हरदा के 8 मुख्य पर्यटन और पहुंचने की जानकारी

हरदा के मुख्य पर्यटन के बारे में यदि आप जानना चाहते है तो आप सही जगह पर आये हैं. इस आर्टिकल में हम आपको मध्यप्रदेश के हरदा जिले में मौजूद ऐतिहासिक​,प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन के बारे में बताएंगे.हरदा जिला लगभग 2644.32 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसके दक्षिण-पूर्व में बैतुल और उत्तर-पूर्व में होशंगाबाद जिला सीमा से लगा हुआ हैं.

हरदा जिले का निर्माण साल 1998 में किया गया था. तब इसे होशंगाबाद संभाग से अलग करके एक स्वतंत्र जिला घोषित किया था जो कि एक बड़ा शहर हैं.हरदा जिला पांच तहसील से मिलकर बना हुआ है जिसमे हंडिया,टिमरनी,रहटगाँव​,खिड़किया व सिराली शामिल हैं.

अनुक्रम​

हरदा में घुमने की जगह​ | Top Tourist Places in Harda

तो आइए जानते है हरदा जिले में घूमने फिरने की अच्छी जगह या हरदा के मुख्य पर्यटन के बारे में.

1.हरदा का मुख्य पर्यटन जोगा किला

जोगा किला हरदा से 42 किलोमीटर कि दूरी पर हंडिया तहसील में जोगा नाम के एक गाँव में मौजूद हैं. यह किला नर्मदा नदी के बीच में एक 100 फिट ऊंची पहाड़ी पर स्थित हैं. जहां पर जाने के लिए जोगा गाँव से नाव चलती है जो आपकों 5 से 10 मिनट में किले पर पहुंचा देती हैं.

जब हमने कुछ स्थानीय​ लोगों से इस किले के इतिहास के बारे में पूछा तो हमें यह जानकारी मिली. किले का निर्माण करीब 300 साल पहले जोगा सिंह नाम के एक राजा ने निवास स्थान के तौर पर किया था.

जोगा किले का पूरा विचरण करने पर हमने देखा कि यह किला पत्थर​,रेत व गोंद से मिलकर बना हुआ हैं. जो आज भी बेहद मजबूती से खड़ा हैं. किले में देखने के लिए आपकों इसके दक्षिण का प्रवेश द्वार​,प्राचीन कुएं,निवास ग्रह​ व मंदिर मिलते हैं.

किले के आसपास नर्मदा नदी में स्थानीय​ लोग नाव से मछलिया भी पकड़ते हैं. जिसे हंडिया तहसील के बाजार में बेचा जात हैं.

आप मछली खाने के शौकिन है तो यहां पर आपको 100 व 150 रूपये किलो मछली भी मिल जाती हैं. जो अन्य बाजार कि अपेक्षा बेहद सस्ती होती हैं.

हरदा के पर्यटन जोगा किला पहुंचने की जानकारी

जोगा किला जाने के लिए सबसे पहले आपको हरदा जिले की हंडिया तहसील जाना होता हैं.यहां के मुख्य बाजार चौक से पश्चिम की तरफ 22 किलोमीटर की दूरी पर जोगा गाँव हैं.जोगा किला जाने के लिए सबसे पहले आपको हरदा जिले की हंडिया तहसील जाना होता हैं.

यहां के मुख्य बाजार चौक से पश्चिम की तरफ 22 किलोमीटर की दूरी पर जोगा गाँव हैं.हंडिया से जोगा जाने के लिए बस या टैक्सी किसी भी तरह के साधन नहीं मिलते हैं.इसलिए बेहतर हो की यहा जाने के लिए आपने पर्सनल साधन का उपयोग करें.

हरदा के मुख्य पर्यटन जोगा किला जाने का अच्छा समय​

वैसे तो जोगा किला एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं. इसलिए इसे देखने के लिए आप कभी भी जा सकते हैं.लेकिन अगस्त से फरवरी के महीने में बारिश की वजह से किले के चारों तरफ नर्मदा का जल स्थल बढ़ जाता हैं. जिसकी वजह से यहां का नजारा बेहद सुंदर रहता हैं.

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2.हरदा का धार्मिक पर्यटन स्थल​ जैन मंदिर, नेमावर

Top Tourist Places in Harda

हरदा से 20 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे नेमावर में इन दिनों विशाल जैन मंदिर का निर्माण हो रहा हैं.यह मंदिर 20 एकड़ में नर्मदा नदी के किनारे पर बनाया जा रहा हैं. जहां से नदी का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता हैं.

जैन मंदिर का निर्माण लाल कलर के बलुआ और पीले कलर के बलुआ पत्थर से किया जा रहा हैं.मंदिर के द्वार में शीशम कि लड़की व प्रांगण में मार्वल पत्थर का उपयोग किया जा रहा हैं.

मुख्य मंदिर के दाएं और बाएं तरफ 12-12 मंदिर बने हुए हैं. जिनमे जैन धर्म के भगवान कि प्रतिमा स्थापित हैं. तांबे से निर्मित इस प्रतिमा का बजन 10 कुंटल बताया गया है जो कि दिखने में बेहद सुंदर और अद्भुत हैं.मंदिर के बाएं तरफ सांधु संतों का निवास स्थान भी बनाया जा रहा हैं. जिसमे पीले बलुआ पत्थर और मार्वल का उपयोग किया जा रहा हैं.

इस मंदिर के निर्माण में उपयोग होने वाले सभी पत्थर व कारिगरों को राजस्थान से बुलाया गया हैं. जो यही पर निवास करते है और काम करते हैं.मंदिर में उपयोग होने वाले पत्थरों को कारिगरों के द्वारा यहीं पर तराशा जाता हैं.

हरदा के धार्मिक पर्यटन स्थल नेमावर​ जैन मंदिर कैसे जाएं

जैन मंदिर नेमावर में इंदौर रोड़ से 300 मीटर की दूरी पर पश्चिम में नर्मदा नदी के किनारें पर हैं. जहां पर आप पैदल चलकर जा सकते हैं.नेमावर राज्य के सभी बड़े शहरों से सड़क मार्ग और रेल से जुड़ा हुआ हैं.

इंदौर से नेमावर जैन मंदिर (indore to nemawar jain temple) 134 किलोमीटर की दूरी पर हैं.यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन हरदा (nemawar jain temple nearest railway station) है जो 20 किलोमीटर की दूरी पर हैं.

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3.तेली की सराय हरदा का मुख्य ऐतिहासिक​ पर्यटन

तेली की सराय हरदा जिले कि हंडिया तहसील से 2 किलोमीटर कि दूरी पर दो पहाड़ियों के बीच मौजूद हैं. जिसे यहां के लोग पीर बाबा कि पहाड़ी के नाम से जानते हैं.इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में एक तेली बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के ठहरने के लिए किया गया था.

सराय का निर्माण ईंट,पत्थर व रेत से किया गया हैं.यह सराय 5 एकड़ में बनी हुई है जिसमे दो द्वार हैं. एक आगे है जिसे प्रवेश द्वारा और दूसरा पीछे कि ओर जिसे निकास द्वार कहां जाता हैं.इसमे विश्राम करने के लिए छोटे छोटे कोठरी बनी हैं. जिनके बारे में कहां जाता है कि लोग इनमे निवास करते थे. वही इसके बीच में दाएं तरफ बैठक के लिए एक चौपाल बनी हुई हैं.

एकांत जगह और स्वच्छ वातावरण की वजह से यह जगह पिकनिक के लिए बेहद अच्छी हैं.तेली कि सराय घूमते हुए मेरी मुलाकाय एक स्थानीय व्यक्ति से हुई जिसने मुझें बताया कि सामने वाली पहाड़ी पर एक अच्छी जगह हैं.जिसे बीबी कि बाड़ी के नाम से जानते है. उन्होंने बताया कि वह बाड़ी भी इस सराय के निर्मॉण के दौरान कि ही हैं.

तेली की सराय के निकासी द्वार ने मेरे ध्यान अपनी ओर किया जिसकी बनावट देखकर में आश्चर्य रह गया.यह द्वार बडे बड़े पत्थर से मिलकर बना हैं. जो कि द्वार के ऊपर लगे है जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ये आपके ऊपर गिर सकते हैं.

हरदा के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल तेली की सराय कैसे जाएं?

तेली की सराय जाने के लिए आपको हंडिया जाना होता है. यहां के हरदा रोड़ पर मौजूद थाने से करीब 500 फिट कि दूरी पर दक्षिण में आपको एक बोर्ड नजर आएगा जिस पर लिखा हैं. तेली की सराय पर्यटन स्थल इस रोड़ से आपको 1 किलोमीटर अन्दर जाना हैं.

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4.सिराली साईं मंदिर हरदा का धार्मिक पर्यटन स्थल​

सिराली साईं मंदिर का निर्माण 27 नवम्बर 2007 को किया गया था.यह न सिर्फ सिराली बल्कि हरदा जिले का सबसे बड़ा साईं मंदिर माना जाता हैं.यह मंदिर सिराली तहसील में है जो हरदा रोड़ पर मुख्य सड़क से 100 मीटर की दूरी पर हैं.

इस मंदिर में स्थापित साईं बाबा की मुर्ति शिरडी के साईं मंदिर के से प्रेरित हैं. जिसे संगमरमर से बनाया गया हैं.यह संपूर्ण साईं मंदिर एक एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसमे गार्डन​,ध्यान कक्ष​, द्वारका माई और शंकर मंदिर बने हुए हैं.

वैसे तो यहां पर साईं बाबा के भक्त प्रतिदिन आते है लेकिन गुरूवार के दिन लोगों की बेहद अधिक भीड़ देखने को मिलती हैं.इस दिन यहां पर सुबह से रात्रि तक 2000 से भी अधिक लोग बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं.

साईं मंदिर के अन्य आकृर्षण स्थल​

मंदिर के प्रांगण में बाबा के दर्शन के अलावा कई अन्य जगह भी है जो देखने के लिए बेहद खास हैं. तो आइए जानते है इनके बारे में.

साईं मंदिर में की प्रतिमा

साईं मंदिर​ के प्रांगण में पूर्व की ओर पानी कि टंकी के निकट ही भगवान शिव कि एक सुंदर प्रतिमा हैं. जो की एक पानी के कुंड में स्थापित हैं.पानी के कुंड के दोनों तरफ फल व सुगंधित पेड़ पौधे लगे हुए हैं. जिसकी वजह से यह दूर से यह सुंदर वन के समान दिखाई देता हैं.

शिवजी की प्रतिमा के पीछे की तरह एक पहाड़ी बनी हैं. जिसके चारों तरह पेड़​,पोधे व पानी का फवबारा बना हैं.पत्थर से बनी हुई शिव जी की मुर्ति के एक हाथ त्रिशुल तो वहीं गले में एक सांप लपने हुए नजर आता हैं.

साईं मंदिर में द्वारका माई

साईं मंदिर के परिसर में दाएं तरह द्वारका माई हैं.जैसे ही आप इसमे प्रवेश करते है तो आपको साईं बाबा की एक तस्वीर नजर आती हैं.यहां पर एक​ धुनी कुंड भी बना हुआ है जो प्रतिदिन जलता रहता हैं. जिससे निकलने वाली राख का उपयोग भक्त प्रसाद के रूप में करते हैं.

द्वारका माई के अंदर के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ दो बड़ी-बड़ी बाल्टियां रखी हैं. जिसमे यहां पर अपने वाले लोग​ खिड़ची का दान करते हैं. जो प्रत्येक गुरूवार को आरती के बाद प्रसाद में दी जाती हैं.

इन बाल्टियों से 3 फिट की दूरी पर ही एक दान पेटी भी मौजूद हैं. जिससे आने वाले पैसों का उपयोग खिचड़ी बनाने और भंडारा कराने में किया जाता हैं.

साईं मंदिर का ध्यान कक्ष

ध्यान कक्ष साईं मंदिर के नीचे बना हुआ है जहां पर 8 फिट ऊंची बाबा कि तस्वीर लगी हुई हैं. और उनके समक्ष एक पवित्र शंख रखा हुआ हैं जो बेहद पूराना बताया गया हैं.

कक्ष में प्रवेश करते ही यहां पर ऊँ शब्द का संगीत बेहद मधुर व धीरे बजता रहता हैं. जो शांति का अहसास कराता हैं.यहां का माहौल बेहद शांत है इसलिए कक्ष में आपको अक्सर भक्त ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए नजर आते हैं.

यहां पर​ प्रवेश द्वार के निकट ही आपको साईं बाबा के जीवन काल कि कई तस्वीरें देखने को मिलती हैं. कि वे कैसे भिक्षा मांगते थे और किस तरह अपने व लोगों के लिए भोजन पकाते थे.

ध्यान कक्ष खुलने का समय​ और अन्य जानकारी

  • सुबह 06:00 से 10:00 तक और 04:30 से रात 08:30 तक​
  • यहां पर बच्चों को लेकर जाना मना हैं.
  • कक्ष के अन्दर मोबाइल फोन लेकर जाना भी मना हैं.
  • ध्यान कक्ष सुबह 06:00 से 10:00 तक व 04:00 से रात्रि 08.30 तक
  • अन्दर प्रसाद,फुल व अन्य किसी भी तरह का चढ़ावा भी लेकर जाना मना हैं.

साईं धाम में शंकर जी का मंदिर

द्वारका माई के दाएं तरह भगवाव शंकर जी का एक छोटा सा सुंदर मंदिर बना हुआ हैं. जो भक्तों का ध्यान अपने ओर खिचंता हैं.सफेद रंग के इस मंदिर में गुलाबी रंग के छोटे छोटे फुल और पत्तियां बनी है जो इसकी सुंदरता को बड़ाते हैं.

इस मंदिर में शिवजी का एक छोटा सा शिवलिंग है जिसके चारों तरफ पीतल से निर्मित नाग देवता विराजित हैं. और इसके निकट मंदिर में ही साई बाबा कि एक पूरानी तस्वीर है जो शीशम कि लकड़ी से मड़वाई गई हैं.

साईं मंदिर में श्री साईं नर्सरी

मंदिर के ट्रस्ट द्वारा ही यहां पर एक श्री साईं नर्सरी का निर्माण किया गया हैं. जिसमे उचित मूल्य पर पौधे और गमले तैयार करके दिए जाते हैं.इसमे आपको गुलाब​,कदम​,रूद्राक्ष​,ड्रेगन फूट​,सफेद जामुन और नागचम्पा जैसे 60 से अधिक प्रकार के पौधे मिल जाते हैं.

Sai Nursery Contect Number

Mob.No.-9425683150, 812007489, 9691606755

सिराली साईं मंदिर के विशेष कार्यक्रम और पर्व​

सिराली साईं मंदिर कैसे जाएं?

साईं मंदिर हरदा जिले कि सिराली तहसील में मौजूद हैं. जहां पर जाने के लिए आपको हरदा शहर से किसी भी समय बस मिल जातीहैं. जो आपको 1 से 01:30 घंटे में सिराली पहुंचा देती हैं.

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5.हरदा का धार्मिक पर्यटन स्थल गुप्तेश्वर मंदिर, चारूवा

भगवान शिव जी के लिए प्रसिद्ध चारूवा का गुप्तेश्वर मंदिर हरदा जिले में आस्था का मुख्य केन्द्र हैं. मंदिर के इतिहास के बारे में ऐसा कहां जाता है कि कई आचार्यो ने अलग-अलग मत दिए हैं. जिनके अनुसार ऐसा कहा गया है कि, कई सालों पहले मंदिर कि जगह पर एक छोटी सी पहाड़ी थी. जो पेड़ पौधो से भरी थी. जिसकी वजह से यहां जंगली जानवरों का भी बसेरा हुआ करता था.

फिर एक दिन चारूवा ग्राम के एक स्वर्णकार को सपने में इस पहाड़ी के नीचे शिवलिंग होने का पता चला. जिसके आधार पर इस पहाड़ी को खोदा गया. तब यहां विशाल शिवलिंग निकला जिसे बाद में शिव जी पूजा पाठ के बाद स्थापित किया गया.

यह शिवलिंग 10 से 12 फिट कि गहराई में है जिसे काफि समय तक निकालने का प्रयास किया गया था. लेकिन इसकी विशालता अनन्त बताई गई जिसकी वजह से इसकी खुदाई को रोक दिया था.अब इस जगह पर एक आधुनिक मंदिर का निर्माण किया गया है. वह शिवलिंग इस मंदिर में मौजूद है जिसकी पूजा अर्चना कि जाती हैं.

गुप्तेश्वर मंदिर वाणगंगा नदी के किनारे पर 50 से अधिक एकड़ में फैला हुआ हैं. जहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर 1 महीने के लिए मैला लगता हैं. जिसमे आसपास से लेकर दूर​-दूर के भक्त यहां पर आते हैं.

हरदा के पर्यटन गुप्तेश्वर मंदिर के अन्य दर्शनिय स्थल

गुप्तेश्वर मंदिर में इस अद्भुत और विशाल शिवलिंग के अलावा कई दर्शनिय स्थल है जो बेहद खास हैं. तो आइए जानते है इन दर्शनिय स्थलों के बारे में.

नंदी और शिवलिंग

गुप्तेश्वर मंदिर में मुख्य मंदिर के सामने एक मार्वल के निर्मित छोटा मंदिर हैं. जिसमे पत्थर से बनी हुई बेहद पूरानी नंदी और शिवलिंग हैं. नंदी और शिवलिंग के बारे में भी ऐसा कहा जाता है कि ये खुदाई के दौरान जमीन से निकाले ग​ए हैं.

पत्थर से निर्मित नंदी के ऊपर एक चादर सी आकृति है जिस पर फूल और गोलाकार रचना कि गई हैं. वही यदि शिवलिंग कि बात कि जाएं तो इसे देखने पर मैंने पाया कि इसे किसी पत्थर को काटकर बना गया है.

गुप्तेश्वर मंदिर के हनुमान जी

मुख्य मंदिर के दाहिने तरफ हनुमान जी का मंदिर हैं. जिसमे हनुमान जी कि एक खूबसूरत प्रतिमा विराजमान है जो बेहद सुंदर हैं. हनुमान जी के इस मंदिर को कुछ लोग शीश मंदिर के नाम से जानते हैं. क्योंकि यह मंदिर अंदर से पूरी तरह शीशे से बना हुआ हैं.

इस मंदिर के निर्माण में नीले,सफेद​,गुलाबी और हरे रंग के शीशे के अलावा मार्वल का उपयोग किया गया हैं.रंग बिरंगे शीशे का उपयोग करके इस मंदिर में कई खूबसूरत डिजाईन बनाई गई है. जिसकी वजह से जो भी इस मंदिर को देखता है उसकी नजरे हटाने का मन नहीं करता हैं.

गुप्तेश्वर मंदिर में नर्मदा मंदिर

नर्मदा मंदिर प्रांगण में ही हनुमान मंदिर के निकट ही स्थित है जिसमे एक शिवलिंग स्थापित हैं. इस शिवलिंग के ऊपर माँ नर्मदा की बेहद पूरानी मुर्ति स्थापित हैं. जिसे देखने पर लगता है कि यह प्रतिमा सैकड़ो साल पहले की हैं.

काले कलर के पत्थर से बनी हुई नर्मदा माँ कि इस प्रतिमा में उनके चार हाथ दिखाई देते हैं. जिसमे दो हाथ आगे कि तरफ है और दो हाथ ऊपर कि ओर जिनमे एक-एक अस्त्र नजर आते हैं.

मुर्ति के पीछे सिहासन भी नजर आता है जिसमे धुंधले-धुंधले देवी देवताओं के मुख नजर आते हैं.अद्भुत नजर आने वाली इस मुर्ति में नर्मदा माँ ने एक ऊचा मुकुट और गले में आभुषण पहने हुए हैं.

गुप्तेश्वर मंदिर जाने का समय​-सोमवार और प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर

मंदिर के विशेष कार्यक्रम​

  • प्रत्येक अमावस्या पर रात्रि में भजन किर्तिन का आयोजन होता हैं.
  • प्रतिमाह​ पूर्णिमा के दिन 24 घंटे रामचरित मानस का अखण्ड पाठ चलता हैं.

हरदा के मुख्य पर्यटन गुप्तेश्वर मंदिर में कैसे जाएं?

गुप्तेश्वर मंदिर हरदा जिले की खिड़किया तहसील में है जो सभी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं. इसलिए आप जिले में किसी भी जगह से बस​,कार या बाइक से जा सकते हैं.यदि आप बस से जाते है तो आपको चारूवा तक जाना होगा. इसके बाद आपको ऑटो करना होगा या फिर आप पैदल भी जा सकते हैं.

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6.मकड़ाई का किला हरदा का ऐतिहासिक पर्यटन स्थल

मकाड़ाई का किला हरदा जिले कि सिराली तहसील में स्थित हैं. जो कि सिराली से 12 किलोमीटर कि दूरी पर दक्षिण में मौजूद हैं. इस किले का निर्माण मकड़ाई स्टेट के राजा टोडर शाह ने किया था.यह 400 फिट ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है जिसके दक्षिण से स्यामी नदी निकलती हैं.

सही तरह से रखरखाव नहीं करने की वजह से किला काफि हद तक क्षतिग्रस्त हो चुका हैं. लेकिन किले का भ्रमण करने पर मुझे कई चीजों की जानकारी मिली कि किस तरह राजा – महाराजा इसमे निवास करते थे.

किला देखने के दौरान मुझे एक विशाल द्वार दिखाई दिया जो किले के पीछे कि ओर हैं. यह द्वार स्यामी नदी कि ढ़ालान में जाता हैं. जिसे देखकर ऐसा लगता है कि यह मार्ग नदी से पानी लाने या स्नान करने जाने के लिए रखा था.

इसके अलावा मैने किले में पानी के फवबारें,स्नान कुंड​, तोपे और दशहरा मैदान जैसी कई पूरानी जगहों को देखा. स्यामी नदी के एक किनारे की दो पहाड़ियों के बीच एक गुफां के अन्दर शिवलिंग स्थापित हैं. जिसे महादेव की गुफा के नाम से जाना जाता हैं.

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मकड़ाई के दर्शनिय स्थल​:

इस किले का भ्रमण करने के बाद मैंने यहां पर देखने कि कुछ अच्छी जगहों कि सुची तैयार की हैं. जिनके बारे में आप लोगों को विस्तार से बता रहा हूँ. तो आइए जानते है मकड़ाई के किले में देखने योग्य इन बेहतरीन जगहों के बारे में.

मकड़ाई किले का प्रवेश द्वार-1

यह मुख्य प्रवेश द्वार है जो कि किले में प्रवेश करने के पहले ही आपको नजर आता हैं. इस प्रवेश द्वार से ही आप किले के अन्दर आते हैं. ईंट​,बड़े-बड़े पत्थर​,लकड़ी और रेल से मिलकर बना यह द्वार 35 फिट लंबा और 50 फिट चौड़ा है.

द्वार को देखने पर मैंने पाया कि इसे प्रवेश द्वार के अलावा पहरेदारी के लिए भी बनाया गया था. क्योंकि इसके अन्दर के हिस्से से द्वार पर चढ़ने का रास्ता भी हैं. जहां से दूर​-दूर तक का नजरा दिखाई देता हैं.प्रवेश द्वार को बिना किसी आकर्षण के बेहद साधारण सा दिखने वाला बनाया है.

मकड़ाई किले की तोप

किले में राम मंदिर के सामने ही आपको पूरानी दो तोप भी देखने को मिलती हैं. तोप के बारे में जब कुछ लोगों से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि इन्हें तमंचे भी कहां जाता हैं.

इनमे से एक तोप की दोनों तरफ की प्लेट पर शेर का चिन्ह अंकित हैं. जिसके आगे के दोनों हाथों में प्रथ्वी का चित्र दिखाई देता हैं. यह तोप लोहे से बने हुए पहिए के उपर रखी हुई है जो कि आधे जमीन के अन्दर धसे हैं.

वहीं दूसरी तोप लम्बाई में पहली तोप से थोड़ी छोटी है लेकिन बेहद अधिक मोटी और भारी हैं.यह तोप सगौन कि लकड़ी से बने हुए मोटे पटिए और लोहे के पहिए से बनी गाड़ी पर रखी है.

मकड़ाई किले का द्वार-2

किले में मौजूद कुछ सुरक्षित चीजों में एक द्वार न​. 2 भी शामिल हैं. जो कि किले के बाहरी हिस्से में पहाड़ी के किनारे में स्थित हैं. मज्जिद नुमा शैली में बनाया गया यह द्वार संभवत नदी में आने जाने के लिए बनाया गया होगा.

क्योंकि यह किले के आखिरी हिस्से में बना हैं. इसके बाद यहां से स्यामी नदी पर जाने का रास्ता हैं. इस द्वार के अन्दर के दाएं और बाएं दोनों तरफ तीन-तीन मज्जिद कि तरह गेट दिखाई देते हैं.

यह पूरे किले का सबसे चर्चित द्वार माना जाता हैं. क्योंकि जब हमने यहां के स्थानिय लोगों से इस बारे में पता किया था. तब​ उन्होंने बताया कि यहां पर आने वाले पर्यटन सबसे पहले इसी गेट पर आना पसंद करते हैं. और यही से पूरे पहाड़ियों व किले का सुंदर नजारा देते हैं.

मकड़ाई किले की गुड़ी

किले की गुड़ी प्रवेश द्वार-1 से अंदर जाते ही दशहरा मैदान के समक्ष पहाड़ी के किनारे पर हैं. पत्थर और ईंट से बनी हुई यह 20 फिट ऊंची है जिसके उपरी किनारों पर रेलिंग लगी हुई हैं.यहां से उत्तर दिशा में बहती हुई स्यामी नदी कि तरफ का नजारा साफ देखा जा सकता हैं.वर्तमान में यह गुड़ी पर्यटकों के लिए एक सेल्फी पाॅइंट के नाम से जानी जाती हैं.

हरदा के मुख्य पर्यटन मकाड़ाई कैसे पहुंचे

किले पर जाने के लिए सबसे पहले सिराली जाना होता हैं. जहां पर जाने के लिए आपको हरदा जिले से बस मिल जाती हैं. लेकिन मकड़ाई के किले तक जाने के लिए कोई वाहन नहीं चलते हैं. इसलिए आपको अपने पर्सनल साधन से जाना चाहिए.

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7. गोराखाल झरना हरदा का प्राकृतिक पर्यटन स्थल

हरदा से 45 किलोमीटर कि दूरी पर मौजूद Gorakhal Waterfall इन दिनों शहर का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल हैं. झरना गोराखाल गाँव के मुख्य कस्बें से 200 मीटर कि दूरी पर हैं.

झरने में प्रवेश करने के लिए वनविभाग के द्वारा गोराखाल गांव में एक मुख्य प्रवेश गेट बनाया गया हैं. जिस पर ईको पर्यटन स्थल गोराखाल जलप्रपात लिखा हुआ नजर आता हैं.

इस गेट से प्रवेश करते है तो एक कस्बे (ढ़ाने) से होकर कुछ ही समय में आप झरने पर पहुंच जाते हैं. यह ऊँची पहाड़ी है जिस पर बारिश के दिनों में पहाड़ों से बहकर आते हुए पानी से झरने का निर्माण होता हैं.

गोराखाल झरने के निकट आपको दूर तक फैली हुई हरे घास कि चादर बिछी हुई नजर आती हैं. झरने से बहता हुआ पानी आगे जाकर नदी में ही शामिल होता हैं.जब आप झरने के निकट जाते है तो रास्ते में एक दर्शनिय पाॅइंट नजर आता हैं. जहां से आप इस झरने और दूर तक फैले हुए पहाड़ों कि खूबसूरती को देख सकते हैं.

गोलाकार आकृति में बने हुए इस दर्शनिय पाॅइंट को लकड़ी से डिजाईन किया गया हैं. इसका निर्माण संभवत बारिश से बचने के लिए और झरने को देखने के लिए बनाया गया हैं.

गोराखाल झरना देखने कब जाएं?

जुलाई से अक्टूबर तक​

हरदा के मुख्य पर्यटन गोराखाल झरना कैसे जाएं?

झरने तक जाने के लिए सबसे पहले आपको हरदा जिले की रहटगाँव तहसील जाना होता हैं. रहटगाँव से गोराखाल 22 किलोमीटर कि दूरी हैं. गोराखाल झरने पर जाने के लिए रहटगाँव से बस चलती हैं.

8. शिव करूणाधाम मंदिर हंडिया

हम आपको अब हरदा जिले के एक नवोदित पर्यटन स्थल शिव करूणाधाम मंदिर के बारे में बता रहे है जो इन दिनों काफि चर्चा में हैं. यह भगवान शिव जी को समर्पित एक मंदिर है जिसे ऐतिहासिल शैली में बनाया गया हैं. यह मंदिर हरदा जिले कि हंडिया तहसील के पूर्व में नर्मदा नदी के किनारे में स्थापित हैं. एक छोटी सी पहाड़ी पर होने की वजह से यह इसे दूर से भी देखा जा सकता हैं.

करूणाधाम मंदिर कि सुंदरता और यहां का वातावरण इस जगह को प्रसिद्ध बनाता है. इसलिए यहा हंडिया आने वाले व्यक्ति यहां पर आना जरूर पसंद करते हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए छोटे वन्य श्रेत्र से होकर गुजरना पड़ता है जो आपको किसी हिल स्टेशन कि याद दिला सकता हैं.

शिव करूणाधाम मंदिर के खुलने का समय​

प्रात: 8:00 बजे 11:00 बजे तक और सायं: 3:00 बजे से 7:00 बजे तक​

शिव करूणाधाम मंदिर तक कैसे जाएं?

मंदिर तक जाने के लिए सबसे पहले आपको हंडिया जाना होता हैं. हंडिया के मुख्य बाजार से पूर्व कि तरह करीब 3 किलोमीटर कि दूरी पर हैं. जहां तक जाने के लिए बाजार चौक के ऑटो और रिक्सा सभी तरह के साधन मिल जाते हैं. इसके अलावा आप यहां पर पैदल चलकर भी जा सकते हैं.

मुझे उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख हरदा के मुख्य पर्यटन पसंद आया होगा.मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मैं आप लोगों को हरदा के बेहतरीन पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी दूं.जिससे आपको हरदा के पर्यटन स्थल देखने के लिए किसी अन्य लेख किसी आवश्यकता नहीं हैं.

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