Best 10 Tourist Places in Bhopal

Tourist Places in Bhopal, भोपाल शहर का मेरे जीवन से बेहद अहम रिस्ता रहा है क्योंकि मैने अपनी जिंदगी के चार साल यहां पर गुजारे हैं.मैंने साल 2011 से 2015 तक यहां पर रहकर काॅलेज कि पढ़ाई कि थी.भोपाल में मैने अशोका गार्डन​,जहांगीराबाद​,जिंसी और पिपलानी जैसी जगह पर रूम लेकर काफि अच्छा समय बिताया हैं.भोपाल मध्यप्रदेश कि राजधानी होने के साथ राज्य का सबसे बड़ा शहर भी हैं.यह शहर पहाड़ों,ढ़लानो व झीलों से मिलकर बना हुआ हैं.भोपाल में छोटी बड़ी कई खूबसूरत झीलों का निर्माण हुआ है जिसकी वजह से यहां के स्थानिय लोग इसे झीलों कि नगरी भी कहते हैं. इसलिए मैं आप लोगों को भोपाल में घूमने की जगह के बारे में बता रहा हू जो यहां पर बेहद खास मानी जाती हैं.

मेरी जानकारी के आधार पर भोपाल शहर का नाम यहां के राजाभोज के नाम पर रखा गया हैं.राजाभोज ने यहां पर काफि समय तक राज किया था जिनकी झलक आज भी भोपाल में देखने को मिलती हैं.भोपाल शहर राज्य में पर्यटन के अलावा शिक्षा और व्यापार का इंदौर के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर हैं.यहां पर कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है जिनमे शिक्षा ग्रहण करने के लिए भारत के अलावा विदेशी स्टूडेंट भी आते हैं.भोपाल में ज्यादातर पर्यटन स्थलों पर स्टूडेंट भी भीड़ काफि अधिक देखने को मिलती हैं.

भोपाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल​/Best Tourist Places In Bhopal

मेरे काॅलेज के दिनों में छुट्टियों के समय मैंने दोस्तों के साथ यहां कि सभी अच्छी जगह देखी है जिनके बारे में आज मैं आप लोगों को बता रहा हूँ.मेरे नजरिए से यदि देखा जाये तो पूरा भोपाल शहर ही घूमने फिरने के लिए काफि अच्छा हैं.

भोपाल में एमी नगर​,जहांगीराबाद​,न्यू मार्केट किसी भी जगह पर चले जाए आपको बोरियत महसूस नहीं होगी.लेकिन मैं आप लोगों को भोपाल के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के बारे में बता रहा है जो न सिर्फ मेरी सबसे पसंदीदा जगह है बल्कि भोपाल वासियो और यहां पर पढ़ाई करने के लिए आने वाले स्टूडेंट की भी पसंदीदा जगह हैं.तो आइए जानते है भोपाल में घूमने की इन जगहों के बारे में.

1. Lake View

जब मैं पहली बार भोपाल गया था तब मुझे लेक व्यू के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था मुझे सिर्फ बड़े तालाब के बारे में ही जानकारी थी.लेकिन जब कालेज में मेरे कुछ भोपाल के दोस्त बने जिन्होंने मुझे लेक व्यू के बोट क्लब,संडे स्पेशल और न्यू ईयर पर होने वाली शानदार पार्टियों के बारे में बताया तो मुझसे रहा नहीं गया.इसके बाद मैं दोस्तों के साथ अक्सर लेक व्यू पर घूमने के लिए जाता रहता था.

लेक व्यू बड़े तालाब के बाएं तरफ श्यामला हिल कि पहाड़ी के नीचले हिस्से हैं.लेक व्यू कि शुरूआत मुख्यमंत्री बंगले के निकट से होती है जो 1 किलोमीटर तक फैला हुआ हैं.बड़े तालाब से मिलकर ही लेक व्यू का निर्माण होता है जहां पर लोगों के मनोरंजन कि लगभग सभी चीजें मिलती हैं.लेक के आकर्षण में बोट क्लब कि बेहद अहम भुमिका है जो कि तालाब के किनारे पर बना हुआ हैं.बोट क्लब में पैडल बोट​,मोटर बोट​,जलपरी और क्रूज बोट जैसे कई एडवेंचर क्रार्यक्रम होती हैं.

बोट क्लब के निकट ही भोजताल जंक्शन बना हुआ है जहां पर आपको कोयले से चलने वाली पूरानी ट्रैन का इंजन देखने को मिलता है जिसे लोगों को आकर्षित करने के लिए रखा गया हैं.काले रंग से रंगे हुए इस ट्रैन के इंजन को 2 फिट ऊंचे प्लेट फार्म पर रखा हैं.इस इंजन के निकट ही एक लकड़ी से बना हुआ एक आर्टिफिशल गिटार और पानी के बोटल से बना हुआ ग्लोब देखने को मिलता है जिसने निकट लोग अक्सर फोटे लेते हुए नजर आते रहते हैं.लेक व्यू के किनारे रेलिंग के निकट कई रेस्टोरेंट​,होटल,आइसक्रीम​,जूस​,पानीपुरी और बच्चों के खिलौने कि दुकाने लगी है जिसकी वजह से यहां का माहौल किसी मेले का लगता हैं.

बड़े तालाब में शाम को बोट में बैठकर घूमना और यहां के व्यंजनों का लुफ्त लेने के लिए प्रतिदिन यहां लोगों कि बेहद अधिक भीड़ देखने को मिलती हैं.दिन के समय यहां पर इतनी अधिक भीड़ देखने को नहीं मिलती लेकिन शाम होते ही लोगों का आना शुरू हो जाता हैं.

बड़े तालाब में घूमती हुई पैडल बोट और क्रूज बोट का नजारा किसी समुद्री बीच का दृश्य दिखाई देने लगता हैं.लेक व्यू से 500 मीटर कि दूरी पर ही बड़े तालाब के बीच में टापू पर एक दरगाह है जो भी नौका विहार करते है वे यहां पर जरूर जाना पसंद करते हैं.दरगाह से लेक व्यू व बड़े तालाब का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता हैं.

लेक व्यू कब जाएं:

वैसे तो किसी भी दिन जा सकते है लेकिन रविवार को छुट्टी की वजह से बेहद अधिक लोग जाते हैं.

लेक व्यू के खुलने का समय​:

सुबह 06:00 बजे से रात्रि 12:00 बजे तक​

लेक व्यू के विशेष कार्यक्रम एंव पार्टी:

न्यू ईयर
क्रिसमस​
होली

लेक व्यू जाने की टिकट​:

Free

वाहन टिकट​:

कार​/आटो/चार पहिया वाहन​- 20/-
स्कूटर/दो पहिया वाहन- 10/-
सायकल​- 5/-

बोट क्लब की टिकट​:

नोट​-तीन वर्ष से ऊपर बच्चे का फुल टिकट लगेगा

1. पैडल बोट (दो व्यक्ति)150/-
(आधा घंटा)
2. मोटर बोट (2 व्यक्ति)300/-
(एक राउंड​)
3. जलपरी डोलफिन (अधिकतम 9 व्यक्ति)1700/-
(15 मिनट​)
4. क्रूज बोट (अधिकतम 40 व्यक्तियों के लिए)अपर डेक के लिए प्रति व्यक्ति- 170/-
ओपन डेक के लिए प्रति व्यक्ति- 170/-
ए सी लो-अर डेक के लिए प्रति व्यक्ति- 250/-
अपर डेक ए सी लो अर डेक- 250/-
5 से 10 वर्ष के बच्चे तक​- 75/-
(45 मिनट का राउंड​)
5. लांसर (6 व्यक्तियों के लिए)1700/-
(एक राउंड​)
बोट क्लब रेट लिस्ट​

लेक व्यू की खास बात​:

श्यामला हिल की पहाड़ी और बड़े तालाब के किनारे पर मौजूद होने कि वजह से यहां कि सुंदरता देखने लायक रहती हैं.शाम के समय रोशनी से जगमती सड़के, तालाब के फव्वारें और चारों तरफ चहल​-पहल सभी को अपनी ओर खिंचती हैं.

लेक व्यू क्यों जाएं:

दिनभर के काम कि थकान दूर करने के लिए और परिवार व दोस्तों के साथ मौज मस्ती करने के लिए लेक व्यू एक अच्छी जगह हैं.जिन लोगों को एडवेंचर व नौका विहार का शौक है उनके लिए यह जगह काफि अच्छी हैं.

लेक व्यू घूमने में कितना समय लगता हैं?

2 से 3 घंटे

लेक व्यू कैसे जाएं:

भोपाल के किसी भी रेलवे और बस स्टैंड से बड़े तालाब या श्यामला हिल जाने के लिए बस मिल जाती हैं.श्यामला हिल से 1 किलोमीटर कि दूरी पर लेक व्यू है जहां पर जाने के लिए टैक्सी व ऑटो मिल जाते हैं.

लेक व्यू का पता:

कमला नेहरू पार्क व श्यामला हिल से 1 किलोमीटर कि दूरी पर पश्चिम कि दिशा में

ठहरने की व्यवस्था एंव भोजन​:

रंजीत रेस्टोरेंट व होटल​

लेक व्यू जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:

  • क्रिसमस व न्यू ईयर के दिन लेक व्यू अवश्य जाएं.
  • शाम के समय पैडल बोट से नौका विहार पर जरूर जाएं.
  • लेक व्यू पर मिलने वाले तरह​-तरह के व्यंजनों लुफ़्त जरूर लें.
  • दिन में लेक व्यू पर ज्यादा रोनक नहीं रहती है इसलिए हो सके तो शाम को जाएं.
  • वैसे तो यहां पर पार्किंग कि अच्छी जगह है लेकिन रविवार को भीड़ काफि अधिक होती है जिसकी वजह से वाहन पार्क करने में काफि परेशानी होती हैं.

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2. Van vihar Bhopal

श्यामला हिल के जिस पहाड़ी हिस्से से लेक व्यू खत्म होता है उसकी कुछ ही दूरी से वन विहार कि शुरूआत होती हैं.वन विहार कालेज से समय से ही मेरी सबसे पसंदीदा जगह हुआ करता था.वन विहार पूरी तरह से बड़े तालाब के किनारे से होता हुआ अर्धचन्द्राकार में श्यमला हिल के पश्चिमी भाग में हैं.लेक व्यू से शुरू होते हुए यह 7 किलोमीटर लंबा फैला हुआ हैं.

वन विहार में प्रवेश के लिए दो गेट है पहला लेक व्यू से शुरू होता है तो दूसरा पॉलिटेक्निक चौराहे से शुरू होता हैं.इससे पहले मैंने कई फिल्मों और किताबों में वन विहार के बारे में पढ़ा व देखा था लेकिन इसे देखने का अवसर मुझे पहली बार मिला था.वन विहार में जहां एक तरफ कई सुंदर वन्य जीव देखने को मिलते है तो वही इसकी दूसरी तरफ दूर तक फैले हुए बड़े तालाब के पानी का शानदार नजारा देखने को मिलता हैं.वन विहार का दूसरा हिस्सा पश्चिम कि ओर है जिसकी वजह से जब सूर्यअस्त होता है तो इसकी सुंदरता ओर भी अधिक शांति प्रदान करने वाली होती हैं.

शाम के समय वन विहार में मौज मस्ती करते वन्य जीव,डुबते हुए सूरज का नजारा और बड़े तालाब में नौका विहार करते पर्यटकों का दश्य सुकून के पल प्रदान करता हैं.मैंने अपनी वन विहार कि पहली यात्रा के दौरान यहां के कई वन्य जीव शेर​,सफेद बाघ​,मगरमच्छ,सर्प और भालू जैसे कई जीवों को देखा था.

वन विहार के मुख्य आकृर्षण​| Best Visited Places In Van Vihar

वैसे तो मैं पहले कई बार वन विहार जा चुका था लेकिन इस बार बारिश के दिनों में गया था जो अनुभव मेरे लिए काफि अच्छा रहा था.इस दौरान मैंने यहां पर देखें जाने वाले वन्य जीवों के बारे में जाना जिनके बारे में मैं आप लोगों को बता रहा हूँ.

लकड़बग्घा

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लकड़बग्घा कुत्ते कि तरह दिखने वाला एक मांसाहारी जानवर होता हैं.जब आप लेक व्यू से शुरू होने वाले गेट से प्रवेश करते है तो वन विहार कि शुरूआत लकड़बग्घा से होती हैं.वन विहार में लकड़बग्घा के सरंक्षरण के लिए करीब 1 एकड़ के पहाड़ी क्षेत्र में तारों से रेलिंग बनाई गई है जिसमे उन्हें रखा जाता हैं.बारिश व धूप से बचाव के लिए यहां पर एक छोटा घर भी बनाया गया हैं.लकड़बग्घा को देखने के लिए सड़क के किनारे पर भी रेलिंग लगी है जिसके बाहर से ही उन्हें देखा जाता हैं.

गौर​

लकड़बग्घा देखने के बाद जब आप कुछ दूरी पर जाते है तो आपको गौर देखने को मिलता हैं.भारतीय गाय के समान देखने वाला गौर एक बड़ा जीव है जो वजन में 1000 किलो से अधिक का होता हैं.वन विहार में गौर का संरक्षण केंद्र मुख्य सड़क से 30 फिट कि दूरी से शुरू होता हैं जो कि 3 से 4 एकड़ भुमि में फैला हुआ हैं.गौर के संरक्षण एरिया में ऊंची-नीची ढ़लानों के बीच लड़की से बनी मुंडेर बनी है.हालांकि वन विहार में गौर काफि कम ही दिखाई देता है क्योंकि इसका संरक्षण क्षेत्र अधिक होने कि वजह से यह बीच जंगल में चले जाते हैं.

लायन बाड़ा

गौर से कुछ ही मिनट कि दूरी पर है लायन बाड़ा जहां पर आपको भारतीय शेर देखने को मिलते हैं.लायन बाड़ा भी मुख्य रोड़ से करीब 35 फिट से दूरी से शुरू होता है जिसमे प्रवेश के लिए एक मार्ग है जो लायन बाड़ा कि रेलिंग तक जाता हैं.लायन बाड़ा को शेर के संरक्षण के लिए बनाया गया है जिसमे खुला मैदान, वन क्षेत्र​, झाड़िया और गुफाएं बनाई गई हैं.

लायन बाड़ा कि रेलिंग के बाहर एक सुचना बोर्ड भी लगा है जिसमे शेर जीवन काल से जुड़ी हुई जानकारी पढ़ने को मिलती हैं.लायन बाड़ा बाहर ऊंचे-ऊंचे घास और विश्राम करने के लिए बैठकर व्यवस्था भी है जिसकी वजह से यह किसी जंगल कि तरह दिखाई देता हैं.लायन बाड़ा में ज्यादातर शाम के समय शेर देखें जा सकते हैं.क्योंकि इस समय इनके भोजन का समय होता हैं.

भालू

वन विहार में भालू अन्य जंगली जीवों कि बजाय बेहद आसानी से देखें जाने वाला जीव हैं.क्योंकि भालू ज्यादा खतरनाक नहीं होते है इसलिए इसे एक खुली जगह पर रखा गया हैं.मैंने अपने अभी तक के जीवन में फिल्मों व टीवी के अलावा पहली बार यहां पर किसी भालू को इतनी नजदीक से देखा था.भालू को देखकर पता चलता है कि ये बेहद आलसी किस्म का जीव होता है जो हमेशा अपने खान पान और आराम पर ध्यान देता हैं.

भालू, लायन बाड़ा से 100 मीटर कि दूरी पर मुख्य मार्ग पर एक संरक्षण ग्रह में जिसके किनारें पर 20 फिट ऊंची जाली लगी हुई हैं.भालू का संरक्षण क्षेत्र पत्थरीला और पहाड़ी के समान है जिसमे उनके रहने के लिए गुफानुमा घर भी बनाया गया हैं.

तेंदुआ

दोस्तों यदि आपने अभी तक पास से तेंदुआ नहीं देखा है तो आपको भोपाल के इस वन विहार में जरूर जाना चाहिए.जहां से भालू का संरक्षण एरिया खत्म होता है उसके नजदीक से ही तेंदुआ का शुरू होता हैं.तेंदुआ को वन विहार में एक 5 फिट ऊंची पहाड़ी पर 60 फिट चौड़े और 25 फिट लंबे संरक्षण क्षेत्र में रखा गया हैं जिसमे 30 फिट ऊंची तारों कि रेलिंग लगी हुई हैं.यहां पर तेंदुआ को साफ तौर पर देख सकते हैं.तेंदुए को धूप व बारिश से बचने के लिए इसमे छोटी-छोटी गुफा और घने पेड़ लगाए ग​ए हैं.

सफेद टाइगर​

तेंदुआ के संरक्षण क्षेत्र से 500 मीटर कि दूरी पर सफेद टाइगर का इलाका हैं.सफेद टाइगर का संरक्षण क्षेत्र वन विहार के अन्य जीवों से बेहद अलग और विशाल हैं.इसके संरक्षण क्षेत्र तक जाने के लिए 50-50 फिट कि दूरी पर दो प्रवेश मार्ग बनाए ग​ए है जिनके बाहर नीम और कहू के कई पेड़ लगे है जो किसी घने जंगल का आभास कराते हैं.

वही सफेद टाइगर का संरक्षण एरिया भी वांस​,गोंदी व अन्य झाड़ियों से मिलकर बनाया गया हैं.यह बेहद घना होने कि वजह से यहां पर सफेद टाइगर बेहद कम ही देखें जाते हैं.लेकिन सुबह जब फ़ारेस्ट गार्ड द्वारा इन्हें मांस दिया जाता है तब सफेद टाइगर को देखा जा सकता हैं.

स्नेक पार्क​

जब मैं पहली बार 2012 में वन विहार आया था तब यहां पर स्नेक पार्क नहीं हुआ करता था. स्नेक पार्क का निर्माण 20 फरवरी 2017 को किया गया था.स्नेक पार्क में जाने के लिए लोहे से एक गोलाकार प्रवेश गेट बनाया गया है जिसकी दिवारों पर हरी-भरी बेले और पेड़ लगाए गए हैं.

यहां पर आपको कई प्रजाति के विषैले सर्व देखने को मिलते हैं.स्नेक पार्क में सामान्य नाग​,धामन,रसल वाईपर और भारतीय शेल अजगर देखे जा सकते हैं.स्नेक पार्क में ही आपको एक विशाल आर्टिफिशियल चुहा देखने को मिलता है जिसे प्लास्टिक,कागज और लकड़ी से बनाया गया हैं.

घड़ियाल

वन विहार के दूसरे गेट से 400 मीटर कि दूरी पर घड़ियाल का तालाब हैं.यह तालाब 2 एकड़ भूमि में बना हुआ है जिसमे सुखी जगह और बबुल के पेड़ लगे हुए हैं.वैसे तो यहां पर घड़ियाल ज्यादातर पानी में ही देखें ग​ए है लेकिन कभी कभी बबुल के पेड़ के निकट सुखी जगह पर भी आकर एक लंबा समय धूप सेकते हुए दिखाई देते हैं.

मैंने भी घड़ियाल को पहली बार यही पर देखा था जो कि अपना मुंह खोले हुए एक लंबे समय एक ही मुद्रा में नजर आ रहा था. उसे देखकर मुझे ऐसा लगा कि शायद यह मिट्टी से बना हुआ आर्टिफिशियल है लेकिन कुछ देर के बाद जब उसने पानी में तेजी से छंलाग लगाई तब मुझे उसकी फुर्तिलेपन का अहसास हुआ.

वन विहार कब जाएं:

किसी भी समय जाया जा सकता हैं.

वन विहार खुलने का समय​:

सुबह 06:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक​

अवकाश​:

प्रत्येक शुक्रवार​,दीपावली,होली एंव रंग पंचमी पर बंद रहता हैं.

प्रवेश टिकट​:

Note:

1.वन विहार बंद होने के निर्धारित समय से 30 मिनट पहले टिकट घर बंद हो जावेगा.
2.पांच साल से बड़े बच्चे का पूरा टिकट लगेगा
3.वन विहार सोसायटी द्वारा घूमने के लिए किराये कि साईकल उपलब्धं हैं.
प्रति व्यक्ति साईकिल किराया- 10/-
अमानत राशि प्रति व्यक्ति साईकिल 50/- जमा करना जरूरी हैं.

1. पैदल/साईकल प्रति व्यक्तिRs 20/- एंव​ Rs 30/-
2. दो पहिया वाहन (दो व्यक्ति)Rs 60/-
3. ऑटो रिक्शा (चार व्यक्ति)Rs 120/-
4. कार​,जीप व जिप्सी (8 व्यक्ति)Rs 400/-
5. मिनी बस (20-25 व्यक्ति चालक सहित​)Rs 1000/- एंव​ Rs 2000/-
6. व्यवसायिक फोटोग्राफी वीडियो कैमरा (प्रतिदिन प्रति व्यक्ति)Rs 7500/-
वन विहार में प्रवेश शुल्क की दरें

वन विहार घूमने में कितना समय लगता हैं?

3 से 4 घंटे

वन विहार के निकटतम मशहूर जगह​:

लेक व्यू और सैर सपाटा

वन विहार क्यों जाएं:

यहां पर आप लोगों को विलुप्त प्रजाति के न सिर्फ कई देशी-विदेशी वन्य जीव देखने को मिलते है बल्कि बड़े तालाब से लगे हुए हरे-भरे जंगल का शांत वातावरण भी देखने को मिलता हैं.वन विहार भ्रमण के दौरान बड़े तालाब के किनारें पर लगे पेड़ों के नीचे बैठकर सुकून के पल बिताया एक बेहतरीन अनुभव हैं.

वन विहार कैसे जाएं:

भोपाल शहर में किसी भी जगह से वन विहार जाने के लिए बस​,कार,टैक्सी और आटो सभी तरफ के साधन बेहद आसानी से मिल जाते हैं.

वन विहार में नास्ते व भोजन व्यवस्था:

Treat Point स्नेक पार्क के सामने

वन विहार जाने वालों के आवश्यक जानकारी:

  • जंगली वन्य जीवों की किसी भी तरह से छेड़खानी न करें.
  • यहां पर शाम को ज्यादा अच्छा लगता है और वन जीव भी शाम को अधिक देखें जाते हैं.
  • वन विहार 7 किलोमीटर में फैला है इसलिए यहां पर अपने वाहन से जाना ज्यादा बेहतर हैं.
  • यहां पर फोटोग्राफी के लिए काफि अच्छी लोकेशन है इसलिए अच्छा केमरा लेकर जरूर जाएं.
  • वन विहार का भ्रमण कराने के लिए यहां पर कोई गाइड नहीं है इसलिए पहले से कुछ जानकारी होनी जरूरी हैं.

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3.Sair Sapata Bhopal

पहली बार सैर सपाटा मैं अपनी काॅलेज की दोस्त प्रीति के साथ साल 2012 में गया था उस समय यह अपनी निर्माण अवस्था में था.उन दिनों यहा पर एक ब्रिज​,गार्डन​,बोट क्लब और रेस्टोरेंट के अलावा कुछ नहीं था लेकिन अब यहां पर बच्चों व यूवाओं के मनोरंजन कि लगभग सभी सुविधाएं मौजूद हैं.सैर सपाटा वन विहार के निकट ही प्रेमपुरा में स्थापित हैं जो बड़े तालाब के एक किनारे व छोटी सी पहाड़ी से मिलकर बना हुआ हैं.

सैर सपाटा कि स्थापना मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा 28 सितम्बर 2011 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा कि गई थी.सैर सपाटा में प्रवेश गेट के बाहार वाहन पार्किंग के लिए न सिर्फ काफि जगह है बल्कि एक बड़ा मैदान भी है जहां पर खुले में लोग एक अच्छा समय व्यतित कर सकते हैं.सैर सपाटा को दो भाग में मिलकर बनाया गया है जो एक दूसरे से एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ के द्वारा जुड़े हैं.जैसे ही आप इसके मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर जाते है तो एक एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ कि शुरूआत होती है जिसे लंदन ब्रिज से प्रेरित होकर बनाया गया है यह आपको इसके दूसरे भाग पर लेकर जाता हैं.

इस संपुर्ण जगह का निर्माण सभी वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर किया गया हैं इसलिए यहां पर मनोरंजन के लिए कई अच्छी चीजें हैं.वैसे तो सैर सपाटा खुलते ही यहां पर दिनभर लोगों का आना जाना लगा रहता है लेकिन जैसे शाम को सुहाना मौसम होता है तो पर्यटकों की भीड़ बढ़ने लगती हैं.शाम होते ही यहां पर स्थानिय लोग​,दोस्तों का ग्रुप और यूवा प्रेमियों की लाईन सी लग जाती हैं.

वही रविवार के दिन तो ऐसा लगता है कि यहां पर किसी मेले का आयोजन किया गया हैं.सरकारी छुट्टी कि वजह से रविवार को यहां पर बेहद अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं.रविवार के दिन वन विहार व लेक व्यू के बाद मैंने भोपाल में इसी जगह पर सबसे अधिक भीड़ देखी हैं.

सैर सपाटा के प्रमुख आकृर्षण​/Top Visited Places In Sair Sapata

कालेज के दिनो में वैसे तो मैं कई बार सैर सपाटा जा चुका था लेकिन हाल ही में एक बार फिर मुझे यहां पर जाने का मौका मिला तो मैंने देखा कि यह पहले से ओर अधिक आकर्षित हो चुका हैं.इसलिए मैंने यहां पर देखें जाने वाली कुछ खास चीजों कि लिस्ट बनाई हैं जिनके बारे में मैं आपको बता रहा हूं.तो आइए विस्तार से जानते है यहां पर घूमने की कुछ अच्छी जगह के बारे में.

एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​

सैर सपाटा का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ है जिसे लंदन ब्रिज को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं. एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ सैर सपाटा में प्रवेश गेट से अंदर जाते ही शुरू होता है जो इसके दुसरे भाग तक लेकर जाता हैं.यह ब्रिज लगभग 200 मीटर लंबा है जो 100 फिट ऊंचे चार (दो आगे व दो पीछे) बिम्ब पर खड़ा हैं.

इस ब्रिज के ऊपर से न सिर्फ पूरे सैर सपाटा को देखा जा सकता है बल्कि झील के पूर्वी-पश्चिम भाग को भी आसनी से देख सकते हैं.एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ के नीचे से झील पश्चिम भाग से निकलकर पूर्वी भाग में बहती हुई जाती हैं.इस ब्रिज के बीच से सूर्योदय और सूर्यअस्त का नजारा देखा जा सकता है जो मनोरम दिखाई देता हैं.एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ से झील में नौका विहार करते हुए पर्यटकों का खूबसूरत नजारा भी दिखाई देता हैं.

किड्ज़ ज़ोन​

एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज​ का दूसरा हिस्सा जहां पर खत्म होता है उसके सामने ही किड्ज़ ज़ोन है जो बच्चों के मनोरंजन के लिए सबसे अच्छी जगह हैं.किड्ज़ जोन चतुर्भुज आकार में 20 फिट चौड़ा और 150 फिट लंबा बना है जिसमे बच्चों के मौज मस्ती और मनोरंजन के लिए ट्रैकिंग पाॅइंट​,झूले,फिसलपट्टी,पानी के फव्वारें,बाल उद्यान और गोलाकार झुले जैसी कई शानदार चीजें मौजूद हैं.

इस किड्ज़ ज़ोन के चारों तरफ गुलाब और जायसोन के पौधो के आलावा नीम​, नीलगिरी और अन्य सजावटी पेड़ लगे है जो इस जगह कि सुंदरता को बड़ाते हैं.बच्चों का आकृर्षण बढ़ाने के यहां पर चलने वाली टाॅय ट्रैन किड्ज़ ज़ोन के चारों तरफ से होकर गुजरती हैं.

व्यू पाॅइंट्स​​

सैर सपाटा में व्यू पाॅइंट्स एक ऐसी जगह है जहां पर एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज,झील और आसपास के वन क्षेत्र कि सुंदरता को देखा जा सकता हैं. सैर सपाटा में तीन व्यू पाॅइंट्स बनाए गए है जिनमे पहला व्यू पाॅइंट्स,एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज के दूसरे भाग के दाएं तरफ है तो वही दूसरा व तीसरा व्यू पाॅइंट्स ब्रिज के बाएं तरफ बनाएं गए हैं जो कि बोट क्लब के काफि नजदीक में हैं.पेड़ो और झाड़ियों के बीच में बने व्यू पाॅइंट्स से पूरे ब्रिज को एक साथ देखा जा सकता है और शानदार फोटोग्राफी ली जा सकती हैं.

सैर सपाटा जंक्शन​

ब्रिज के दूसरे भाग के दाएं तरफ सैर सपाटा जंक्शन है जो कि वृह्द रूप में फैला हुआ हैं.इस सैर सपाटा जंक्शन इसलिए कहां जाता है क्योंकि यह टाॅय ट्रैन का स्टेशन हैं.यहां से निकलकने वाली टाॅय ट्रैन सैर सपाटा के चारों तरफ से होकर गुजरती हैं.इस टाॅय​ ट्रैन में तीन डब्बे लगे हुए है जो चारों तरफ से खुले है और उनके ऊपर धूप व बारिश से बचने के लिए छत लगी हैं.

टाॅय​ ट्रैन का इंजन पूराने समय में कोयले से चलने वाली ट्रैन के इंजन के लुक में दिखाई देता हैं जिसके ऊपर धुआ निकलने के लिए एक चिमनी भी लगी हैं.सैर सपाटा जंक्शन में ही आपको रेस्टोरेंट​,छोटे-छोटे गार्डन​,झूले,विश्राम ग्रह और जंगल क्षेत्र घूमने के लिए मिलता हैं.

टाॅय ट्रैन की टिकट​:

प्रति व्यक्ति (व्यस्क​)- 20/-
प्रति बच्चे – 10/-

बोट क्लब​

सैर सपाटा जंक्शन के निकट ही बोट क्लब है जो झील के किनारें पर बना हुआ हैं.हालांकि यह बोट क्लब भोपाल के अन्य बोट क्लब कि अपेक्षा ज्यादा बड़ा नहीं है लेकिन यहां पर सुविधाएं बेहद अच्छी हैं. इस बोट क्लब में आपको पैडल बोट और शिकारा नौका विहार के लिए मिलती हैं.शिकारा और पैडल बोट में चार​-चार व्यक्ति बैठकर इस झील को घूम सकते हैं.बोट क्लब में पैडल बोट बेहद अधिक पसंद कि जाती है क्योंकि इसमे आप स्वंय इसे चला सकते है और आराम से झील के किनारें घूमा जा सकता हैं.

बोट क्लब टिकट दर​:

पैडल बोट– चार व्यक्ति 90/- (30 मिनट​)
शिकारा- प्रति राउंड​ 300/- (10 मिनट​)

सैर सपाटा जाने का सबसे अच्छा समय​:

सप्ताह में कभी भी जा सकते हैं.

सैर सपाटा खुलने का समय​:

प्रतिदिन​ 11:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक
प्रति मंगलवार शाम 05:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक​

सैर सपाटा में प्रवेश टिकट​:

प्रति व्यस्क​- 30/-
प्रति अवस्यक (5-12 वर्ष​)- 15/-

वाहन पार्किंग टिकट​:

दो पहिया वाहन​- 10/-
चार पहिया वाहन​- 20/-
सायकल​- 5/-

सैर सपाटा घूमने में कितना समय लगता हैं?

2 से 3 घंटे

सैर सपाटा के नजदीक मशहूर जगह​:

न्यू मार्केट 4 किलोमीटर​

सैर सपाटा कैसे जाएं:

भोपाल बस स्टेंड व रेलवे स्टेशन से सैर सपाटा जाने के लिए बस,कार​,टैक्सी और आटो सभी तरह के साधन मिल जाते हैं.

सैर सपाटा का पता:

न्यू मार्केट से 4 किलोमीटर कि दूरी पर दक्षिण दिशा में प्रेमपुरा

सैर सपाटा क्यों जाएं:

परिवार व दोस्तों के साथ शाम का वक्त कुछ अलग और शांति से गुजारने के लिए बेहद अच्छी जगह हैं. यहां पर मौजूद एलाँग पैडेस्ट्रियन ब्रिज बेहद शानदार है जो आपको भोपाल या आसपास के किसी भी शहर में देखने को नहीं मिलता हैं. वही यदि आप लोगों को शिकारा या पैडल बोट में बैठकर शाम को झील में नौका विहार करने का शौक है तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए.

सैर सपाटा जाने वालो के लिए जरूरी सुझाव​:

  • नास्ते व भोजन के लिए रेस्टोरेंट जैसी सभी तरह की सुविधा हैं.
  • वाहन पार्किंग के लिए शुल्क व नि:शुल्क दोनों तरह कि सुविधाएं मौजूद हैं.
  • सैर सपाटा में किसी भी तरह के मादक पदाथ का सेवन करके जाना मना हैं.
  • नौका विहार के दौरान पानी झील में ऊतरने का प्रयास न करें क्यों यह बेहद गहरी हैं.
  • सैर सपाटा में पार्किंग के लिए काफि अच्छी जगह है इसलिए अपने वाहन से जा सकते हैं.
  • शाम के समय यहां पर ओर भी अच्छा लगता है इसलिए हो सके तो शाम को जरूर जाएं.
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4.इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय​

साल 2011 में जब मैं पहली बार मानव संग्रहालय गया था तब मुझे इसकी ज्यादा अहमियत पता नहीं थी.क्योंकि हम दोस्तों के साथ सिर्फ मनोरंजन व मौज मस्ती के लिया जाते थे.लेकिन 2-3 बार जाने के बाद मानव संग्रहालय का हमारी संस्कृति से कितना गहरा संबंध है यह पता चला इसके बाद यह मेरी सबसे पसंदीदा जगह में शामिल हो चुका था.यदि मैं अपने अनुभवों के आधार पर मानव संग्रहालय की परिभाषा दूं तो, यह भारत की पूरानी संस्कृति,कला,कृषि,व्यापार​,पारिवारिक जीवन​,मनुष्य का विकास और उनके जीवन यापन का संपूर्ण संयोजन हैं.

भोपाल में घूमने की जगह
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय​ गेट नं. 1

मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने मानव संग्रहालय के रूप में मनुष्य कि उत्पत्ति के बाद से लेकर आधुनिक काल तक के जीवन को दर्शाने का प्रयत्न किया हैं.मानव संग्रहाल पूरी तरह से श्यामला हिल कि पहाड़ी पर वसा है जो लेक व्यू और वन विहार के ऊपरी हिस्से में मौजूद हैं.मानव संग्रहालय कि शुरुआत लेक व्यू और वन विहार के बीच से असम संस्कृति में निर्मित करापात द्वार से होती हैं.

करापात द्वार से शुरू होने वाला मानव संग्रहालय कई अंतंरग संग्रहालय​,अतिथि गृह​,आवृत्ति भवन​,हिमाचल प्रदेश​,लद्दाख​,असम​,केरल और उत्तराखण्ड की संस्कृति के बारे में जानकारी देते हुए हिमाचल प्रदेश की शैली में बने हुए गेट पर खत्म होता हैं.मानव संग्रहालय भारतीय विज्ञान संस्कृति को जानने के अलावा हरे-भरे वातावरण और पहाड़ी क्षेत्र में एक सुकून के कुछ बेहतरीन पल गुजारने के लिए भी एक अच्छी जगह हैं.

इसलिए इस जगह ने न सिर्फ मुझे यहां पर बार​-बार आने के लिए मजबूर किया बल्कि इतिहास और प्रकृति की सुंदरता में रूचि रखने वाले लोग भी यहां पर आते रहते हैं.

मानव संग्रहालय के मुख्य दर्शनिय स्थल​/Best Places To Visited In Manav Sangrahalaya

मानव संग्रहालय इतना वृहद है कि इसे एक बार में देखना और समझना थोड़ा मुश्किल हैं.इसलिए मेरा यहां पर अक्सर आना जाना लगा रहता था इसलिए दौरान मैंने यहां पर देखे जाने वाले कुछ खास दर्शनिय स्थलो की सुची बनाई हैं.यदि आप यहां पर जाते है तो इन दर्शनिय स्थलो पर जरूर जाएं.

छतरी

जैसे ही आप लेक व्यू से होकर जाने वाले करापात द्वार से प्रवेश करते है तो सबसे पहले आपको छतरी देखने को मिलती हैं.जब मैंने पहली बार इस छतरी को देखा तो मुझे ज्यादा कुछ समझ में नहीं आया था कि यह क्या हैं.लेकिन इसके निकट एक शिला पर इसके निर्माण और संस्कृति से जुड़ी हुई जानकारी लिखी थी जिसके आधार पर इसके बारे में काफि कुछ जानकारी मिलती हैं.छतरी निर्माण राजस्थान राजपुतो कि पंरपंरा रही है जिसकी शुरूआत 9वीं शताब्दी के आसपास में शुरू हुई थी.

छतरी के निर्माण कि मुख्य वजह मृतक लोगों कि याद को संजोकर रखना हैं.इस छतरी को एक 3 फिट ऊंचे चबुतरे पर बनाया गया हैं.पीले रंग के बलुआ पत्थत से निर्मित यह छतरी 8 स्तंभो पर बनी है जिसमे फूलों और पत्तियों से नक्काशी कि गई हैं.छतरी के ऊपर के गोलाकार गुंबद है जिसके ऊपर और नीचे के भाग में भी फूलों से बनी नक्काशी देखने को मिलती हैं.

संग्रहालय दुकान​

छतरी से 20 कदम की दूरी पर पश्चिम की दिशा में जैसे आप आगे बड़ते है तो दाएं तरफ संग्रहालय दुकान देखने को मिलती हैं.संग्रहालय दुकान का निर्माण भारत सरकार के द्वारा 18 सितम्बर 2012 को किया गया था.संग्रहालय दुकान में मैंने देखा कि यहां पर पूराने समय से लेकर वर्तमान समय के जीवनयापन कि चित्रकला,मुर्तिया और सजावटी समान रखे ग​ए है जो खरीदारी के लिए उपलबंध हैं.

यहां पर आपको प्राचीन और आधुनिकला कि कई शानदार पेंटिग देखने और खरीदने को मिलती हैं.संग्रहालय दुकान की खास बात यह है कि यहां पर उपलबंध सभी चीजों के दाम ज्यादा नहीं हैं.एक तय किमत पर आपको अच्छी से अच्छी सामग्री मिलती हैं.

राष्ट्रीय मानव संग्रहालय​

संग्रहालय दुकान से कुछ दूर आगे जाने पर दाएं ओर मानव संग्रहालय हैं.वैसे तो पहले में यहां पर कई बार जा चुका था लेकिन यहां पर मौजूद जानकारी को नजर अंदाज कर दिया था.परन्तु जब मैंने यहां पर मौजूद जानकारी को समझा तो यह पता चला कि यह भोपाल शहर कि उत्पत्ति का प्रमाण हैं.जी हां सच में मानव संग्रहालय में भोपाल शहर पर 22 वर्ष तक राज करने वाले राजा भोज से लेकर कई राजाओं व नवाबों के शासन काल कि जानकारी मिलती हैं.

यहां पर भोपाल पर राज करने वाले कई नवाब​,रानियां,राजाओं के साथ किले,छतरी और भोजताल की कई दुर्लभ तस्वीरें देखने को मिलती है जो संभवत आपको अन्य किसी जगह पर नहीं मिलेगी.मानव संग्रहालय में भोपाल के इतिहास के बारे में जानकारी देने वाली इस जगह को “भोपाल दीर्घा” नाम दिया गया हैं.

मिथक वीथी

मानव संग्रहालय से आगे लगभग 600 मीटर की दूरी पर दाएं तरफ मिथक वीथी नाम का एक संग्रहालय हैं.मिथक वीथी क्या होती है इसे समझने के लिए एक पत्थर से बनी एक शिला पर संपूर्ण जानकारी मिलती हैं.दुनियाभर में सभी जाति और जनजाति की अपनी मिथक होती हैं जैसे प्रथ्वी कि उत्पत्ति के बारे में,जन्म के बारे में,समाज के बारे और जाति की उत्पत्ति के बारे में.मिथक वीथी में भी कई जाति और जनजातियों कि मिथन को न सिर्फ परिभाषित किया गया है बल्कि उनसे संबधित मिट्टी,पत्थर और कई रंगों का उपयोग करके कलाकृतियां भी बनाई गई हैं.

मिथक वीथी कि शुरूआत घास से बने एक द्वार से होती है जिसके अंदर कि दीवारों पर गोबर और मिट्टी से केकड़े,मानव और जानवरों कि आकृति बनाई गई हैं.मिथक वीथी संग्रहालय 2 एकड़ भुमि में फैला है जिसमे देव स्थान मिथक वीथी,गाम देव स्थान मिथक वीथी,राजा सैलेश की कथा एंव स्थान मिथक वीथी,गंगा-दुर्गा युद्ध की कथा मिथक वीथी,पटुका चित्रकला की जन्म कथा मिथक वीथी और काम्बली नत्य की कृथा मिथक वीथी जैसी अड़तीस मिथक वीथी जानने और उनकी आकृतियां देखने को मिलती हैं.

वीथि संकुल​​

इन्दिरा गांधी मानव संग्रहालय के केन्द्र में बसा हुआ वीथि संकुल मानव संग्रहालय की आत्मा माना जाता हैं.वीथि संकुल को मानव विज्ञान संग्रहालय भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर आदिमानव के समय से लेकर वर्तमान मानव विकास से संबधित सभी तरह कि जानकारी मिलती हैं.संपूर्ण वीथि संकुल में 10 दीर्घा क्रमांक है जिसमे पूरानी संस्कृति,कृषि,संगीत शिक्षा,दैनिक जीवन यापन​,आखेट कला,वादन कला,चित्रकारी,विवाह उत्सव और आवास जैसी जानकारियों का भंडरा भरा हुआ हैं.

वीथि संकुल की शुरूआत इसके मुख्य द्वार के निकट रखे हुए काठ बनम से होती है जो कि संथाल जनजाति का एक पूराना वाद्य यंत्र हैं जो शीशम की लकड़ी से बना हुआ है और इसके ऊपरी भाग पर एक मानव आकृति बनी हुई हैं.इस काठ बनम के सामने से वीथि संकुल में प्रवेश किया जाता है जहां पर आपको मानव जैव सांस्कतिक उदविकास​,मानव मस्तिष्क के विकास की जानकारी,नर्मदा मानव की उत्पत्ति,भाषा का विकास और भारत की पाषाण कालिन संस्कृतियों की जानकारी मिलती हैं.

इनके अलावा वीथि संकुल में देवार समुदाएं की वस्तुएं,कुल्हाड़ी व कुदाल से खेती करने की वस्तुएं,हिमाचल प्रदेश के लोगों की गृह उपयोगी वस्तुएं,भारतीय आदिवायों के पहनावे और रहन सहन के चित्र​,मध्य भारत में आदिम कृषि कि वस्तुएं,धार्मिक कलाओं की वस्तुएं और भारत की द्वीप संस्कृतियों के चित्र व जानकारी पढ़नों को मिलती हैं.

मानव संग्रहालय कब जाएं:

हमेशा खुला रहता है इसलिए कभी भी जा सकते हैं.

मानव संग्रहालय खुलने का समय​:

11:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक​

मानव संग्रहालय में प्रवेश टिकट​:

Adult Full Ticket –Rs 50/-
Concession Tecket –Rs 25/-
Pre Wedding Photo Shoot-Rs 10,000/-
Video Camera Tripod-Rs 2,000/-
Photography Self-Rs 200/-
Foreign Visitor-Rs 500/-
Pre Wedding Drone-Rs 11,000/-
मानव संग्रहालय में टिकट शुल्क दर​

मानव संग्रहालय घूमने में कितना समय लगता हैं?

4 से 5 घंटे

मानव संग्रहालय में भोजन व नास्ते की व्यवस्था:

भोजन व नास्ते के लिए यहां पर रेस्टोरेंट की सुविधा मौजूद हैं.

मानव संग्रहालय कैसे जाएं?

भोपाल में एमपी नगर​,न्यू मार्केट​,रेलवे स्टेशन​,बस स्टेंड और अन्य सभी जगह से श्यामला हिल के लिए बस,टैक्सी और कार मिल जाती हैं.श्यामला हिल से लेक होते हुए मानव संग्रहालय जा सकते हैं.

मानव संग्रहालय क्यों जाएं?

यहां पर आप लोगों को मनुष्य की उत्पत्ति से लेकर जीवन यापन,रहन सहन​,जाति-जन जाति की उत्पत्ति,भाषा शैली,व्यापार​,सांस्कृतिक और वादन जैसी अन्य कलाओं की उत्पत्ति व जीवन के अन्य कई रहस्यों को समझने की जानकारी प्राप्त होती हैं.इन सभी के अलावा यह जगह पहाड़ी पर मौजूद होने की वजह से प्रकृति प्रेमियों के लिए भी काफि अच्छी हैं.

मानव संग्रहालय जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:

  • हिमालय ग्राम और जनजातीय आवास को संपूर्ण रूप से घूमना न भूलें.
  • वीथि संकुल मानव संग्रहालय का हृदय है इसलिए यहां पर भी जरूर जाएं.
  • वीथि संकुल में फोटोग्राफी और वीडियो बनाने पर कोई रोक नहीं है इसलिए यहां पर एक अच्छा केमरा लेकर जाएं.
  • मानव संग्रहालय को पैदल घूमने में काफि समय लगता है इसलिए आप इसे बाइक,कार या साईकिल से भी घूम सकते हैं.
  • यदि आप भोपाल के निवासी है और शहर के इतिहास के बारे में जानना चाहते है तो मानव संग्रहालय के भोपाल दीर्घा में जरूर जाएं.
  • जब आपके पास पर्याप्त समय हो तब भी यहां पर जाएं क्योंकि मानव संग्रहालय में देखने के लिए कई अच्छी जगह है जिसमे काफि समय लगता हैं.

5. Kaliasot Dam Bhopal

भोपाल में मैंने अपने जीवन के चार हम वर्ष गुजारे लेकिन कलियासोत डेम पर कभी जाना नहीं हुआ.हालांकि कलियासोत डेम मेरी काॅलेज से 7 किलोमीटर कि दूरी पर हैं.लेकिन इस बार भोपाल पहुंचने के बाद मेरा पहला पढ़ाव कलियासोत डेम ही था.कलियासोत डेम कोलार रोड़ पर चुना भट्टी से 3 किलोमीटर कि दूरी पर पश्चिम में स्थित हैं.

कलियासोत डेम के निर्माण और उत्पत्ति के विषय में यहां पर किसी तरह कि कोई जानकारी नहीं मिलती हैं. लेकिन यहां के स्थानिय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार कलियासोत डेम की उत्पत्ति अधिक वर्षॉ होने पर बड़े तालाब के ओवर फ़्लो से होती हैं.इस तरह से यह कहां जा सकता है कि कलियासोत डेम बड़े तालाब का ही एक हिस्सा हैं. कलियासोत डेम में छोटे-छोटे 13 गेट है जिनसे अधिक जल भराव होने के बाद डेम के पानी को कलियासोत नदी में छोड़ा जाता हैं.चुना भट्ट से होकर पश्चिम की ओर जाने वाली सड़क डेम के मुख्य प्रवेश गेट पर लेकर जाती है जहां से ऊपर की तरफ जाती हुई सीढ़ी डेम की मुख्य दीवार पर खत्म होती हैं.

पत्थर और मिट्टी से बनी हुई यह दीवार 1 किलोमीटर लंबी है जिसके ऊपर घूमते हुए डेम कि खूबसूरती को देखा जा सकता हैं.डेम के चारों तरफ कि खूबसूरत लोकेशन कि वजह से यह भोपाल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं.कलियासोत डेम पर काफि समय गुजारने के बाद मैंने यह अनुभव किया कि यहां पर दिन के समय को बेहद सन्नाटा रहता है वहीं शाम होते ही लोगों कि भीड़ बढ़ने लगती है और आसपास चहल​-पहल शुरू हो जाती हैं.

डेम के बीच में दो छोटे-छोटे टापू बने हुए है जो डेम की दीवार पर से देखने में बेहद सुंदर नजर आते है लेकिन यहां पर बोट नहीं चलती है इसलिए इन टापू पर नहीं जा सकते हैं.डेम पर घूमने-फिरने के लिए बनाई गई इस दीवार पर 100-100 फिट कि दूरी पर लाईट के खंबे लगाए ग​ए है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि रात के समय भी यहां पर लोगों भी कम नहीं होती हैं.

कलियासोत डेम पर कब जाएं?

प्रतिदिन जा सकते हैं.

कलियासोत डेम खुलने का समय​:

24 घंटे घुला रहता हैं.

कलियासोत डेम देखने की टिकट​:

Free (नि:शुल्क​)

कलियासोत डेम घूमने में कितना समय लगता है?

1 से 2 घंटे

कलियासोत डेम के निकट मशहूर जगह​:

चुना भट्टी और शाहपुरा

कलियासोत डेम कैसे जाएं?

भोपाल में किसी भी जगह से कोलार रोड़ और चुना भट्टी जाने के लिए बस,कार​,टैक्सी और ऑटो दिन में किसी भी समय मिल जाते हैं.चुना भट्टी से कलियासोत डेम 3 किलोमीटर है जहां पर जाने के लिए ऑटो व टैक्सी मिल जाती हैं.

कलियासोत डेम क्यों जाए?

भोपाल के स्थानिय लोगों के लिए शाम का समय हरे-भरे वातावरण और झील के किनारे खाली समय गुजारने के लिए बेहद अच्छी जगह हैं.

कलियासोत डेम जाने वालों के जरूरी जानकारी:

  • डेम के निकट भोजन व नास्ते कि कोई सुविधा नहीं हैं.
  • वैसे तो कलियासोत डेम 24 घंटे खुला रहता है लेकिन यहां पर शाम के समय काफि अच्छा मौसम रहता हैं.
  • डेम के प्रथम प्रवेश गेट के नीचे पार्किंग के लिए काफि अच्छी जगह है इसलिए अपने वाहन से भी जा सकते हैं.
  • बारिश के दिनों में बड़े तालाब में ओवर फ़्लो होने से कालियासोत डेम में पानी बड़ जाता हैं.इसलिए बरसात में यहां पर काफि अच्छा लगता हैं.
  • कलियासोत डेम के सुचना बोर्ड पर साफ लिखा है कि यहां पर पानी बेहद गहरा है एंव इसमे मगरमच्छ भी हैं.इसलिए इसमे नहाना,मछली पकड़ना और कपड़े धोना मना हैं.

6.भारत भवन भोपाल​| Bharat Bhavan Bhopal

यदि मैं भोपाल में अपने चार साल के लंबे समय में सबसे अधिक किसी जगह पर गया हूं तो वह भारत भवन हैं.क्योंकि भारत भवन मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा चित्रकला प्रशिक्षण केन्द्र है और मुझे बचपन से ही चित्रकला करना का शौक रहा हैं.इसलिए मैं भारत भवन सप्ताह में एक बार जरूर जाता हैं.उन दिनों मेरे पास बाइक नहीं थी इसलिए अशोका गार्डन से इब्राहिमपुरा मार्केंट होते हुए मैं पैदल यहां पर जाता रहता हैं.भारत भवन में हर सप्ताह या 15 दिनों में न​ए एग्जीबिशन लगते थे जिन्हें देखने के लिए मेरा अक्सर यहां आना जाना लगा रहता था.इसलिए मैं भारत भवन के कोने-कोने से अच्छी तरह से परिचित था.

भारत भवन श्यामला हिल पर बड़े तालाब के किनारें कमला पार्क से लगा हुआ हैं.भारत भवन का निर्माण साल 1982 में राजधानी परियोजना प्रशासन ने राज्य में चित्रकला को बड़ावा देने के लिए किया था.यहां पर चित्रकला का प्रशिक्षण लेने के लिए मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चैन्नई जैसे बड़े शहरों के स्टूडेंट ही नहीं बल्कि विदेशी स्टूडेंट भी आते हैं.भारत भवन प्रवेश की शुरूआत एक 40 फिट चौड़े गेट से होती हैं.प्रवेश गेट से 50 फिट कि दूरी पर लाल पत्थर से एक पानी का बड़ा फव्वारा बना हुआ है जिसके बीच में पत्थर से बनी हुई एक मार्डन आर्ट की एक शानदार शिल्पकला देखने को मिलती हैं.इस फव्वारे के निकट ही एक 25 फिट चौड़ा प्रवेश गेट है जिसके अन्दर जाते ही बाएं तरफ एग्जीबिशन हाॅल नजर आता हैं.

इस एग्जीबिशन में हमेशा किसी न किसी कलाकार के द्वारा बनाई गई पेंटिग की एग्जीबिशन लगी होती हैं.इस एग्जीबिशन के सामने भी एक बड़ा एग्जीबिशन हाॅल है जिसमे एम एफ हुसैन और राजा रवि वर्मा जैसे कई महान चित्रकारों के द्वारा बनाई गई पेटिंग भी देखने को मिलती हैं.इन दोनों एग्जीबिशन हाॅल के बीच में थिएटर है जहां अक्सर किसी खास मौके पर प्ले और सार्थक फिल्में दिखाई जाती हैं.

मैं यहां के थिएटर में गुरू दत्त साहब और किशोर कुमार की कई अच्छी फिल्में देखी हैं.इन एग्जीबिशन हाॅल और थिएटर के निकट कई छोटे एग्जीबिशन रूम​,क्लास रूम और पुस्कालय भवन भी बने हुए हैं.थिएटर के निकट से ही सीढ़ी जाती है जो सीधे बहिरंग मतलब एक खुली रंगशाला तक जाती हैं.इस खुली रंगशाला में बैठने के लिए अर्धगोलाकार सीढ़ियां है जिनके सामने मंचन का रिहसल करने के लिए एक छोटा मैदान बना हुआ हैं.खुली रंगशाला से शाम के समय बड़े तालाब में डुबते हुए सूरज का सुंदर नजारा देखते ही बनता हैं.

भारत भवन के बारे में मैं अपने अनुभवों के आधार पर यह कह सकता हूं की यह जगह चित्रकला प्रेमियों से लेकर बच्चे और यूवा सभी वर्ग से लोगों को बेहद पसंद आती हैं.इसलिए शाम के समय मैंने खुली रंगशाला में सभी तरह के लोगों को एक मंद मुस्कान के साथ सुकून के पल गुजारते हुए देखा हैं.

भारत भवन कब जाएं?

प्रतिदिन जा सकते हैं.

भारत भवन खुलने का समय​:

सुबह 10:00 बजे से 08:00 बजे तक​

भारत भवन की प्रवेश टिकट​:

10 रूपये प्रति व्यक्ति (केवल एग्जीबिशन देखने के लिए)

वाहन पार्किंग टिकट​:

नि:शुल्क​ (Free)

भारत भवन घूमने में कितना समय लगता हैं?

1 से 2 घंटे (थिएटर,फिल्म एंव एग्जीबिशन के अलावा)

भारत भवन के विशेष कार्यक्रम​:

स्थापना दिवस कार्यक्रम (प्रतिवर्ष 13 फरवरी)
प्रति सप्ताह या 15 दिन में एग्जीबिशन
विशेष पर्व पर फिल्म एंव थिएटर​

भारत भवन के निकटतम मशहूर जगह:

लेक व्यू 500 मीटर की दूरी पर

भारत भवन कैसे जाएं?

श्यामला हिल में स्थित भारत भवन जाने के लिए भोपाल में सभी जगह से कार​,बस और टैक्सी मिल जाती हैं.

भारत भवन क्यों जाएं?

वैसे तो भारत भवन कला प्रेमियों की जगह है लेकिन यहां माहौल,कार्यक्रम और उत्सव सभी वर्ग के लोगों का मनोरंजन करने में सहायक हैं.भारत भवन में अक्सर कई सांस्कतिक​,धार्मिक​,चित्रकला,नृत्य​,गायन और वादन जैसे कार्यक्रम होते रहते है जो देखने लायक रहते हैं.

भारत भवन जाने वालो के लिए जरूरी सुझाव​:

  • यहां पर नास्ते और भोजन के लिए रेस्टोरेंट जैसी सभी तरह की सुविधाएं हैं.
  • भारत भवन में खुली रंगशाला एक बेहतरीन जगह है इसलिए यहां पर जरूर जाएं.
  • भारत भवन सिर्फ एक दर्शनिय जगह ही नहीं है बल्कि यदि आप कला के क्षेत्र में कुछ सिखना चाहते है तो यहां पर एडमिशन लें सकते हैं.
  • यहां का पुस्तकालय सभी लोगों के लिए खुला रहता है जिसमे चित्रकला,नत्य कला,गायन कला,वादन कला जैसी कई शानदार किताबें नि:शुल्क पढ़ने को मिलती हैं.
  • वैसे तो भारत भवन में अंदर प्रवेश करने के लिए कोई टिकट चार्ज़ नहीं है लेकिन यदि आप किसी एग्जीबिशन,फिल्म,थिएटर व कार्यक्रम देखना चाहते है तो टिकट लेनी होती हैं.

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7. Birla Mandir Bhopal

शाम के 7 बज रहे थे जब मैं पहली बार भोपाल के बिरला मंदिर पहुंचा था.बिरला मंदिर न्यू मार्केंट से 1 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व में कुछ मुख्य सड़क के किनारें मालवीय नजर में मौजूद हैं.मंदिर परिसर से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिरला मंदिर का निर्माण 15 नवम्बर 1964 को श्री गंगा प्रसाद बिड़ला से हिन्दुस्तान चैरिटी ट्रस्ट के द्वार किया गया था.जैसे ही में मंदिर के निकट पहुंचा की सड़क के दोनों किनारे पर प्रसाद की छोटी-छोटी दुकान वालों ने मुझे अपनी ओर आकार प्रसाद लेकर जाने के लिए कहने लगें.

मैंने मंदिर के निकट की दुकान से थोड़ा प्रसाद लिया और मंदिर में प्रवेश के लिए निकल गया.मंदिर परिसर में प्रवेश करने के लिए एक 30 फिट ऊंचा गेट बनाया गया है जिसे भगवा और पीले रंग से रंगा गया हैं. इस प्रवेश गेट को दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है जिसके दाएं व बाएं स्तंभो पर फूल​,ओम​,शाती और कदा जैसी कई आकृतियां बनी हुई हैं.संपूर्ण परिसर सहित बिरला मंदिर 6 से 7 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसमे मुख्य मंदिर के आलावा संग्रहालय​,हनुमान मंदिर,शिव मंदिर​,गार्डन और निकास द्वार बने हुए हैं.

बिरला मंदिर विष्णु भगवान और माँ लक्ष्मी जी को समर्पित है जो पूर्व दिश में मुख्य करके बना हुआ हैं.लेकिन मुख्य मंदिर में प्रवेश दक्षिण के द्वार से होता है पूर्व के द्वार के बाहर निकला जाता हैं.मंदिर में भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की संगमरमर से तराशी गई खूबसूरत प्रतिमा विराजित है जो भक्तों का ध्यान अपनी को आकृर्षित करती हैं.

विष्णु और लक्ष्मीजी की प्रतिमा के बाएं तरफ एक छोटा सा दुर्गा मंदिर और दाएं तरफ शंकर मंदिर भी हैं.मंदिर के अंदर पर्याप्त जगह है जिसकी वजह से पूजा के समय काफि भक्त यहां पर एकत्र हो सकते हैं.बिरला मंदिर को बहार से देखने पर यह एक शिवालय की तरह दिखाई देता है लेकिन इसके अंदर से यह उतना ही साधारण हैं.मंदिर के अंदर ज्यादा समय तक रूकने की इजाज़त नहीं है इसलिए मैं दर्शन करके वहां से पूर्व की ओर जाने वाले द्वार से मंदिर के परिसर में पहुंच चुका था.मंदिर परिसर के पूर्वी निकास द्वार के निकट ही सफेद मार्बल से निर्मित हनुमान जी और शिव जी का मंदिर बने हुए है जो बेहद सुंदर दिखाई देते हैं.

हनुमान मंदिर और शिव मंदिर के निकट लोगों के आकृर्षण और विश्राम के लिए छोटे-छोटे गार्डन बनाए ग​ए है जिनमे कई खूबसूरत फूलों के पौधे लगे हुए हैं.मुख्य बिरला मंदिर के पीछे एक संग्रहालय भी बना हुआ है जिसमे राज्य के कई जिले से खुदाई में प्राप्त हुई देवी-देवताओं कि मुर्तियां रखी गई हैं.इस संग्रहालय को मंदिर खुलने के बाद 9 बजे से शाम 5 बजे तक दर्शकों के लिए खोला जाता हैं.

बिरला मंदिर में शाम के समय रोशनी से जगमगाता हुआ प्रांगण और भक्तों की भीड़ देखते ही बनती हैं.इसलिए मैंने यहां पर काफि लंबा समय बिताया क्योंकि यहां मनमोहन नजारा देखकर मेरा वापस जाने का मन ही नहीं कर रहा था.परन्तु काफि वक्त गुजारने के बाद और संपूर्ण मंदिर का भम्रण करने के बाद मुझे काफि रात हो चुकी थी इसलिए मुझे यहां से जाना पड़ा था.

बिरला मंदिर कब जाएं?

प्रतिदिन सुबह-शाम​ जा सकते हैं.

बिरला मंदिर खुलने का समय​:

रोजाना सुबह 04:00 बजे रात्रि 09:00 बजे तक

बिरला मंदिर में आरती का समय​:

सुबह और शाम

बिरला मंदिर में वाहन पार्किंग टिकट​:

नि:शुल्क​

बिरला मंदिर के पर्व एंव त्यौहार​:

जन्माष्टमी और दीपावली

बिरला मंदिर घूमने में कितना समय लगता है:

लगभग 1 से 2 घंटे

बिरला मंदिर के निकट मशहूर जगह​:

न्यू मार्केंट लगभग 500 मीटर की दूरी पर​

बिरला मंदिर कैसे जाएं?

भोपाल में किसी भी जगह से न्यू मार्केंट जाने के लिए सभी तरह की सुविधा मिल जाती हैं.न्यू मार्केंट से बिरला मंदिर पास ही में है जहां पर आप पैदल भी जा सकते हैं.

बिरला मंदिर जाने वालों के लिए आवश्यक जानकारी:

  • बिरला मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना हैं.
  • मंदिर में सुबह और शाम को भक्त काफि अधिक आते है क्योंकि इस समय बेहद अच्छा लगता हैं.
  • मंदिर के निकटतम संग्रहालय जरूर जाएं क्योंकि यहां पर देवी देवताओं की कई दुर्लभ मुर्तियां देखने को मिलती हैं.
  • यहां पर दो पहिया वाहन पार्किंग के लिए तो कुछ जगह है लेकिन चार पहिया वाहन की पार्किंग के लिए ज्यादा जगह नहीं हैं.इसलिए आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट साधन से भी जा सकते हैं.
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8.Taj Ul Masajid Bhopal

भोपाल में ही नहीं बल्कि पूरे भारते में ताजुल मस्जिद को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद के रूप में जाना जाता हैं.लेकिन भोपाल में मेरे आगमन के शुरूआती दौर में ताजुल मस्जिद की पहचान मेरी नजरों में सिर्फ प्रतिवर्ष दिसम्बर​-जनवरी के बीच लगने वाले इज्तिमा मेले के लिए ही थी.क्योंकि उस समय मुझे ताजुल मस्जिद की भवव्यता के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था.हालांकि मैं इससे पहले दिल्ली की जामा मस्जिद घूम चुका था जो ताजुल मस्जिद की याद दिलाती हैं.ताजुल मस्जिद में इज्तिमा के मेले के दौरान तो मैं कई बार यहां पर गया था लेकिन भीड़ बेहद अधिक होने की वजह से इसे पूरी तरह से घूम नहीं पाता था.इसलिए मैने बाद में कई बार जाकर इस घूमा और इसके बारे में काफि कुछ जानकारी प्राप्त की हैं.

ताजुल मस्जिद भोपाल शहर के पश्चिम भाग में गाँधी मेडिकल काॅलेज और राॅयल मार्केंट के सामने स्थित हैं.ताजुल मस्जिद में प्रवेश इसके पूर्वी गेट से होता है जो 74 फिट ऊँचा हैं.मुख्य सड़क से थिएटर नुमा सीढ़ी इसके पूर्वी गेट पर ले जाती हैं.मुझे ताजुल मस्जिद के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी नही थी लेकिन यहां पर लगे सुचना बोर्ड पर इसके निर्माण से जुड़ी काफि कुछ जानकारी लिखी थी जिससे मुझे काफि सहायता मिली थी.

जो कुछ इस प्रकार है कि, ताजुल मस्जिद का निर्माण साल 1877 में शासक नवाब शाहजहां बेगम ने किया था.ताजुल मस्जिद के दाएं एक झील है जिसके निकट नवाब शाहजहां बेगम का राजमहल भी है जहां से मस्जिद को साफ तौर पर देखा जा सकता हैं.ताजुल मस्जिद में प्रवेश करने के बाद इसका मुख्य प्रांगण बेहद विशाल नजर आता है जिसके दाएं और बाएं तरफ एक-एक गेट है जिनके आगे-पीछे कई कमरें बने हुए है जिनमे वर्तमान में मुस्लिम बच्चों को शिक्षा दी जाती हैं.

मुख्य ताजुल मस्जिद लाल और सफेद पत्थर से बनाई गई है और इसमे प्रवेश के लिए इसके बीचो बीच एक गेट बनाया गया है जो 30 फिट ऊंचा हैं जिस पर उर्दू भाषा भाषा में कुछ लिखा गया हैं.इस मुख्य गेट के ऊपर बीच में एक सफेद पत्थर से गोलाकार गुंबद बनी है जो इसे मस्जिद नुमा बनाती हैं.मुख्य गेट के दाएं और बाएं तरफ तीन​-तीन छोटे-छोटे गेट भी बनाए ग​ए है जिनसे भी इस मस्जिद के अंदर प्रवेश किया जाता हैं.इन तीन​-तीन गेट के ऊपर भी एक सफेद पत्थर से बनी हुई विशाल गुंबद है जो अंदर से खोखली हैं.

मस्जिद के अंदर भी कई खोखली गुंबद है जो कुछ स्तंभ से मिली हुई है जिन पर फूल और पत्तियों से बनी कई सुंदर आकृतियां देखने को मिलती हैं.ताजुल मस्जिद के दोनों किनारों पर एक-एक विशाल मिनारे है जो संभवत 100 फिट से अधिक ऊंची दिखाई देती हैं.मस्जिद के अंदर अलग​-अलग हिस्सों में कई छोटे बड़े मदरसे बने हुए है जहां पर नमाज़ के साथ शिक्षा भी दी जाती हैं.

इस संपूर्ण मस्जिद को इसके प्रांगण में दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि यह किसी सिर पर रखा हुआ ताज़ हैं.ताजुल मस्जिद की यह सुंदरता इसे भोपाल के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शुमार करती हैं.

ताजुल मस्जिद कब जाएं?

सप्ताह में किसी भी दिन जा सकते हैं.

ताजुल मस्जिद खुलने का समय​:

सुबह 08:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक​
नोट​-प्रति शुक्रवार 12 से 3 बजे तक ताजुल मस्जिद दर्शकों के लिए बंद रहती हैं.

ताजुल मस्जिद में प्रवेश टिकट​:

Free (नि:शुल्क​)

ताजुल मस्जिद के पर्व एंव त्यौहार​:

प्रत्येक वर्ष तबलीगी जमात का तीन दिवसीय इज्तिमा एंव मेले का आयोजन​

ताजुल मस्जिद क्यों जाएं?

भोपाल स्थित​ ताजुल मस्जिद भारत के इतिहास की धरोहर है जो दिखने में बेहद खूबसूरत हैं.साथ ही यह भारत की सबसे बड़ी और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद हैं.ऐतिहासिक इमारतों में रूचि रखने वालों के लिए यह बेहद शानदार जगह हैं. यहां पर हर साल इज्तिमा का मेला भी लगता है जिसमे देश​-विदेश के लोग शामिल होते है जो कि देखने योग्य नजारा रहता हैं.

ताजुल मस्जिद कैसे जाएं?

भोपाल रेलवे स्टेशन से ताजुल मस्जिद 3 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में जहां पर जाने के लिए ऑटो,रिक्सा,मिनी बस​,सीटी बस और अन्य सभी तरह के साधन मिल जाते हैं.

ताजुल मस्जिद के निकट मशहूर जगह​:

भोपाल रेलवे स्टेशन 3 किलोमीटर की दूरी पर

ताजुल मस्जिद जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:

  • नास्ते व भोजन के लिए मस्जिद के आसपास कई ढ़ाबे और होटल की सुविधा हैं.
  • ताजुल मस्जिद के अंदर स्वंय की फोटा लेना मना है लेकिन आप मुख्य मस्जिद की फोटो लें सकते हैं.
  • ताजुल मस्जिद के दाएं तरफ एक खूबसूरत झील है जहां से मस्जिद का नजादा काफि अच्छा दिखाई देता हैं.
  • यहां पर लगने वाले इज्तिमा के मेले में बेहद सस्ती और अच्छी चीजें मिलती है इसलिए हो सके तो मेले के समय जरूर जाएं.
  • मुख्य सड़क के किनारें मौजूद होने की वजह से यहां पर वाहन पार्किंग के लिए ज्यादा जगह नहीं है इसलिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट से भी जा सकते हैं.

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9. Manuabhan Tekri Bhopal

भोपाल शहर में मुझे रहते हुए करीब दो साल का समय हो चुका था इसके बाद मुझे यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मनुआभान टेकरी के बारे में पता चला जो लोगों कि सबसे पसंदीदा जगह में से एक हैं.जैसे ही मुझे मनुआभान टेकरी की सुंदरता और अच्छाईयों के बारे में पता चला तो कुछ ही दिनों के बाद मैं अपने एक परिचित मित्र आयुष के साथ यहां पर घूमने के लिए आया जो अनुभव मेरे लिए बेहद शानदार था.

मनुआभान टेकरी भोपाल से 8 किलोमीटर की दूरी पर लालघाटी में उत्तर की तरह मौजूद हैं.यहां के स्थानिय लोग इसे मनुआभान टेकरी,हनुमान टेकरी और महावीर गिरि जैसे कई नाम से जानते हैं.आपको जानकार हैरानी होगी कि भोपाल के कई स्थानिय लोगों को भी एक मनुआभान टेकरी के बारे में कुछ जानकारी नहीं हैं.मैंने कई लोगों से इस टेकरी में बारे में पुछा तो काफि लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.लेकिन फिर भी हम रास्ते में कई लोगों से पुछते हुए यहां तक पहुंच ही चुके थे.मनुआभान टेकरी पर जाने के लिए मुख्य सड़क के किनारे एक प्रवेश द्वार है जहां से सीधा रोड़ टेकरी के ऊपर तक जाता है वही इस गेट के दाएं तरफ एक रोपवे बना हुआ है जिससे टिकट लेकर भी जा सकते हैं.

लेकिन हम लोगों के पास बाइक थी इसलिए हम अपनी बाइक से ही 2 किलोमीटर ऊंची पहाड़ी पर एडवेंचर का आंनद लेते हुए जा रहे थे.टेकरी पर चढ़ते समय रास्ते में श्री सिद्धेश्वर महादेव और हनुमान मंदिर भी रास्ते में पढ़ते हैं.टेकरी पर पहुंचने के बाद यहां सबसे पहले जैन श्वेताम्बर मंदिर दिखाई देता है जो इस टेकरी से कुछ ऊंचाई पर एक स्थापित हैं.

इस मंदिर में भगवान महावीर की एक 150 साल पूरानी प्रतिमा है जो पहाड़ी पर खुदाई के प्राप्त हुई थी.यह संपूर्ण श्वेताम्बर मंदिर पीले रंग के पत्थर से बनाया गया है जिसमे प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार है जिसके निकट ही भक्तों के निवास के लिए जैन श्वेताम्बर धर्माशाला बनी हुई हैं.इस धर्मशाला से कुछ ही दूरी से मंदिर में प्रवेश के लिए सीढ़ियां है जो सीधे मंदिर में लेकर जाती हैं.श्वेताम्बर मंदिर में तीन प्रवेश द्वार है जिसमे प्रथम द्वार से प्रवेश दिया जाता है और तीसरे द्वार से दर्शन के बाद बहार निकला जाता हैं.मध्य द्वार को भीड़ अधिक होने पर महावीर भगवान के दर्शन के लिए खोला जाता हैं.

जैन श्वेताम्बर मंदिर के सामने ही एक टेकरी का दूसरा हिस्सा है जहां पर रेस्टोरेंट और बच्चों के खेलने के लिए एक चिल्ड्रन पार्क बना हुआ हैं.वही नीचे से रोपवे द्वारा आने वाले लोग यही पर आते हैं.इस रेस्टोरेंट के निकट कई व्यू पॉइंट बने हुआ है जहां से पूरे भोपाल शहर और बड़े तालाब की सुंदरता को देखा जा सकता हैं.इस टेकरी से देखने पर लगता है कि पूरा भोपाल शहर झीलों और पहाड़ों से मिलकर बना हुआ हैं.

सुबह​-सुबह आसमान से गिरती हुई बारिश कि हल्कि बुंदे और हवाओं से साथ पानी के बहाव सा बहता हुआ कोहरा यहां कि खूबसूरती को ओर भी अधिक बड़ा रहा था.यहां से चारों तरफ देखने पर ऐसा लगता है कि आप किसी यान में बैठकर आसमान की सैर कर रहे हो.शायद इसलिए मनुआभन टेकरी को भोपाल शहर का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल कहां जाता हैं.

मनुआभान टेकरी का इतिहास| History Of Mahavir Giri

इस टेकरी का इतिहास बेहद पूराना है यही वजह है कि यहां पर मौजूद कई लोगों से मैंने इसके बारे में जानना चाहा लेकिन किसी को कोई जानकारी नहीं थी.लेकिन यहां पर मौजूद पुरातत्व अभिलेखागार के सुचना पत्रों से पता चला है कि,भोपाल के राजा भोज के यहां मनुआभान नाम का एक दरबारी था जो अपनी वेश और हाव भाव बदलने की कला से राजा का मनोरंजन किया करता था.

लेकिन बाद में उन्होंने सब कुछ छोड़कर भगवत सिद्धी में अपना जीवन व्यतित कर दिया जिसकी वजह से उन्हें मन्तुगाचार्य भी कहा जाता था.कुछ समय तक इस टेकरी को मन्तुगाचार्य के नाम से भी जाना जाता था.मनुआभान टेकरी समुद्र तल से 1300 फिट की ऊंचाई पर हैं.कुछ सालों पहले ही शहर के महामहिम राज्यपाल के द्वारा महावीर गिरी टेकरी का नाम दिया गया हैं.

टेकरी पर मौजूद जैन श्वेताम्बर मंदिर की वजह से यह जैन धर्म के लोग इसे तीर्थ स्थान के रूप में भी मानते हैं.अब वर्तमान में इस टेकरी को महावीर गिरि टेकरी के नाम से जाना जाता हैं.

मनुआभान टेकरी कब जाएं:

प्रतिदिन किसी भी समय जा सकते हैं.

मनुआभव टेकरी पर जाने का समय​:

सुबह 06:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक​

मनुआभान टेकरी पर जाने के लिए रोपवे की टिकट​:

आने व जाने के लिए-
4 से 6 वर्ष के बच्चे के लिए 60 रूपये
6 वर्ष से अधिक उम्र के लिए 90 रूपये

मनुआभान टेकरी घूमने में कितना समय लगता है?

2 से 3 घंटे

जैन श्वेताम्बर मंदिर के पर्व एंव त्यौहार​:

महावीर जयंती

मनुआभान टेकरी के नजदीक मशहूर जगह​:

लालघाटी 1 किलोमीटर की दूरी पर​

मनुआभान टेकरी कैसे जाएं:

भोपाल से लालघाटी जाने के लिए ताजुल मस्जिद​,रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन लगभग सभी जगह से सीटी बस और टैक्सी मिल जाती हैं.लालघाटी बस स्टेंड से मनुआभान टेकरी उत्तर की दिशा में 1 किलोमीटर की दूरी पर हैं.

मनुआभान टेकरी क्यों जाएं:

यह टेकरी जहां जैन धर्म के लोगों के लिए एक तीर्थ स्थान के रूप में प्रसिद्ध है तो वही अन्य लोगों के लिए यह जगह किसी हिल स्टेशन की पहाड़ी पर घूमने के लिए बेहद अच्छी जगह हैं.यहां से पहाड़ों व झीलों से मिलनर बने हुए भोपाल शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता हैं.

मनुआभान टेकरी पर जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:

  • टेकरी के ऊपर आप पैदल​,रोपवे और बाइक से जा सकते हैं.
  • जैन श्वेताम्बर मंदिर में महावीर जयंती बेहद धूम धाम से मनाई जाती है इसलिए हो सके तो इस दिन जरूर जाएं.
  • वैसे तो टेकरी के ऊपर रेस्टोरेंट की सुविधा है लेकिन यहां पर आप अपने घर से बना हुआ खाना लेकर भी जा सकते हैं.
  • टेकरी के ऊपर किनारों पर वैसे तो रेलिंग लगी हुई है लेकिन अधिक किनारें पर न जाएं क्योंकि यह बेहद अधिक ऊचाई पर हैं.
  • यहां पर जहां शाम को लोगों की भीड़ अधिक होने से चहल पहल रहती है तो वही सुबह बेहद सुकून व शांति का माहौल रहता हैं.इसलिए कई लोग यहां पर सुबह भी जाना पसंद करते हैं.
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10.People’s Mall Bhopal

साल 2012 में मेरे एक काॅलेज मित्र ने मुझे भोपाल के करोंद में बन रहे पीपुल्स मॉल के बारे में बताया था.लेकिन मुझे उस समय यह अनुमान नहीं था की यह इतने भव्य पैमाने पर बन रहा है और बाद में इतना अधिक लोकप्रिय होगा.हालांकि उस समय किसी कारण से मैं वहा पर नहीं जा सखा था.लेकिन बाद में मुझे इसकी विशालता का पता चला तो मुझे काफि अफसोस हुआ कि मैं यहां पर क्यों नहीं गया.इसी कमी को पूरा करने के लिए जब हाल ही में मेरा भोपाल आना हुआ तो मैं सबसे पहले पीपुल्स मॉल देखने के लिए निकल गया.

पीपुल्स मॉल भोपाल से 7 किलोमीटर की दूरी पर करोंद में मौजूद हैं.पीपुल्स मॉल का नाम सुनकर आपको ऐसा लगता होगा कि यह शॉपिंग करने की कोई जगह होगी लेकिन इस मॉल से जुड़ा है पीपुल्स वर्ल्ड जो किसी सपनो की दुनिया से कम नहीं हैं.पीपुल्स वर्ल्ड में प्रवेश की शुरूआत एक टाइटैनिक की तरह बने हुए जहाज़ के निकट लगभग 100 फिट ऊंचे गेट से होती हैं.

इस गेट में प्रवेश करते ही आर्टिफिशियल रूप में बनी हुई नौका,सांप,हाथी,पीपुल्स वर्ल्ड गैलरी,फूड कोर्ट और किड्ज़ ज़ोन जैसी कई आकृर्षण जगह देखने को मिलती हैं.इसके बाद यहां से प्रवेश टिकट लेकर पीपुल्स वर्ल्ड के अंदर प्रवेश किया जाता हैं.पीपुल्स वर्ल्ड आर्टिफिशियल रूप से ताज महल​,लाल किला और स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी जैसी कई शानदार जगह देखने को मिलती हैं.करीब 20 एकड़ भूमि में फैले हुए इस पीपुल्स वर्ल्ड में रेस्त्रा,सिनेमा और वॉटर पार्क जैसी कई शानदार जगह भी हैं.

पीपुल्स वर्ल्ड के मुख्य आकृर्षण​| Most Visited Places In People’s World

विशाल रूप में फैले हुए पीपुल्स वर्ल्ड में बच्चे और यूवा सभी लोगों के मनोरंजन के लिए यहां पर काफि अच्छी जगह हैं.पीपुल्स वर्ल्ड को घूमने के बाद मैंने यहां पर देखे जाने वाले कुछ आकर्षण जगह की लिस्ट बनाई हैं जिनके बारे में मैं आप लोगों को बता रहा हूँ.

ताज महल​| Taj Mahal at People’s World

जैसे ही आप पीपुल्स वर्ल्ड के टिकट काउंटर से अन्दर प्रवेश करते है तो सबसे पहले ताज महल से आपका दीदार होता हैं.इस ताज महल को अगरा के प्रसिद्ध स्मारक ताज महल को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं.ताज महल में प्रवेश के लिए लाल पत्थर से बना हुआ एक 20 फिट ऊंचा गेट है जिससे अंन्दर जाने पर ताज महल दिखाई देता हैं.ताज महल के प्रवेश गेट से ताज महल के नजदीक तक एक 10 फिट चौड़ा पानी का फव्वारा बना हुआ है जिसके दोनों तरफ छोटी-छोटी मछली लगी है जिसने मुख से पानी निकलता हैं.

इस पानी के फव्वारे के दोनों तरफ से ताज महल तक जाने का रास्ता हैं.प्रवेश गेट से ताज महल तक जाने वाले रास्ते में बैठने के लिए लाल पत्थर से कई कुर्सीयां बनाई गई है जिन पर बैठकर ताज महल के साथ फोटो ली जा सकती हैं.ताज महल को सफेद मार्बल पत्थर से बनाया गया है जो दिखने में असली ताज महल की तरह दिखाई देता हैं.लेकिन यह असली ताज महल से हाइट में काफि छोटा हैं.

सागर गार्डन​| Sagar Garden at People’World

पीपुल्स वर्ल्ड में ताज महल दाएं तरफ 20 फिट की दूरी पर बना हुआ है सागर गार्डन जो बच्चों के लिए किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं हैं.सागर गार्डन का प्रवेश गेट लाल रंग से निर्मित दो तीर नुमा स्तंभ से बना हुआ है जिसके ऊपर तीन पेंसिल रखी हुई हैं.यह गार्डन लगभग 150 मीटर लंबा है जिसके बीच से एक नदी प्रवाहित होती है जो कई मोड़ से होकर गुजरती हैं.सागर गार्डन के बीच से बहती हुई नदी के शुरूआत में 25 फिट ऊंचा सीढ़ी से बना हुआ एक स्तंभ है जिसके ऊपर स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी की प्रतिमा स्थापित हैं.

स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी अमेरिका के न्यूयार्क शहर में मौजूद दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा हैं.सागर गार्डन में मौजूद स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी के सामने पानी का फव्वारा है जो हमेशा चलता रहता हैं.गार्डन में बहने वाली नदी के ऊपर 50 फिट की दूरी पर दो ब्रिज बने हुए है जिनके ऊपर से खड़े होकर स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी का शानदार नजारा देख सकते हैं.इस नदी के किनारें पर कई होटल व रेस्टोरेंट भी बने है जो इसके आकृर्षण को बड़ाते हैं.

लाल किला| Red Fort at People’s Mall

पीपुल्स वर्ल्ड में ताज महल और सागर पार्क के बीच से होकर जाने वाले रास्ते पर लाल किला मौजूद हैं.यह पर मौजूद लाल किले को दिल्ली के लाल किले के समान ही बनाया गया हैं.पीपुल्स वर्ल्ड के इस लाल किले को लाल पत्थर से बनाया गया है और इससे सामने एक खाली मैदान है जिसके दोनों किनारे पर प्रवेश और निकास द्वार बनाए ग​ए हैं.

आर्टिफिशियल रूप से बने इस लाल किले में आप प्रवेश नहीं करते इसे केवल बाहर से ही देखा जा सकता हैं.लाल किले के सामने ही सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए एक 3 फिट ऊंचा चबुतरा बनाया गया है जिसके दोनों किनारों पर लोहे से बनी हुई तोपे रखी हुई हैं.इस लाल किले को करीब 1 एकड़ भूमि में बनाया गया है जिसमे पार्क और बैठने के लिए कुर्सियों की सुविधाएं भी हैं.

एफिल टॉवर|Eiffel Tower at People’s Mall

फिल्मों और तस्वीरों में तो सभी लोगों ने पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर को देखा होगा लेकिन सच में इसे देखना चाहते है तो पीपुल्स वर्ल्ड में जा सकते हैं.हालांकि पेरिस में सिर्फ एक एफिल टॉवर देखने को मिलता है लेकिन यहां पर दो एफिल टॉवर देखने को मिलते हैं.पीपुल्स वर्ल्ड में दोनों एफिल टॉवर को लाल किले से 200 फिट की दूरी पर बनाया गया हैं.

दोनो एफिल टॉवर एक दूसरे से जुड़े हुए है जो जिनके नीचे से आने जाने के लिए रास्ता भी हैं.एफिल टॉवर के सामने ही इसके प्रवेश द्वार के रूप में आर्क डी ट्रौम्फ़ (गेटवे ऑफ पेरिस​) को बनाया गया है जो पीले रंग के पत्थर से निर्मित हैं.करीब 20 फिट ऊंचे आर्क डी ट्रौम्फ़ के दाएं-बाएं स्तंभ पर पत्थर से कई सुंदर आकृतियां बनी हुई हैं.इस आर्क डी ट्रौम्फ़ के अंदर एफिल टॉवर का नजारा ओर भी सुंदर दिखाई देता हैं.वैसे तो पीपुल्स वर्ल्ड में मौजूद लगभग कई जगहों को मैंने देखा है लेकिन एफिल टॉवर को देखना मेरे लिए अच्छा अनुभव रहा था.

ताज होटल मुंबई| Taj Hotel Mumbai at People’s Mall

पेरिस के एफिल टॉवर के प्रवेश गेट आर्क डी ट्रौम्फ़ से कुछ ही दूरी पर पूर्व में ताज होटल मौजूद हैं.इस ताज होटल को मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के निकट स्थित प्रसिद्ध ताज होटल की तरह ही बनाया गया हैं.इस ताज होटल को दूर से देखने पर यह असली ताज होटल का अक्स ही नजर आती हैं.आर्टिफिशियल रूप से बनी हुई इस ताज होटल में बहार से कई रूम और खिड़कियां देखने को मिलती है जो किसी ताज होटल की तरह ही नजर आती हैं.

इस ताज होटल के सामने से मुख्य सड़क निकलती है जिसके किनारों पर बैठने के लिए कई कुर्सियां रखी गई है जहां पर बैठकर ताज होटल के दीदार किए जा सकते हैं.पीपुल्स वर्ल्ड में बनी हुई इस ताज होटल को किसी भी हिस्से से देखने पर यह एक समान ही दिखाई देती हैं.इस ताज होटल को भी आप बहार से ही देख सकते है इसके अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता हैं.

वॉटर पार्क एंव गेटवे ऑफ इंडिया​| Water Park and Geteway Of India Gate at People’s Mall

गेटवे ऑफ इंडिया एंव गेट वॉटर पार्क वैसे तो ताज होटल के निकट ही मुख्य रोड़ पर है लेकिन यहां पर आप ताज महल से भी जा सकते है जो पूर्व की दिशा में 100 फिट की दूरी पर हैं.वॉटर पार्क सभी लोगों की पसंदीदा जगह है लेकिन यहां पर बच्चों को बेहद अधिक आंनद आता हैं.वॉटर पार्क में प्रवेश के लिए गेटवे ऑफ इंडिया बनाया गया है जिसे होकर ही आप इसमे प्रवेश करते हैं.इस गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई की प्रसिद्ध स्मारक गेटवे ऑफ इंडिया की तरह ही बनाया गया हैं.

लाल पत्थर से निर्मित इस गेटवे ऑफ इंडिया में इतिहास की झलक देखने को मिलती हैं.पीपुल्स वर्ल्ड में निर्मित गेटवे ऑफ इंडिया दीवारों पर पत्थर से तराशी गई कई सुंदर आकृतियां देखने को मिलती हैं.जैसे ही आप गेटवे ऑफ इंडिया से वाॅटर पार्क में प्रवेश करते है तो सामने ही लाफिंग बुद्धा की मूर्ति दिखाई देती है जिनके एक हाथ में पानी का मटका रखा हुआ हैं.

वॉटर पार्क में मनोरंजन के लिए लांग वॉटर स्लाइडर​,वेब पूल,झुले और डांसिग प्लेस जैसी कई अच्छे चीजें मिलती हैं.इस वॉटर पार्क में स्विमिंग पूल के अलावा बैठने के लिए पार्क और भोजन के लिए रेस्त्रा भी मौजूद हैं.

वॉटर पार्क खुलने का समय​

सुबह 10:00 बजे से शाम 06:30 बजे तक​

वॉटर पार्क में प्रवेश टिकट एंव अन्य शुल्क​

नोट​: सिंथेटिक कॉस्टयूम सभी के लिए अनिवार्य हैं.

ITEMRENTDEPOSITREFUND
FULL50/-100/-50/-
SHORT30/-50/-20/-
LOCKER20/-100/-80/-
TOWEL20/-100/-80/-
वॉटर पार्क में शुल्क दर

पीपुल्स वर्ल्ड कब जाएं:

रोजाना खुला रहता है इसलिए कभी भी जा सकते हैं.

पीपुल्स वर्ल्ड खुलने का समय​:

प्रतिदिन 09:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक​

पीपुल्स वर्ल्ड की प्रवेश टिकट एंव अन्य शुल्क​​:

60/- रूपये प्रति व्यक्ति।
3.5 फिट ऊंचे बच्चे का पूरा टिकट लगेगा।
लॉकर चार्ज़ 20/- रूपये

पीपुल्स वर्ल्ड घूमने में कितना समय लगता हैं:

3 से 4 घंटे

पीपुल्स वर्ल्ड के नजदीक मशहूर जगह​:

भोपाल रेलवे स्टेशन 7 किलोमीटर की दूरी पर​

पीपुल्स वर्ल्ड कैसे जाएं:

भोपाल रेलवे स्टेशन के करोंद और पीपुल्स वर्ल्ड के बस​,कार​,ऑटो और टैक्सी सभी तरह के साधन बेहद आसानी से मिल जाते हैं.

पीपुल्स वर्ल्ड क्यों जाएं:

यदि मैं अपने अनुभव के आधार पर कहूं तो पीपुल्स वर्ल्ड मनोरंजन के साधन का संपूर्ण मिश्रण है जिसमे लोगों के जरूरत की लगभग सभी सुविधाएं मौजूद हैं.पीपुल्स वर्ल्ड दोस्तों और परिवार के साथ मौज मस्ती करने व साथ में बेहतरीन समय गुजारने की एक अच्छी जगह हैं.

पीपुल्स वर्ल्ड जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:

  • पीपुल्स वर्ल्ड से जुड़ा हुआ पीपुल्स मॉल भी है जो शापिंग के लिए एक अच्छी जगह हैं.
  • भोजन व नास्ते के लिए पीपुल्स वर्ल्ड में कई होटल और रेस्त्रा मौजूद है जिनमे काफि अच्छा भोजन मिलता हैं.
  • पीपुल्स वर्ल्ड में देखने और घूमने के लिए काफि जगह है इसलिए यहां पर पर्याप्त समय निकाल कर ही जाएं.
  • रविवार के दिन छुट्टी की वजह से यहां पर काफि अधिक भीड़ होती हैं.इसलिए यदि आपको चहल​-पहल अधिक पसंद है तो रविवार के दिन जरूर जाएं.
  • वैसे तो भोपाल रेलवे स्टेशन से पीपुल्स वर्ल्ड जाने के लिए बस व टैक्सी मिल जाती है लेकिन उसके लिए काफि इंतजार करना होता हैं.इसलिए यहां पर आप अपने साधान से जाये तो ज्यादा अच्छा हैं.

भोपाल कैसे जाएं:

मध्यप्रदेश की राजधानी के तौर पर भोपाल राज्य ही नहीं बल्कि भारत के सबसे खूबसूरत शहरों में शामिल हैं.राज्य में भोपाल को पर्यटन स्थल के अलावा शिक्षा की नगरी के रूप में भी जाना जाता हैं.इसलिए यहां पर स्टूडेंट की भीड़ बेहद अधिक तादत में देखने को मिलती हैं.भोपाल मध्यप्रदेश के केन्द्र है और यहां पर पहुंचना बेहद आसान हैं.तो आइए जानते है कि भोपाल कैसे किन तरीकों से पहुंच सकते हैं.

रेल मार्ग से भोपाल कैसे जाएं:

भोपाल रेल मार्ग से जाना बेहद आसान है क्योंकि यह मुंबई और दिल्ली जैसे दो बड़े राज्यों के बीच में हैं.भोपाल में मुख्य रेलवे स्टेशन के अलावा हबीबगंज रेलवे स्टेशन भी है जिसे मध्यप्रदेश कि सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशन माना जाता हैं.भोपाल और हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर भारत में सभी जगह से आने वाली ट्रैने रूकती हैं.इसलिए भोपाल आप भारत के किसी भी राज्य,शहर या गाँव से ट्रैन के द्वारा जा सकते हैं.

सड़क मार्ग से भोपाल कैसे जाएं:

भोपाल सड़क मार्ग से भी आस पास के सभी जिलो व राज्यों से मिला हुआ हैं.यहां पर प्रतिदिन दूर​-दूर से लोग बस और कार से पंहुचते हैं.इस तरह सड़क मार्ग से आप कार या बस द्वारा किसी भी जगह से भोपाल जा सकते हैं.

हवाई मार्ग से भोपाल कैसे जाएं:

भोपाल के बैरागढ़ में राजा भोज इंटरनेशल एरपोर्ट मौजूद है जहां पर न सिर्फ भारत बल्कि विदेशो से भी फ्लाइट आती हैं.इस तरह से आप हवाई मार्ग से फ्लाइट के द्वार भी बेहद कम समय में भोपाल पहुंच सकते हैं.राजा भोज एरपोर्ट भोपाल शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर बैरागढ़ में मौजूद है जहां से आने जाने के लिए कार और टैक्सी 24 घंटे मिल जाती हैं.

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