की,पेरासलिंग व जल परी को देखा जा सकता हैं.बोट क्लब व लाइट हाउस एक दूसरे के सामने ही बने हुए है व इन दोनों के बिच में एक दर्शिनय प्लेस भी है जहां से टापू कि सुंदरता को देखा जा सकता हैं.इस लाइट हाउस के ऊपर से पूरे टापू को देखा जा सकता है जहां से आपको मछली पकड़ते हुए मछुआरे और मौज मस्ती करते हुए पर्यटक नजर आते हैं.बोट क्लब से के नीचे से एक रास्ता जाता है जो आपको सीधे जेटी तक लेकर जाता हैं.

जेटी को प्लास्टिक से बने हुए रंग बिरंगे बाॅक्स से बनाया गया है जो पानी के ऊपर तैरते हुए नजर आते हैं.इस जेटी के निकट ही लेक में घूमने के लिए जाने वाली बोट,क्रूज​,जलपरी और वाटर रोलर खड़ी हुई नजर आती हैं.लेकिन इस जेटी में सिर्फ उन्हीं लोगों को प्रवेश दिया जाता है जिन्होंने एक्टिविटी में भाग लेने के लिए टिकट खरीदी हैं.

हनुवंतिया टापू जाने का समय​:

सप्ताह में किसी भी दिन जा सकते हैं.

हनुवंतिया टापू खुलने का समय​:

सुबह 06:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक​

हनुवंतिया टापू में प्रवेश टिकट​:

15 रूपये प्रति व्यक्ति

वाहन पार्किंग:

नि:शुल्क​

हनुवंतिया टापू में बोट क्लब में एक्टिविटी के लिए टिकट दर​

1. क्रूज बोट200 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड​
2. स्पीड बोट150 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड
3. जेट स्की600 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड​
4. जलपरी150 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड​
5. पेरासलिंग800 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड​
6. वाटर रोलर100 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड​
7. बनाना राइड 200 रूपये प्रति व्यक्ति राउंड​
Note-3 साल से बड़े बच्चें का पूरा टिकट लगेगा.
बोट क्लब टिकट दर​

हनुवंतिया टापू में ठहरने के लिए रिसोर्ट का किराया:

3590/- से 5990/- तक​

बुकिंग के लिए वेबसाइट पर क्लिक करें

हनुवंतिया टापू कैसे जाएं/How to Reach Hanuwantiya Tapu

खंडवा से हनुवंतिया टापू 65 किलोमीटर कि दूरी पर मुँदी तहसील में हैं.इसलिए सबसे पहले आपको मुँदी जाना होता हैं.मुँदी से हनुंवतिया टापू 17 किलोमीटर कि दूरी पर पुर्व कि दिशा में हैं.हनुवंतिया टापू जाने के लिए मुँदी से कार और टैक्सी सभी तरह के साधन मिल जाते हैं.

हनुवंतिया टापू घूमने में कितना समय लगता हैं:

2 से 3 घंटे

टापू के नजदीक मशहूर जगह​:

मुँदी 17 किलोमीटर कि दूरी पर​

हनुवंतिया टापू के विशेष कार्यक्रम​:

पर्यटन को बड़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष होने वाला जल महोत्सव

​हनुवंतिया टापू का पसंदीदा फूड​:

हनुवंतिया टापू कि मछली बेहद प्रसिद्ध हैं.यदि आप मछली खाने के शौकिन है तो शाम के समय यहां पर मछुआरे मछली भी बेचते है जिसे आप खरीद सकते हैं.

टापू पर​ पर्यटकों के लिए जरूरी जानकारी:

  • रेस्टोरेंट में घर से भोजन लेकर जाना मना हैं.
  • मुँदी से कार और टैक्सी बेहद कम मिलती है इसलिए ज्यादा अच्छा होगा अपने साधन से जाएं.
  • वीकेंड पर भीड़ अधिक होने से कभी-कभी रूम नहीं मिलता है,इसलिए रूम पहले से ही एडवांस बुकिंग करा लें.
  • यदि आपको बोट क्लब कि एक्टिविटी में भाग लेना है तो ही टिकट खरीदें क्योंकि बाद में टिकट वापस नहीं होगी.
  • हनुवंतिया टापू के रिसोर्ट में ठहरने का चार्ज बेहद अधिक है इसलिए आप रूकने के लिए मुँदी में भी होटल कर सकते हैं.

खंडवा कैसे जाएं| How to reach khandwa:

खंडवा मध्यप्रदेश का पश्चिमी जिला है जो कि इंदौर संभाग में आता हैं.पर्यटन के लिहाज से खंडवा इन दिनों बेहद लोकप्रिय हो रहा हैं.इसलिए दूर​-दूर के पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं.तो आइए जानते है कि आप खंडवा किस तरह पहुंच सकते हैं.

सड़क मार्ग से खंडवा कैसे जाएं

खंडवा शहर सड़क मार्ग से राज्य से सबसे बड़े शहर इंदौर से 125 किलोमीटर कि दूरी हैं.इंदौर और आसपास के सभी बड़े शहरों से दिन में किसी भी समय जाने के लिए बस,कार और टैक्सी मिल जाती हैं.

रेल मार्ग से खंडवा कैसे जाएं

खंडवा में इंदौर संभाग का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन हैं.यहां पर दिल्ली और मुंबई सभी जगह से आने वाली ट्रैने रूकती हैं.इसलिए आप रेलवे मार्ग से भी भारत में किसी भी जगह से खंडवा पहुंच सकते हैं.

हवाई मार्ग से खंडवा कैसे जाएं

शहर का सबसे नजदीक एयरपोर्ट इंदौर है जो कि 125 किलोमीटर दूर हैं.भारत में किसी भी जगह से इंदौर जाने के लिए Flight मिल जाती हैं.इंदौर पहुंचने के बाद बस​,कार और टैक्सी से खंडवा पहुंचा जा सकता हैं.

खंडवा शहर का मशहूर पकवान​:

खंडवा शहर का सबसे मशहूर पकवान जलेबी हैं. यदि आपने बाम्बे बाजार के निकट अंबेडकर चौराहे कि “बुरहानपुर की मशहूर मावा जलेबी” नहीं खाई तो समझो कुछ भी नहीं खाया|

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