8 बैतूल में घूमने की खूबसूरत जगह/ Tourist Places in Betul, हैलो दोस्तों आज मैं आप लोगों को मध्यप्रदेश के दक्षिण भाग के एक जिले बैतूल के बारे में बता रहा हू जो कि मेरे हरदा जिले का पड़ोसी जिला हैं.बैतूल जहां उत्तर और पूर्व में होशंगाबाद,हरदा और खंडवा जिले से लगा है तो वही दक्षिण में महाराष्ट्र राज्य कि सीमा से मिला हुआ हैं.
यदि देखा जाये तो बैतूल चारों तरफ से सतपुड़ा पर्वत के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों,सागौन,चीड़ व महुए जैसे पेड़ो के घने जंगलो से घिरा हुआ हैं.बैतूल के बारे में मैं पहले कई किताबों में पढ़ चुका था कि यहां पर मराठाओं ने काफि समय तक राज किया इसके बाद यह ब्रिटिश सरकारके अधिन चला गया था.
वर्तमान में बैतूल जिला होशंगाबाद संभाग में आता हैं.बैतूल जिला राज्य में पर्यटन के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ में यह तीर्थ स्थान के लिए भी काफि अधिक जाना जाता हैं.क्योंकि बैतूल जिले की मुलताई तहसील ताप्ती नदी का उद्गम स्थान है जो हिन्दु धर्म में बेहद पवित्र मानी जाती हैं.
बैतूल जिले में मंदिर,उद्गम स्थान और पहाड़ों के बीच मौजूद कस्बे जो हिमाचल प्रदेश कि याद दिलाते है ऐसी कई अच्छी जगह हैं.मैंने बैतूल जिले में घूमने के बाद यहां पर मौजूद कुछ खास दर्शनिय स्थलों कि सुची बनाई हैं.तो आइए जानते है Betul Tourist Places बैतूल के इन प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बारे में.
अनुक्रम
1. Balajipuram Temple Betul
बैतूल पहुंचने के बाद मैंने वहां के कई स्थानिय लोगों से जिले में बैतूल में घूमने की अच्छी जगह के बारे में पुच्छा तो सभी लोगों ने सबसे पहले रूक्मणी बालाजीपुरम मंदिर का ही नाम लिया था.
बालाजीपुरम मंदिर के बारे में इतनी अधिक लोकप्रियता देखने के बाद मैंने सबसे पहले यही पर जाने का निर्णय लिया.बालाजीपुरम मंदिर बैतूल जिले का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल या धार्मिक स्थान हैं.
रूक्मणी बालाजीपुरम मंदिर बैतूल बस स्टेंड व रेलवे स्टेंड से 6 किलोमीटर कि दूरी पर नागपुर मुख्य रोड से 500 मीटर कि दूरी पर हैं.
यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार बालाजी को समर्पित हैं.बालाजीपुरम मंदिर का निर्माण चार साल के निरंतर प्रयासो के बाद भारतीय अप्रवासी सेम शर्मा ने अपनी स्वर्गीय माता रूक्मणी देवी और पिता श्री किशोरी लाल मेहतो कि याद में किया था.मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा और कलश कि स्थापना संतों कि मौजूदगी में 4 फरवरी 2001 को सुबह: 09:00 बजे हुआ था.
करीब 20 एकड़ में फैले हुए इस मंदिर में प्रवेश के लिए दो गेट है जिनमे पहले गेट से बालाजी भगवान के दर्शन करने वाले भक्त और लोग जाते है तो वही 50 मीटर पर मौजूद दूसरे गेट से बालाजीपुरम भक्त निवास में ठहरने वाले लोग ही प्रवेश करते हैं.
प्रथम प्रवेश गेट 35 फिट ऊंचा है जिसे ऐतिहासिक शैली में बनाया गया है जिसके दाएं व बाएं तरफ दो हाथी खड़े हुए हैं.गेट के ऊपरी हिस्से पर बीच में भगवान बालाजी प्रतिमा और दाएं तरफ शिवजी व पार्वती माता और बाएं तरफ ब्रह्मजी कि प्रतिमा विराजित हैं.इनके आलावा इस गेट पर गणेशजी,हनुमानजी,नारदजी और द्वारपाल कि छोटी-छोटी मुर्तिया भी देखने मिलती हैं.
जैसे ही प्रथम प्रवेश द्वार के अंदर प्रवेश किया जाता है तो एक अर्धचन्द्राकार में सरोवर शुरू होता है जिसमे भगवान शिवजी कि पीतल से निर्मित प्रतिमा नजर आती हैं.यह सरोवर मुख्य मंदिर तक जाता है जिसके दोनों तरह से मंदिर तक जाने का रास्ता हैं.इस सरोवर में कई फव्वारें लगे है जो कि जो इसकी सुंदरता को ओर अधिक बड़ाते हैं.भगवान बालाजी का मुख्य मंदिर स्वर्ण कलर से रंगा हुआ है जो कि दूर से स्वर्ण मंदिर कि तरह बेहद सुंदर नजर आता हैं.
बालाजी मंदिर में प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार है तो वही एक दोनों तरफ दो ऊंची-ऊंची मीनारें बनी हैं.मंदिर में प्रवेश के लिए लिए दो द्वार से जिनके सामने 20 फिट ऊंचा भगवा रंग का झंडा स्तंभ हैं.मंदिर के अंदर गोलाकार आकृति में दोनों तरफ 6-6 स्तंभ बने है जिनके बीच में स्वर्ण और काले संगमरमर से निर्मित भगवान बालाजी कि प्रतिमा स्थापित हैं.
बालाजी प्रतिमा के पीछे सफेद संगमरमर से विष्णु भगवान और लक्ष्मी जी कि प्रतिमा भी विराजित हैं.दाएं ओर के 6 स्तंभ के होकर बालाजी भगवान के दर्शन के लिए जाना होता है और बाएं तरफ के 6 स्तंभ के होकर बाहर निकलना होता हैं.
मंदिर में बालाजी प्रतिमा के अलावा दाएं ओर गणेश जी और राधा कृष्ण व बाएं तरफ दुर्गा मंदिर और महादेव मंदिर भी देखने को मिलते हैं.बालाजीपुरम मंदिर कि परिक्रमा करने पर इसकी दीवारों पर पत्थर से निर्मित भगवान श्रीकृष्ण अवतार,बलराम अवतार,श्रीराम अवतार,काल्कि अवतार और बालाजी अवतार कि कई मुर्तियां देखने को मिलती हैं.
मंदिर कि दीवारों पर कई जगह रंगो का बेहद खूबसूरती से उपयोग कर शानदार चित्रकारी बनाई गई हैं जो मंदिर कि खूबसूरती को भी बढ़ाती हैं.
बालाजीपुरम मंदिर के अन्य आकर्षण/Balajipuram Mandir Betul In Hindi
बालाजीपुरम मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा कई आकर्षण स्थल है जो पर्यटक और भक्तों के बीच काफि अधिक पसंद किए जाते हैं.तो आइए विस्तार से जानते है इन आकर्षण स्थलों के बारे में.
शेषनाग गुफा/Sheshnag Cave
शेषनाग गुफा बालाजीपुरम मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के दाएं तरफ है जो कि एक पांच फन वाले शेष नाग से होकर गुजरती हैं.यह पांच फन वाला शेषनाग 10 फिट ऊंचा है जिसके बीच में एक 3 फिट का गेट से जिससे होकर जाना होता हैं.
यह शेषनाग गोलाकार आकार में बना हुआ है जिसके मुख से प्रवेश का मार्ग है तो इसकी पुछ से निकलने का मार्ग हैं.शेषनाग गुफा अंदर से 6 फिट ऊंची है और इसके अंदर आधा फिट पानी भरा हुआ है जिसमे से होकर गुजरना होता हैं.
गुफा के अंदर एक छोटी से पहाड़ी भी बनी हुई है जिस पर भगवान शिव माता पार्वती,गणेश जी और कार्तिकेय कि मुर्ति स्थापित हैं.शेषनाग गुफा के अंदर सूर्य कि रोशनी नहीं जाती है जिसकी वजह से इसमे काफि अंधेरा रहता है जिसे दूर करने के लिए कहीं-कहीं पर लाईट के द्वारा रोशनी कि गई हैं.
चित्रकुट धाम/Chitrakoot Dham
बालाजी भगवान के दर्शन के बाद चित्रकुट मेरी सबसे पसंदीदा जगह रही थी. चित्रकुट धाम बालाजी मंदिर से 25 फिट कि दूरी पर सरोवर के निकट 5 एकड़ भूमि में फैला हुआ हैं.सरोवर के निकट चित्रकुट धाम का प्रवेश द्वार है और शेषनाग के निकट इसका निकास द्वार हैं.चित्रकुट में मुख्य प्रवेश द्वार से वैष्णोदेवी मंदिर तक एक सरोवर होकर जाता है जिसके दोनों तरफ पेड़-पौधे लगे हुए हैं.
इस सरोवर से आप नाव के द्वारा भी वैष्णोदेवी तक जा सकते हैं.चित्रकुट धाम में देखने के लिए क्षीरसागर है जिसमे विष्णु भगवान एक पानी के कुंड में शेषनाग पर विराजमान और उसके देश-विदेश से लाई गई कई दुर्लभ मछलियां तैरती हुई नजर आती हैं.
क्षीरसागर के अलावा नौकाविहार,सीता स्वयंवर वन विहार,डोंगरगढ़ वाली माता, संत तुलसीदास मंदिर,भारत का दूसरा छिपकली मंदिर,25 फिट कि गहराई पर शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन,लगभग 75 फिट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान माता वैष्णोदेवी मंदिर और राम गुफा जैसी कई अच्छी जगह देखने को मिलती हैं.चित्रकुट धाम में बच्चों के मनोरंजन के लिए गार्डन और भोजन के लिए रेस्त्रा भी मिलते हैं.
चित्रकुट धाम की प्रवेश टिकट:
20 रूपये प्रति व्यक्ति (5 साल तक के बच्चे नि:शुल्क प्रवेश)
नौका विहार शुल्क:
प्रति व्यक्ति : 30 रूपये एक तरफ का
प्रति व्यक्ति : 60 रूपये आना-जाना दोनों तरफ का
पर्सनल नौका : 150 रूपये एक तरफ का
आना-जाना पर्सनल नौका : 300 रूपये
नोट : तीन वर्ष के बच्चों का टिकट लगेगा
चित्रकुट धाम के लिए जरूरी जानकारी:
- 25 फिट में गहराई में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन जरूर करें.
- 75 फिट ऊंची वैष्णो देवी कि पहाड़ी पर जरूर जाये क्योंकि यहां से पुरा चित्रकुट धाम और बालाजी मंदिर का सुंदर नजारा देखा जा सकता हैं.
चिल्ड्रन पार्क/Children’s Park Balajipuram Mandir
चित्रकुट धाम से दाएं तरफ 10 फिट कि दूरी पर चिल्ड्रन पार्क है जिसे बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं. इस चिल्ड्रन पार्क में बच्चों के लिए सिंगल झूले,कोलंबस झूला और Mickey Mouse Bouncy जैसी मनोरंजन करने वाली कई अच्छी चीजें हैं.
इस चिल्ड्रन पार्क में आपको एक ओर खास चीज देखने को मिलती है जो कि एक हवाई जहाज हैं.यह एक मिनी हवाई जहाज है जो कि बेहद पूराना है जिसमे इंजन भी नहीं है इसे सिर्फ म्यूजियम कि तरह देखने के लिए रखा गया हैं.
पार्क के निकट ही भोजन के लिए रेस्त्रा भी बने है जहां पर आपको सभी तरह का भोजन और नास्ता मिल जाता हैं.मंदिर में आने वाले लोग इस पार्क में एक लंबा समय गुजारते है क्योंकि यहां से बालाजी मंदिर को एक ही दृष्ट्री में पूरा देखा जा सकता हैं.चिल्ड्रन पार्क में बिखरी हुई हरी घास पर घूमते हुए ऐसा अनुभव होता है कि हरी मखमल कि चादर पर घूम रहे हैं.
बालाजीपुरम मंदिर कब जाएं:
किसी भी दिन जा सकते हैं.
बालाजीपुरम मंदिर मे होने वाले प्रतिदिन के कार्यक्रम:
1. मंदिर खुलने का समय | प्रात: 06:00 बजे |
2. सुप्रभात आरती | 06:00 से 06:20 बजे तक |
3. गौष्टी प्रसाद (भोग) आरती | प्रात: 08:00 बजे से |
4. दोपहर मध्यान्ह विश्राम (मुख्य मंदिर) | 12:00 बजे 03:00 बजे तक |
5. सायंकालीन मंदिर खुलने का समय | 03:00 बजे |
6. संध्या आरती का समय | रात्रि 08:30 बजे से |
7. गौष्टी प्रसाद (भोग) आरती | रात्रि 09:30 बजे |
8. शयन आरती | रात्रि 09:30 बजे |
9. मंदिर बंद होने का समय | रात्रि 10:00 बजे तक |
वाहन पार्किंग:
बाइक पार्किंग 10 रूपये और कार पार्किंग 20 रूपये
जूता चप्पल स्टॅण्ड शुल्क:
जूता चप्पल स्टॅण्ड बालाजीपुरम मंदिर के प्रथम प्रवेश द्वार के बाएं तरह है जहां पर जूते-चप्पल रखने के 3 रूपये जोड़ी शुल्क लिया जाता हैं.
बालाजीपुरम मंदिर क्यों जाएं:
मध्यप्रदेश में भगवान बालाजी को समर्पित यह एकमात्र मंदिर है जिसे ऐतिहासिक शैली में बनाया गया हैं.यह मंदिर स्वर्ण कि तरह चमकता हुआ किसी स्वर्ण से पहाड़ी के समान बेहद सुंदर नजर आता हैं.मंदिर के अलावा यहां मनोरंजन के लिए शेषनाग गुफा और चित्रकुट जैसी कई अच्छी जगह भी हैं.
बालाजीपुरम मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहार:
मंदिर स्थापना दिवस प्रति वर्ष 4 फरवरी
रामनवमी
दीपावली
नया साल का जश्न
होली
नवरात्रि
कृष्ण जन्माष्टमी
गणेश चतुर्थी
बालाजीपुरम मंदिर में घूमने में कितना समय लगता हैं:
2 से 3 घंटे
ठहरने के लिए आवास सुविधा:
मंदिर परिसर में ठहरने के लिए बालाजीपुरम भक्त निवास है जो कि चिल्ड्रन पार्क के निकट ही मौजूद हैं.
भक्त निवास में बुकिंग के लिए संपर्क नंबर: 07141 – 268236, 9300787332
भोजन की सुविधा:
बालाजीपुरम मंदिर परिसर और इसके बाहर भोजन व नास्ते सुविधा बेहद आसानी से मिलती हैं. यदि मंदिर परिसर कि बात करें चिल्ड्रन पार्क के निकट ही बालाजी भोजनालय है जहां पर आपको दाल बाफले,मिक्स बेज,छोले भटूरे,क्रिस्पी नूडल्स,चीज़ पिज्जा और मनचुरियन सभी तरह का भोजन मिलता हैं.वही मंदिर परिसर के बाहर भी कई होटल व ढ़ाबे है जहां पर भोजन कर सकते हैं.
बालाजीपुरम मंदिर कैसे जाएं/How To Reach Balajipuram Mandir
बैतूल रेलवे व बस स्टेंड से बालाजीपुरम मंदिर जाने के लिए बस,कार और टैक्सी सभी तरह के साधन मिल जाते हैं.
बालाजीपुरम मंदिर का पता:
बैतूल से बालाजीपुरम मंदिर 6.5 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में नागपुर रोड पर हैं.नागपुर रोड़ से बालाजीपुरम मंदिर 500 मीटर कि दूरी पर मुख्य रोड के किनारें हैं.
बालाजीपुरम मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए जरूरी जानकारी:
- बालाजीपुरम मंदिर में चित्रकुट धाम जरूर जाएं.
- मुख्य मंदिर के अंदर फोटो खींचना पुर्णत: वर्जित हैं.
- मंदिर परिसर में किसी भी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन करके जाना पुर्णत: वर्जित हैं.
- बैतूल रेलवे और बस स्टेंड से कार,टैक्सी और बस दिन में किसी भी समय मिल जाती हैं.
- यहां पर पार्किंग कि अच्छी सुविधा है इसलिए आप अपने पर्सनल वाहन से भी जा सकते हैं.
- मंदिर परिसर के बाहर प्रसाद खरीदारी और सजावटी चीजों से संबधित कई तरह कि दुकानें हैं.
- चित्रकुट धाम में 12 ज्योतिर्लिंग और लिस्ट से संतोषी माँ के दर्शन के लिए प्रवेश टिकट 10 रूपये प्रति व्यक्ति लगती हैं.
2. Tapti Udgam Sthal Multai
बालाजीपुरम मंदिर के दर्शन करने में मुझे लगभग 03:00 बजे चुके थे.इसके बाद मुझे ताप्ती उद्गम स्थल मुलताई जाना था जो कि बैतूल से 45 किलोमीटर कि दूरी पर हैं.ताप्ती उद्गम स्थल पहुंचने में मुझे रात्रि के 7 बजे गए थे.
मुलताई पहुंचने के बाद बस स्टेंड के निकट ही देशमुख लाॅज में ठहरने के लिए मैने रूम लिया और थकान को दूर करने के लिए स्नान किया फिर ताप्ती उद्गम स्थल देखने के लिए निकल गया तो बस स्टेंड और मेरे लाॅज से से 300 मीटर कि दूरी पर हैं.
वैसे ही मैं उद्गम स्थल पर पहुंचा घाट के चारों तरफ जलते हुए दीपक और आसपास के मंदिर व दुकानों से उद्गम स्थल में आती हुई रोशन इस जगह कि सुंदरता को ओर भी अधिक बड़ा रही थी.रात के समय घाट के निकट मंदिर में आरती कि आवाज और लोगों कि चहल-पहल मेरे मन को बेहद शांति व सुकून प्रदान कर रही थी.हालांकि रात बेहद अधिक हो चुकि थी और मेरे पेट में भोजन के लिए चुहे भी तोड़ रहे थे.
इसलिए मैंने अगली सुबह आराम से संपुर्ण उद्गम स्थल को देखने का सोचा और उद्गम स्थल कि परिक्रमा करते हुए भोजन कि तलाश में किसी अच्छे भोजनालय के लिए अपने लाॅज कि तरफ निकल गया.मेरे लाॅज के निकट ही तुलसी भोजनालय में मैंने भोजन किया और रात के लगभग 11:00 बजे का समय हो रहा था इसलिए मैं आराम करने के लिए अपने रूम में निकल गया था.
अगले दिन सुबह के 07:00 बजे मेरी नींद खुली और मैं जल्दी के फ्रैश होकर सुबह का खूबसूरत नजारा देखने के लिए उद्गम स्थल पहुंच चुका था.ताप्ती उद्गम स्थल चतुर्भुज आकार में बना हुआ है जहां से ताप्ती नदी का उद्गम होता हैं.इस उद्गम स्थल के चारों तरफ मंदिर,दुकाने,भोजनालय और सजावटी समान से संबधित सभी तरह कि दुकाने मौजूद हैं.
उद्गम स्थम में प्रवेश करने के लिए एक भगवा और पीले रंग से रंगा हुआ 25 फिट ऊंचा द्वार है जिस पर गणेश जी,सूर्य देवता और कृष्ण भगवान कि चित्रकारी की गई हैं.प्रवेश गेट से 50 फिट कि दूरी पर माँ ताप्ती देवी का मंदिर है जिसके निकट ही घाट पर सुबह सुबह स्थानिय लोग और दूर दराज से आने वाले भक्त स्नान करते हुए और मंदिरों में पूजा अर्चना करते हुए नजर आते है.
माँ ताप्ती के दर्शन के पश्चात मैंने भी घाट पर स्नान किया जो मेरे जीवन का सर्वप्रथम अनुभव था.स्नान करने के बाद आसपास मौजूद अन्य देवी देवताओं में मंदिर भी गया उनके दर्शन किए व इस उद्गम स्थल कि सुरदता को निहारता रहा और आपको लोगों से सांझा करने के लिए कई खूबसूरत फोटो भी खींचे.
ताप्ती उद्गम स्थल का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व/History Of Tapti Udgam Sthal
ताप्ती नदी के उद्गम स्थल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के बारे में पहले मुझे कोई विशेष जानकारी नहीं थी.लेकिन ताप्ती उद्गम स्थल आने के बाद यहां के स्थानिय लोग,बुजुर्ग पंडितो और अन्य शिला लेखों के आधार पर मुझे इसके ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व का ज्ञान प्राप्त हुआ हैं.जो कुछ इस प्रकर है, पुराणों के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने संसार का निर्माण किया था तब सपुर्ण जगह सिर्फ अंधकार था.
अंधकार को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने सूर्य देवता को उत्पन्न किया जिससे संपुर्ण संसार में प्रकाशमय हो गया था.इसके पश्चाच सूर्य देवता के पसीने कि कुछ बूंदे प्रथ्वी पर गिरी जिससे ताप्ती नदी का उद्गम हुआ इसलिए ताप्ती नदी को सूर्य पुत्री कहां जाता हैं.ताप्ती नदी का उद्गम आषाढ़ शुक्ल सप्तमी के दिन हुआ था इसलिए इस दिन को जन्मउत्सव के रूप में बेहद धूम-धाम से मनाया जाता हैं.
माँ ताप्ती नदी के जल का प्रभाव
माँ ताप्ती नदी का जल सामान्यत: हरे रंग का होता हैं.इसके जल को ग्रहण करने से क्षय और कोढ़ जैसी बिमारियों का नाश होता हैं.ताप्ती नदी के जल के प्रभाव में यह बताया जाता है कि इसमे अस्थियां व बाल गल जाते हैं यह प्रभाव किसी अन्य नदी में नहीं हैं.ताप्ती नदी में स्नान करने से मनुष्य निष्पाप और निरोगी हो जाता हैं.
ताप्ती उद्गम के मुख्य दर्शनिय स्थल/Top Places Visit In Tapti Udgam Sthal
ताप्ती नदी के उद्गम स्थल के निकट कई दर्शनिय स्थल है जो देखने योग्य हैं. इसलिए यदि आप यहां पर जाते है इन्हें जरूर देखना चाहिए. तो आइए जानते है इन दर्शनिय स्थलों के बारे में.
माँ ताप्ती देवीस्थानम/Tapti Mandir Multai
माँ ताप्ती मंदिर उद्गम स्थल का सबसे प्रमुख मंदिर है जो कि मुख्य प्रवेश द्वार के निकट ही मौजूद हैं.इसी मंदिर से ताप्ती नदी का उद्गम होता है जो यहां से भूमि के अन्य रास्तों से देश कि अन्य नदियों में जाती हैं.मंदिर के प्रवेश द्वार के ऊपर तीन घंटिया लगी हुई है जिसमे बीच की सबसे बड़ी है और दाएं व बाएं तरफ छोटी घंटिया हैं.स्वर्ण रंग से रंगे हुए इस मंदिर में माँ ताप्ती कि संगमरमर से निर्मित एक सुंदर प्रतिमा विराजमान है और उनके पीछे सूर्य देवता भी हैं.
ताप्ती माँ कि प्रतिमा के समक्ष ही दो अखंड दीपक है जो 24 घंटे जलते रहते हैं.मंदिर के अंदर एक पीपल का विशाल पेड़ है जो मंदिर के ऊपरी भाग से बाहर निकलता हैं.ताप्ती मंदिर के अन्दर हमेशा नदी बहती रहती हैं.मुख्य मंदिर के सामने ही प्रसाद और फूलों कि दुकानें हैं जहां से भक्त प्रसाद व पुष्प लेकर माता को अर्पित करते हैं.
मंदिर खुलने का समय:
सुबह 06:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक
आरती का समय:
सुबह और शाम व रात्रि में
महादेव मंदिर
ताप्ती मंदिर के निकट ही 10 फिट कि दूरी पर महादेव का एक प्राचीन मंदिर हैं.ऐसा मंदिर मैंने अपने अभी तक के जीवन काल में पहली बार ही देखा हैं.ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस मंदिर में एक साथ दो शिवलिंग विराजमान हैं जो अभी तक मैंने किसी भी मंदिर में नहीं देखी हैं.इन शिवलिंग के बारे में यहां के पुजारी ने बताया कि मंदिर में स्थापित पहले शिवलिंग चोरी हो चुका था इसके बाद उस जगह पर एक नया शिवलिंग स्थापित किया गया था.लेकिन बाद में वह पुराना शिवलिंग वापस आ गया था इसलिए यहां से पुजारियों ने इन दोनों शिवलिंग कि स्थापना कर दी थी.
पहला शिवलिंग बेहद पुराना है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि इसे पत्थर तराशकर बनाया गया हैं.महादेव मंदिर में प्रवेश के समय दाएं तरफ हनुमान जी का भी मंदिर है जिसमे उनकी एक अद्भुत मुर्ति विराजित हैं.
महादेव मंदिर खुलने का समय:
प्रतिदिन प्रात: 06:00 से रात्रि 10:00 बजे तक
पूजा का समय:
प्रात: 06:00 बजे और शाम 07:00 बजे
श्री गजानन महाराज मंदिर
ताप्ती उद्गम स्थल में श्री गजानन महाराज जी का मंदिर ताप्ती मंदिर से 100 मीटर कि दूरी पर घाट के निकट हैं.मंदिर का प्रवेश द्वार भक्तों के लिए हमेशा खुला रहता है क्योंकि यहां पर दूर-दराज से आने वाले भक्त निवास भी करते है और भंडारा भी ग्रहण करते हैं.गजानन महाराज जी का मंदिर परिसर काफि बड़ा है जिसमे ठहरने के लिए व्यवस्था भी मौजूद हैं. मंदिर के सामने एक अखण्ड जलती रहती हैं.
गजानन महाराज का मंदिर परिसर में ही एक पीपल के पेड़ के नीचे हैं.मंदिर में गजानन महाराज कि हाथों में चिलम लिए मार्बल से निर्मित एक प्रतिमा विराजित हैं और उनके समक्ष अन्य देवी-देवताओं कि तस्वीरें भी दिखाई देती हैं.गजानन महाराज के मंदिर कि दोनों दीवारों पर उनकी आरती लिखी है जो उनकी आरती के समय दोहराई जाती हैं.मंदिर में सुबह और शाम धार्मिक संगीत बजाए जाते है जिसकी वजह से यहां पर हमेशा रोशक बनी रहती हैं.
गजानन महाराज के मंदिर खुलने का समय:
प्रात: 06:00 बजे से रात्रि 10:00 तक
महाराज की आरती का समय:
सुबह 06:00 व रात्रि 08:30 बजे
माँ ताप्ती के रूद्र हनुमान मंदिर
रूद्र हनुमान मंदिर ताप्ती उद्गम स्थल या घाट के बीचो-बीच या ऐसा कहें कि ताप्ती माँ की गोद में स्थित हैं.यह स्थान एक प्रकार से शिवलिंग के स्वरूप में नजर आता है क्योंकि यह शिवलिंग कि तरह उद्गम के बीच में है जो घाट के किनारे बने हुए एक ब्रिच से जुडा हैं.इस ब्रिज से होकर रुद्र हनुमान मंदिर तक पहुंचा जाता हैं.इस मंदिर में पत्थर से निर्मित हनुमान जी एक मुर्ती हैं.
हनुमान जी कि मुर्ती के अलावा यहां पर सात ऋषि, कणाद ऋषि, चरक ऋषि, महर्षि व्यास, महर्षि विश्वामित्र, वशिष्ठ ऋषि, ब्रम्हतेज याज्ञवल्यक्य ऋषि और जमदग्नि ऋषि कि प्रतिमाएं स्थित हैं.इसलिए रुद्र हनुमान मंदिर को सप्तर्षि वाटिया भी कहां जाता हैं.यह से पूरे ताप्ती उद्गम स्थल को देखा जा सकता हैं.सप्तर्षि वाटिया से उद्गम स्थल में चलती हुई नौकायान को निहारा जा सकता हैं.
रूद्र हनुमान मंदिर जाने वालों के लिए जरूरी सुझाव:
- मंदिर में जन्मदिन व दसवाँ मनाना भी मना हैं.
- मंदिर में फोटो लेना और व्यर्थ बैठना भी मना हैं.
- इस स्थान पर जूते-चप्पल पहनकर जाना सख्त मना हैं.
- इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां पर सुन्दर काण्ड पढ़ना और हनुमान चालीसा का पाठ बेहद लाभदायक होता हैं.
ताप्ती उद्गम स्थल कब जाएं:
कभी भी जा सकते हैं
ताप्ती उद्गम स्थल क्यों जाएं:
ताप्ती उद्गम स्थल को माँ ताप्ती नदी के जन्म स्थान के रूप में भी जाना जाता हैं.यह भारत का एकमात्र स्थान है जहां से ताप्ती नदी निकलकर देश की अन्य नदियों में सम्मिलित होती हैं.हिन्दु धर्म में इसे पांचवा धाम कि यात्रा के रूप में जाना जाता है. यहां पर आने से और ताप्ती नदी में स्नान करने से व्यक्ति न सिर्फ अपने समस्त दु:खों व रोगों से मुक्त होता हैं.
उद्गम स्थल के विशेष कार्यक्रम व त्यौहार:
ताप्ती उद्गम स्थल स्थापना दिवस (आषाढ़ शुक्ल की सप्तमी)
दीपावली
होली उत्सव
महाशिवरात्रि
हनुमान जयंती
ताप्ती उद्गम स्थल में नौका विहार शुल्क:
20 रूपये प्रति व्यक्ति
ताप्ती उद्गम स्थल को घूमने में कितना समय लगता हैं:
3 से 4 घंटे
खरीदारी के लिए:
उद्गम स्थल में बजरंग चौक से लेकर बस स्टेंड तक बेहद बड़ा बाजार मौजूद है. इस बाजार में आप लोगों को घरेलू सामान से लेकर कपड़े और आवश्यकता कि लगभग सभी तरफ कि चीजें मिल जाती हैं.घर के लिए सजावटी सामान,बच्चों के लिए खिलौने और स्वादिष्ट मिठाई कि दुकान जैसी सभी तरह कि चीजें यहां पर मिल जाती हैं.
ताप्ती उद्गम स्थल का पता:
ताप्ती उद्गम स्थल मुलताई बस स्टेंड से 300 मीटर की दूरी पर पूर्व में बजरंग चौराहे के निकट है.
आवास की व्यवस्था:
मुलताई बस स्टेंड के निकट ठहरने के लिए आवास के लिए लाॅज व होट मिल जाते हैं.
देशमुख लाॅज
सिंगल रूम | 120/- रूपये प्रति दिन के लिए |
डबल रूम | 200/- रूपये प्रति दिन के लिए |
सिंगल अटैच रूम | 150/- प्रति दिन के लिए |
डबल अटैच रूम | 250/- रूपये प्रति दिन के लिए |
डिलक्स रूम | 400/- रूपये प्रति दिन के लिए |
मुलताई उद्गम स्थल की स्थानिय भाषा:
हिन्दी व अंग्रेजी
भोजन व्यवस्था:
तुलसी भोजनालय
बैतूल से मुलताई जाने में कितना समय लगता हैं:
2 से 2 1/2 घंटे
ताप्ती उद्गम स्थल मुलताई कैसे जाएं/How To Reach Tapti Udagam Sthal
बैतूल शहर से ताप्ती उद्गम स्थल मुलताई 45 किलोमीटर कि दूरी है जहां पर जाने के लिए आप लोगों को बैतूल से दिन से किसी भी समय बस,टैक्सी और कार मिल जाती हैं.मुलताई में रेलवे स्टेशन है इसलिए आप बैतूल से ट्रैन के द्वारा भी जा सकते हैं.
ताप्ती उद्गम स्थल जाने वालो के लिए जरूरी जानकारी:
- उद्गम स्थल में नौकायान कि सवारी जरूर करें.
- मुलताई बस स्टेंड के निकट राणे नाश्ता कार्नर के पोहे-छोले जरूर खाये तो बेहद स्वादिष्ट हैं.
- उद्गम स्थल के निकट का वातावरण व लोग बेहद शालिन है इसलिए यहां पर रात में घूमने फिरने में किसी तरह कि परेशानी नहीं होती हैं.
- ताप्ती उद्गम स्थल बेहद साधारण और असान जगह है इसलिए यहां पर घूमने के लिए ज्यादा जानकारी की आवश्यकता नहीं होती हैं.
- ताप्ती उद्गम स्थल में सुबह और रात्रि का नजारा देखने लायक रहता हैं.क्योंकि सुबह यहां कि शान्ति व रात्रि के समय संगीत और भजन, किर्तन देखने का शौर शराबा उत्साह पुर्वक होता हैं.
- वैसे तो आप ताप्ती उद्गम स्थल में कभी भी जा सकते है लेकिन यदि आप ताप्ती माँ के जन्मदिवस (आषाढ़ शुक्ल पक्ष की सप्तमी) को जाते है तो यहां कि ज्यादा बेहतर हैं.क्योंकि इस दिन यहां पर विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता हैं.
3.Bundala Dam Betul
बैतूल जिला जहां एक तरफ ताप्ती नदी के उद्गम स्थल के लिए जाना जाता है तो वही दूसरी तरफ यह जिले में बहने वाली कई छोटी-बड़ी नदियों के लिए भी विख्यात हैं.इन नदियों के संगम से जिले में कई डेम व सरोवर का निर्माण होता है जिनमे एक बुण्डेला डेम भी हैं.बुण्डेला डेम बैतूल की मुलताई तहसील से 11 किलोमीटर कि दूरी पर परमुंडा होते हुए उत्तर में मौजूद हैं.इस डेम का निर्माण आसपास कि छोटी-छोटी नदियों के संगम से होता हैं.बुण्डेला डेम,बुण्डेला नाम के गांव से 2 किलोमीटर कि दूरी पर हैं.
यह डेम ष्टकोण आकार में बनाया हुआ है जिसके सभी तरफ दूर-दूर तक जंगल और पहाड़ियां नजर आती हैं.प्रकतिक कि खूबसूरती और पिकनिक मनाने वालों के लिए यह जगह काफि अच्छी है इसलिए आसपास के लोग अक्सर यहां से घूमने के लिए आते रहते हैं.डेम और इसके आपसास का शांत वातावरण ही इसकी विशेष पहचान माना जाता हैं.इस डेम में 100 फिट कि दूरी पर दो गेट बने हुए है जो ज्यादातर खुले ही रहते है क्योंकि जब बारिश में पानी कि अधिकता हो जाती है तो डेम से पानी बहकर निकटतम अन्य नदियों में चला जाता हैं.
बुण्डेला डेम के दक्षिण कि दीवारों को मिट्टी व पत्थरों से मिलकर बनाया गया हैं.इस दीवार से 20 फिट लंबा एक दर्शनिय पाॅइंट बनाया गया है जहां से खड़े होकर डेम में दूर तक फैले हुए पानी का सुंदर नजारा और हरी-भरी खूबसूरत पहाड़ियों को देखा जा सकता हैं.
डेम के भ्रमण के दौरान मेरी मुलाकात यहां के स्थानिय लोगों से हुई जिनसे बातें करने पर उन्होंने बताया कि वे बुण्डेला गाँव के है और अक्सर यहां पर आते रहते हैं.उन लोगों ने बताया कि वैसे तो इस डेम को देखने के लिए यहां पर परिवार और दोस्तों के ग्रुप जैसे कई पर्यटक आते है लेकिन यूवा प्रेमी इस जगह पर बेहद अधिक आना पसंद करते हैं.क्योंकि पहाड़ी पर बने हुए इस डेम के आसपास हरियाली व एडवेंचर जगह यूवा प्रमियों को काफि अधिक पसंद आती हैं.
बुण्डेला डेम में प्रवेश इनके दोनों गेट से होकर जाती हुई सीढ़ियों से होता है जिनके नीचे वाहन पार्किंग के लिए काफि अच्छी जगह हैं.इन सीढ़ियों से होते हुए आप डेम कि दीवार पर पहुंच जाते है जहां से दूर तक फैली हुई डेम कि खूबसूरती को देख सकते हैं.
बुण्डेला डेम कब जाएं:
जुलाई से अक्टूबर तक
बुण्डेला डेम खुलने का समय:
सुबह 06:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक
बुण्डेला डेम की प्रवेश टिकट:
Free
बुण्डेला डेम में वाहन पार्किंग टिकट:
Free
बुण्डेला डेम को घूमने में कितना समय लगता हैं:
1 से 2 घंटे का समय
बुण्डेला डेम के निकटतम मशहूर जगह:
मुलताई 11 किलोमीटर
बुण्डेला डेम क्यों जाएं:
यह डेम जंगल,पहाड़ो व छोटे-छोटे पहाड़ी कस्बों के बीच में मौजूद है जिसके चारों तरफ हरा-भरा शांत वातावरण हैं जो लोगों को बेहद पसंद आता हैं.इसलिए यहां पर आपने परिवार व दोस्तों के साथ पिकनिक व वीकेंड कि छुट्टियां बनाने के लिए जा सकते हैं.
बुण्डेला डेम का पता:
डेम बैतूल की मुलताई तहसील से उत्तर में 11 किलोमीटर और आमला तहसील से दक्षिण-पूर्व में 20 किलोमीटर कि दूरी पर बुण्डेला गाँव में मौजूद हैं.
बुण्डेला डेम कैसे जाएं/How to reach bundala dam:
मुलताई और आमला तहसील से बुण्डेला डेम तक प्राइवेट व सरकारी किसी भी तरह कि बस नहीं जाती हैं.इसलिए या तो अपने पर्सनल साधन से जाये या फिर मुलताई व आमला से कार और टैक्सी से जा सकते हैं.
बुण्डेला डेम जाने वाले पर्यटकों के लिए आवश्यक जानकारी:
- डेम के निकट ठहरने के आवास सुविधा भी नहीं हैं.
- बुण्डेला डेम में सूर्यअस्त का नजारा बेहद सुंदर दिखाई देता है इसलिए हो सके तो वह जरूर देखें.
- डेम के निकट भोजनालय और ढ़ाबा नहीं है इसलिए भोजन,पानी व आवश्यक चीजें अपने साथ लेकर जाएं.
- मुलताई और आमला से बुण्डेला जाते है तो रास्ते में पेट्रोल पंप भी नहीं मिलता है इसलिए वाहन में ईंधन पर्याप्त रखें.
- बारिश के दिनों में डेम पर जाते समय अपने साथ रेन कोट व छाता जरूर रखें क्योंकि डेम के निकट वर्षा से बचने के लिए कोई जगह नहीं हैं.
4. Khedala Kila Betul
खेड़ला किला बैतूल जिले का एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है जो यहां कि ऐतिहासिक संस्कृति को दर्शाता हैं.बैतूल शहर से खेलड़ा किला 9 किलोमीटर कि दूरी पर खेड़ला नाम के गाँव के निकट हैं.इस किले पर जाने कि मेरी खास वजह यह है कि मैं कई लोगों से इसकी रोचक कहानियां सुन चुका था.हालांकि यह किला बैतूल शहर से नजदीक ही है लेकिन मुझे यहां पर जाने का रास्ता नहीं पता था इसलिए कई लोगों से पुछते हुए मैं यहां आ चुका था.
यह किला एक 500 फिट ऊंची और 200 मीटर लंबी पहाड़ी पर बना हुआ हैं.मैं अपनी बाइक से इस किले के नजदीक गया जहां पर एक शिव मंदिर बना हुआ है जो बेहद पुराना बताया जाता हैं.इस मंदिर में भगवान शिव जी एक पुरानी प्रतिमा है और विशाल त्रिशुल गड़ा हुआ हैं.इस मंदिर के निकट ही पेड़ के नीचे एक छोटे छोटे मंदिर बने हुए है जिनमे गणेश जी, विष्णु जी, काली जी और हनुमान जी की पत्थर से बनी हुई बेहद दुर्लभ मुर्तियां देखने को मिलती है जिन्हें देखने पर ऐसा लगता है कि ये मुर्तियां सैकड़ों वर्ष पुरानी हैं.
इस मंदिर को घूमने के बाद मैंने अपनी बाइक को यही पर खड़ी कि ओर पहाड़ी कि तरफ किला देखने के लिए निकल गया था.पहाड़ी के नीचे से किले पर जाने के लिए पत्थत से सीढ़ियां बनी हुई है जो काफि हद तक टूट चुकी हैं.ये सीढ़िया बेहद खड़ी है जिसकी वजह से पहाड़ी पर चढ़ने में काफि परेशानियां लेकिन इससे पहले में अमरनाथ जैसी कठिन यात्रा कर चुका था तो यह चढ़ाई चढ़ना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी.इसलिए लगभग 10 मिनट के अंदर में किले पर पहुंच चुका था.
खेड़ला किले कि रोचक कहानियां सुनने के बाद मैं यहां पर आ तो चुका था लेकिन किले पर पहुंने के बाद मुझे बेहद निराशा महसूस हुई थी.क्योंकि यहां पर किले के नाम पर अब चंद दीवारों और कुछ ऐतिहासिक गेट के अलावा कुछ भी नहीं बचा हैं.छोटे-बड़े पत्थर,रेत और मिट्टी से बनी हुई किले किए दीवारें इसकी शैली एंव प्राचीनता को बताई हैं.जैसे ही हम इस दीवार के टूटे हुए हिस्से से अन्दर प्रवेश करते है तो यहां पर कालीजी, हनुमान जी और शकंर जी मुर्तियां देखने को मिलती है जिन्हें देखने पर मैंने यह पाया कि इन मुर्तियों को स्थानिय लोगों ने कुछ ही साल पहले स्थापित हैं.
जैसा कि हम आपको बता चुके है किले में पुराने चीजें देखने के लिए कुछ नहीं है लेकिन इस पहाड़ी से दूर तक फैली हुई खेतों कि हरियाली और वादियों देखने लायक हैं.किले कि पहाड़ी के ऊपर से देखने पर पता चलता है कि इसके चारों तरफ खेत और नदिया हैं.इस पहाड़ी पर नीम,पीपल, बबुल और आंवले के कई पेड़ लगे है जो काफि बड़े हो चुके है जिसकी वजह से यह जगह जंगल कि तरफ दिखाई देती हैं.
यदि आप पहाड़ी के नीचे से भी इस किलो को देखते है तो पेड़-पौधो से मिलकर बने जंगल के अलावा कुछ भी नहीं दिखता हैं.लेकिन इन सभी के बाद यह जगह दोस्तों के साथ घूमने-फिरने और पार्टी के लिए बेहद शानदार हैं.
खेड़ला किले की रोचक कहानी/History Of Khedala Kila
खेड़ला किले कि रोचक कहानी ही इस किले की मशहूर होने कि खास बात हैं.हालांकि मुझे पहले इस किले कि कहानियों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था लेकिन पहाड़ी के नीचे बने शिव मंदिर में बैठे हुए एक स्थानिय व्यक्ति से मैने इस बारे में पुच्छा तो उन्होंने मुझे इस बारे में काफि कुछ बताया.किले के इतिहास के बारे में बात करने पर उन्होंने बताया कि इस किले के निर्माण के बारे में हमें ज्यादा कुछ पता नहीं हैं.
लेकिन ऐसा सुना है कि इस किले का निर्माण लगभग 300-400 साल पहले एक गोंड राजा ने किया था.उन्होंने आगे बात करते हुए बताया कि इस किले कि पहाड़ी के नीचे पहले चारों तरफ दूर-दूर तक पानी भरा हुआ था.दूर तक फैले हुए पानी कि वजह से ही गोंड राजा ने यहां पर किला बनाने का निर्णय किया था कि कोई भी दुश्मन इस किले पर आक्रमण नहीं कर सकेगा.उस व्यक्ति ने मुझे आगे जो बताया वह मेरे लिए बेहद चौकाने वाली बात थी.उन्होंने कहां पहाड़ी के नीचे पानी में पारश पत्थर था जो आज भी यही पर बताया जाता हैं.
एक दिन गोंड़ राजा के हाथी के पेरो में बेहद लंबी जंजीर बंधी थी जिसे लेकर वह पानी में चला गया और जैसी ही वह जंजीर पारश पत्थर से टकराई तो पूरी सोने कि बन गई थी.सोने कि जंजीर बन जाने से वह काफि अधिक भारी हो चुकी थी जिसकी वजह से हाथी वापस नहीं आ सका और पानी में ही उसकी मौत हो गई थी.किले के निर्माण के बारे में उस व्यक्ति ने बताया कि राजा ने किला का निर्माण करने के लिए दूर के लोगों को बुलाया था और निर्माण कार्य करने वाले जो भी व्यक्ति इसमे प्रवेश करता उन्हें द्वार पर लगे हुए घंटे को बजार ही अंदर जाना होता था.लेकिन एक दिन एक महिला बिना घंटा बजाए किले में प्रवेश कर गई तभी से इस किले का निर्माण रूक गया जिसकी वजह से यह आज भी अधुरा हैं.
खेड़ला किला कब जाएं:
प्रति दिन जा सकते है.
खेड़ला किला खुलने का समय:
सूर्योदय से सूर्यअस्त तक
खेड़ला किला देखने की टिकट:
Free
खेड़ला किला घूमने में कितना समय लगता हैं:
2 से 3 घंटे का समय
खेड़ला किला क्यों जाएं:
यह किला 500 फिट ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है जहां से नीचे का नजारा बेहद सुंदर दिखाई देता हैं.ऐसा लगता कि आप किसी हिल स्टेशन पर हैं.ट्रैकिंग करने वालों के लिए भी यह जगह बेहद शानदार हैं.ऐसिहासिक इमारतों में रूचि रखने वालों के लिए भी यह जगह काफि काम कि हैं.
खंड़ेला किले का नीकटतम शहर:
बैतूल 7 किलोमीटर कि दूरी पर
बैतूल से खेड़ला किला जाने में कितना समय लगता हैं:
करीब आधां घंटा
खेड़ला किला कैसे जाएं/How To Reach Khedala Kila:
बैतूल शहर से खेड़ला किला 7 किलोमीटर कि दूरी पर आमला रोड़ से बाएं तरफ 2 किलोमीटर अंदर हैं.यहां तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के कोई साधन नहीं जाते हैं.इसलिए या तो आप अपने पर्सनल साधन से जाएं या फिर बैतूल से कार व टैक्सी कर के जा सकते हैं.
खेड़ला किला जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:
- वाहन को शिव मंदिर के परिसर में खड़ा कर सकते हैं.
- अपने पर्सनल वाहन से यहां पर जाना ज्यादा बेहतर हैं.
- किले कि पहाड़ी बेहद ऊंची है इसलिए इसके किनारें पर न जाएं.
- खेड़ला किले के निकट कोई ढ़ाबा व भोजनालय नहीं है इसलिए भोजन अपने साथ लेकर जाएं.
- किले का भ्रमण कराने के लिए कोई गाईड नहीं है इसलिए यहां कि जानकारी बेहद आवश्यक हैं.
- खेड़ला किला कि पहाड़ी पर पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए पानी अपने साथ लेकर जाएं.
- किले के आसपास काफि जगह है, जहां पर आप पिकनिक भी मना सकते है और घर का भोजन भी लें जाकर खा सकते हैं.
- बैतूल से आमला जाने वाली बस से आप खेड़ला तक जा सकते है लेकिन यहा से किले पर जाने के लिए आपको 2 किलोमीटर पैदल चलकर जाना होगा.
5. Belond Village
बैतुल मध्यप्रदेश के सबसे खूबसूरत जिलों में शामिल हैं. यहां पर धार्मिक जगह से लेकर प्राकृतिक सुंदर जगह कि कोई कमी नहीं हैं. अब हम अपको यहां पर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर एक ऐसी ही खास जगह के बारे में बता रहे है जिसे बेलोंद गॉव के नाम से जाना जाता हैं. बैतुल शहर से करीब 45 किलोमीटर कि दूरी पर पहाड़ो के बीचों बीच बसा हुआ यह गॉव किसी स्पन नगरी से कम नहीं हैं.
मेरी बैतुल यात्रा के दौरान यह मेरे लिए सबसे खास जगह रही हैं. वैसे तो यह गॉव दिखने में काफि छोटा है लेकिन इसकी सुंदरता इसे कई मायने में बेहद ब्रह्द बनाती हैं. पहाड़ो के बीच यह बेलोंद गॉव एक छोटी सी नदी के किनारे बसा है जो बर्षा के दिनों में यहां कि सुंदरता को और भी बड़ा देती हैं. वैसे तो यह जगह सभी लोगों को पसंद आती है लेकिन शहर कि भाग दौड़ भरी दूनिया से दूर यह शांति पसंद करने वालों के लिए बेहद शानदार हैं.
सुंदरता से भरपूर बेलोंद एक ऐसी जगह है जहां पर साल में कभी भी जा सकते हैं. लेकिन गर्मी के दिनों में पतझड़ कि वजह से यहां कुछ विरान सा लगता हैं. वही यदि आप
बेलोंद कब जाएं
सितम्बर से फरवरी के बीच
बेलोंद के निकट बड़ा शहर
बैतुल 45 किलोमीटर की दूरी पर
बैतुल से बेलोंद जाने में कितना समय लगता है
2 से 2.30 घंटे
बेलोंद कैसे जाएं
बैतूल शहर से बेलोंद महज 45 किलोमीटर कि दूरी है सारणी मार्ग हैं. यहां पर जाने के लिए बैतूल से बस और कार मिल जाती हैं. हालांकि यहां पहाड़ी इलाका है जिसकी वजह से यहां पर बस बेहद कम चलती हैं. आप चाहे तो अपने पर्सनल वाहन से भी जा सकते है जो सबसे अच्छा विकल्प हैं.
6.Ramtek Tekdi Hasalpur
रामटेक टेकड़ी बैतूल जिले कि आमला तहसील में हसलपुर नाम के एक छोटे से गाँव में मौजूद हैं.यह टेकड़ी हसलपुर में आमला-बैतूल मुख्य रोड़ पर दाएं तरफ है जो कि कुछ हद तक मैदानी और पत्थरीली हैं.हालांकि मुझे रामटेक टेकड़ी के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी लेकिन जब में यहां से गुजर रहा था तो इसकी खूबसूरती ने मुझे यहां पर खींच लाई थी.वैसे यह टेकड़ी चारों तरफ से खुली है लेकिन यहां पर पहुंचने के लिए मुख्य सड़क से रास्ता है जो धीरे-धीरे ऊपर कि तरफ बढ़ता जाता हैं.रामटेक टेकड़ी करीब 100 फिट कि ऊंचाई पर है जहां से हसलपुर के अलावा दूर दराज के पहाड़ी श्रेत्र और कस्बे भी देखे जा सकते हैं.
यह पहाड़ी दो हिस्सों में है जिसके नीचे का हिस्सा थोड़ा छोटा है जहां से खड़ी सीढ़ियां इस पहाड़ी के दूसरे हिस्से के ऊपर लेकर जाती हैं.इस जगह का नाम रामटेक टेकड़ी रखने कि एक खास बात यह है कि यहां पर भगवान राम का एक पूराना मंदिर है जिसमे उनकी मार्बल से निर्मित एक खूबसूरत प्रतीमा है जो कि अश्व पर विराजमान हैं.राम मंदिर से 20 फिट कि दूरी पर ही हनुमान जी के एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा हैं.
हालांकि हनुमान जी का यह मंदिर देखने पर ऐसा लगता है यह अपनी निर्माण अवस्था में है लेकिन इस मंदिर में हनुमान जी कि 11 फिट कि मुर्ति स्थापित कि जा चुकि हैं.राम मंदिर और हनुमान मंदिर इस पहाड़ी के दूसरे हिस्से में ऊपर स्थापित हैं.रामटेक टेकड़ी और इसके आसपास कि सुंदर तस्वीरें लेते समय मैंने यहां पर स्थानिय लोगों को आते देखा जो यहां पर दोस्तों के साथ घूमने के लिए व व्यायायाम करने के लिए आये थे.इस लोगों को देखकर ऐसा लगता है कि यह इनके रोजाना आने कि जगह हैं.
इस दौरान मेरी नजर टेकड़ी से पूर्व कि तरफ गई जहां पर एक तालाब बना हुआ था.मैंने यहां पर व्यायायाम कर रहे एक लड़के से इस बारे में मुझा तो उन्होंने कहां कि भैया यह एक छोटा डेम है जिसमे आसपास कि नदियों से पानी इकट्ठा होता हैं.मुझे यहां पर शाम हो चुकि थी और आसमान से ढ़लता हुआ सूरज इस जगह जो को ओर अधिक सुंदर बना रहा था.
शाम के समय यहां कि खूबसूरती को देखते हुए मैं यहां पर सूर्यौदय के विहंगम नजारे कि कल्पना करने लगा था जो कितना शानदार होता होगा.मेरे लिए इस जगह पर कुछ वक्त गुजारना एक बेहतरीन अनुभव रहा था.इस जगह हो आप आमला तहसील का एक सदाबाहर पर्यटन स्थल कह सकते है क्योंकि यहां पर आप अपने दोस्तों और परिवार से साथ जानकर पिकनिक मना सकते है और एक अच्छा समय गुजार सकते हैं.
साथ ही यह जगह सूर्यौदय और सूर्यअस्थ से समय फोटोग्राफी के लिए भी काफि अच्छी हैं.आमला व बैतूल मार्ग पर मौजूद होने कि वजह से यहां पर पहुंचने में भी किसी तरह कि परेशानी होती हैं.
रामटेक टेकड़ी कब जाएं:
जनवरी से दिसंबर तक कभी भी
रामटेक टेकड़ी खुलने का समय:
24 घंटे खुली रहती हैं
रामटेक टेकड़ी कि प्रवेश टिकट:
Free (नि:शुल्क)
रामटेक टेकड़ी घूमने में कितना समय लगता हैं:
1 से 2 घंटे
विशेष पर्व एंव त्यौहार:
* रामनवमी
*हनुमान जयंती
रामटेक टेकड़ी क्यों जाएं:
आमला तहसील में मौजूद रामटेक टेकड़ी पिकनिक स्पाॅट के रूप में बेहद शानदार जगह हैं.इस जगह पर आपने परिवार व दोस्तों के साथ पार्टी मनाई जा सकती हैं.
रामटेक टेकड़ी का निकटम बड़ा शहर:
बैतूल 27 किलोमीटर
बैतूल से रामटेक टेकड़ी जाने में कितना समय लगता हैं:
लगभग 1 घंटा
रामटेक टेकड़ी कैसे जाएं/How To Reach Ramtek Tekdi:
बैतूल से आमला जाने वाली बस रामटेक टेकड़ी होकर ही गुजरती हैं.इस तरह आप बेहद आसानी से बैतूल से रामटेक टेकड़ी जा सकते हैं.बैतूल से रामटेक टेकड़ी अपने पर्सनल वाहन से भी आमला रोड़ होते हुए हमलापुर,मोहगांव,बर्साली और मोरडोंगरी होते हुए जा सकते हैं.
रामटेकड़ी जाने वाले पर्यटकों के लिए जरूरी सुझाव:
- बैतूल-अमला रोड़ पर पेट्रोल पंप नहीं है इसलिए वाहन में ईंधन पर्याप्त रखें.
- हसलपुर एक छोटा गाँव है इसलिए यहां पर ठहरने के लिए कोई होटल व लाॅज नहीं मिलते हैं.
- टेकड़ी के ऊपर पानी पीने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है इसलिए खाने-पीने कि जरूरी चीजें अपने साथ लेकर जाएं.
- फोटोग्राफी के लिए यह जगह काफि अच्छी है इसलिए जिन्हें फोटोग्राफी का शौक है वे अपने साथ अच्छा कैमरा लेकर जाएं.
- रामटेक टेकड़ी के ऊपर खाना बनाने के लिए अच्छी जगह है इसलिए आप दोस्तों या परिवार के साथ पिकनिक के लिए जा सकते हैं.
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7. Sarni Dam/Satpura Dam
बैतूल जिले कि सारणी तहसील में मौजूद सतपुड़ा डेम जिसे यहां से स्थानिय लोग चौदह फाटक और सारणी डेम के नाम से जानते हैं.मैं पहले कई न्यूज़ चैनल और अखबारों में यहां के गेट खुलने की भव्य तस्वीरें व लोकप्रियता सुन चुका था. लेकिन जब मेरा यहां पर आना हुआ तो इसे देखने का मौका नहीं छोड़ सकता था.
पिछले कुछ सालों तक मैं सारणी को बेहद बड़ा शहर मानता था लेकिन वास्तव मेम यह इतना अधिक बड़ा नहीं हैं.बैतूल शहर से 50 किलोमीटर कि दूरी पर मौजूद सारण एक छोटी सी तहसील है जो यहां पर स्थापित पावर प्लांट के लिए भी जानी जाती हैं.
सारणी पावर प्लांट से सतपुड़ा डेम 6 किलोमीटर कि दूरी पर उत्तर कि दिशा में हैं.यह डेम सतपुड़ा पहाड़ो के दो विशाल पर्वतों के बीच तवा नदी पर बनाया गया हैं.इस डेम को शायद इसलिए सतपुड़ा डेम कहा जाता है क्योंकि यह सतपुड़ा पर्वत पर बनाया गया हैं.सतपुड़ा डेम के दूसरे किनारें पर सारणी पावर प्लांट है जिसे रास्ते से साफ देखा जा सकता हैं.मुझे हमेशा से डेम के खुले हुए गेट का भव्य नजारा देखने का शौक रहा है लेकिन जब-जब मेरा किसी विशाल डेम पर जाना होता है तो वहां के गेट बंद ही मिलते हैं.
इस बार भी यह हुआ, लेकिन डेम के दोनों तरफ से सतपुड़ा के ऊँचे पहाड़ और यहां कि सुंदरता ने मुझे मायूस होने नहीं दिया.सतपुड़ा डेम में 14 विशाल गेट है जिनकी वजह से इसे चौदह गेट या फाटक भी कहां जाता हैं.यह डेम वैसे तो संपूर्ण रूप से मिला हुआ दिखाई देता है लेकिन इसके दो भाग हैं.डेम के बीच में 20 फिट ऊंची एक दीवार बनाई गई है जिसके दोनों तरफ 7-7 गेट बने हुए हैं.सतपुड़ा डेम के ऊपर गेट व अन्य कार्य से संबधित आफिस बनाए गए है जहां पर प्रतिबंध हैं.
डेम को देखने के लिए इसके दाएं तरफ एक दर्शनिय पांईट है जहां से पूरे डेम को एक ही नजर में देखा जा सकता हैं.गेट नंबर 1 से दर्शनिय पांईट के किनारें पर रेलिंग लगाई गई है जिससे 6 फिट कि दूरी से ही डेम को देखने कि सलाह दी जाती हैं.
सतपुड़ा डेम के निकटतम आकृर्षण/Most Visited Places At Satpura Dam
सतपुड़ा पर्वत के पहाड़ों पर मौजूद इस डेम के निकटतम कुछ अन्य आकर्षण स्थल भी हैं जिन्हें मैंने अपनी इस यात्रा के दौरान शामिल किया हैं.तो आइए जानते है सतपुड़ा पर्वत के इन निकटतम स्थलों के बारे में.
गणेश मंदिर–
सारणी मार्ग पर सतपुड़ा डेम से 200 मीटर कि दूरी पर एक गणेश मंदिर है जो पहाड़ी के किनारें पर बना हुआ हैं.गणेश मंदिर के द्वार पूर्व कि तरफ खुलते है जहां से डेम का भरा हुआ पानी देखा जा सकता हैं.जैसे ही इस मंदिर आप प्रवेश करते है तो इसके परिसर में दाएं तरफ शंकर जी व पार्वती माँ कि अर्धनागेश्वर मुर्ति दिखाई देती हैं.अर्धनागेश्वर कि प्रतिमा के सामने ही हनुमान जी कि भी एक सुंदर प्रतिमा विराजित हैं.
मुख्य मंदिर पत्थर कि एक शिला पर तराशी हुई भगवान श्री गणेश कि प्रतिमा बनी हुई है जो बेहद शोभनीय हैं.गणेश जी कि प्रतिमा के निकट ही पत्थर से बना हुआ एक शिवलिंग है जो दिखने में काफि पुराना नजर आता हैं.मंदिर में न तो कोई पुजारी नजर आता है और न ही किसी तरह कि सुविधा है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि यह गणेश मंदिर 24 घंटे खुला रहता हैं.
पहाड़ी के बीच में मौजूद इस मंदिर पर और आसपास में बेहद शांत व साफ-सुथरी जगह है जो कि एक अच्छा समय गुजारने के बेहतरीन हैं.
फॉरेस्ट गार्डन–
गणेश मंदिर के 2 किलोमीटर कि दूरी पर सारणी रोड़ पर ही एक जंगल व पहाड़ियों के बीच एक फॉरेस्ट गार्डन बना हुआ हैं.फॉरेस्ट गार्डन पहाड़ी के किनारे पर जो सागौन के ऊंचे-ऊंचे पेड़ो से घिरा हैं.गार्डन में घूमने फिरने के लिए और बैठने के लिए कई चौपाल बनाए गए है जिनमे यहां पर आने वाले लोग विश्राम करते हुए दिखाई देते हैं.
इस फॉरेस्ट गार्डन के नीचे के हिस्से में एक दर्शनिय पांईट भी बना हुआ है जहां से डेम में दूर तक फैले हुए अथार पानी के खूबसूरत नजारे को देखा जा सकता हैं.हालांकि फॉरेस्ट गार्डन एक अच्छी जगह पर बना हुआ है लेकिन इसका भ्रमण करने पर मैंने देखा कि रखरखाव के अभाव में यह काफि हद तक क्षतिग्रस्त हो चुका हैं.गार्डन का प्रवेश गेट भी टूट चुका और बुकिंग ऑफिस भी खंडहर बन चुका हैं.
यहा पर विश्राम के लिए बने चौपाल भी टूट चुके है लेकिन फिर भी पेड़ो कि घनी छाया और शांत वातावरण यहां पर जाने वाले लोगों को कुछ देर तक यहां रूकने के लिए मजबूर कर देती हैं.
सारणी पावर प्लांट व्यू-
शहर से 3 किलोमीटर कि दूरी पर सतपुड़ा डेम के मार्ग पर सारणी पावर प्लांट व्यू स्पाॅट हैं.सारणी पावर प्लांट व्यू स्पाॅट सतपुड़ा डेम का एक किनारा है जो कि सारणी शहर व पावर प्लांट से लगा हुआ हैं.यहां से संपूर्ण पावर प्लांट को एक ही बार में देखा जा सकता हैं.पावर प्लांट को अंदर से देखने कि अनुमति आम लोगों को नहीं मिलती है इसलिए यदि आप इसे देखना चाहते है तो इसके लिए पावर प्लांट व्यू स्पाॅट एक अच्छी जगह हैं.
पावर प्लांट व्यू स्पाॅट से प्लांट और इसके पीछे कि पहाड़ी नजर आती हैं.यहां से जब आप पावर प्लांट को देखते है तो ऐसा लगता है कि यह तवा नदी पर ही बना हुआ है लेकिन वास्तव में यह सारणी शहर में बना हुआ हैं.प्लांट के सामने तवा नदी में कुछ मछुआरे नाव से मछली पकड़ते हुए भी नजर आते है जो किसी खूबसूरत चित्र के समान प्रतित होता हैं.
हालांकि यह जगह कुछ हद तक प्रतिबंधित क्षेत्र में आती है लेकिन फिर भी पावर प्लांट का सुंदर नजारा देखने के लिए लोग यहां पर जाते रहते हैं.क्योंकि यह एक मात्र जगह है जहां से आप सारणी पावर प्लांट को देख सकते हैं.
सतपुड़ा डेम कब जाएं:
अगस्त से अक्टूबर के बीच
सतपुड़ा डेम खुलने का समय:
सुबह 06:00 बजे शाम 06:00 बजे तक
सतपुड़ा डेम देखने की टिकट:
Free
सतपुड़ा डेम देखने में कितना समय लगता हैं:
लगभग 1 घंटा
सतपुड़ा डेम क्यों जाएं:
तवा नदी पर बना हुआ यह डेम सतपुड़ा पर्वतों के बीच में हैं.जब डेम के गेट खोले जाते है तो यहां का भव्य नजारा देखते ही बनता हैं.इसके अलावा यह जगह पिकनिक व खूबसूरत जंगल में फोटोग्राफी के लिए भी काफि अच्छी हैं.
सतपुड़ा डेम के निकटतम मशहूर शहर:
सारणी 6 किलोमीटर
सारणी से सतपुड़ा डेम जाने में कितना समय लगता हैं:
करीब 30 मिनट
सतपुड़ा डेम कैसे जाएं:
बैतूल से सारणी जाने के लिए बस और कार सभी तरह के साधन मिल जाते हैं.लेकिन सारणी से सतपुड़ा डेम तक कोई आवागम के साधन नहीं चलते हैं.लेकिन आप सारणी से कार या टैक्सी कर के डेम तक पंहुच सकते हैं.
सतपुड़ा डेम जाने वालों के जरूरी जानकारी:
- सारणी से सतपुड़ा डेम के बीच में कोई पेट्रोल पंप नहीं है इसलिए ईधन का ध्यान रखें.
- डेम और सारणी के बीच का जंगल बेहद खूबसूरत हैं जो कि फोटोग्राफी के लिए भी काफि अच्छा हैं.
- सतपुड़ा डेम के नजदीक खाने-पीने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए अपनी जरूरत कि चीजें साथ लेकर जाएं.
- सारणी से सतपुड़ा डेम तक कोई पब्ल्कि ट्रांसपोर्ट के साधान नहीं जाते है इसलिए यहां पर अपने साधन से जाना ज्यादा बेहतर हैं.
- सतपुड़ा डेम के गेट खुलने के बाद यहां का नजारा काफि अच्छा लगता है इसलिए गेट खुलने की जानकारी लेने के बाद यहां पर जाएं.
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8. Kanak Water Park Betul
बैतूल शहर से 15 किलोमीटर कि दूर इंदौर रोड़ पर मौजूद कनक वाॅटर पार्क गर्मी के दिनों में भारी गर्मी से छुटकारा पाने के लिए व मौज मस्ती के करने के लिए एक शानदार जगह हैं.कनक वाॅटर पार्क बैतूल व चिचोली के बीच में ग्राम खेड़ी में मुख्य मार्ग पर हैं.लगभग 8 एकड़ भूमि में फैला हुए इस वाॅटर पार्क कइ शुरूआत इसके एक विशाल गेट से होती है जो कि दो बड़े ऑफिस नुमा बिंब के ऊपर बना हैं.
प्रवेश गेट बाहर प्रवेश टिकट व वाॅटर पार्क से संबधित अन्य जानकारी लिखी हुई हैं.इस प्रवेश गेट के बाहर पार्किंग के लिए बेहद अधिक जगह हैं. कनक वाॅटर पार्क के गेट से आप जैसे प्रवेश करते है तो एक 2 फिट ऊंचे पानी का फव्वारा दिखाई देता है जिसके बीच में मार्डन आर्ट से बनी हुई श्रीगणेश कि प्रतिमा नजर आती है.
श्रीगणेश जी कि प्रतिमा के दाएं तरफ पुरूषों के लिए व बाएं तरफ महिलाओं के लिए स्नान घर व चैंजिग रूम भी बनने हुए है.कनक वाॅटर पार्क का निर्माण बड़े और बच्चें सभी वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है इसलिए यहां पर आपको सभी तरफ कि सुविधाएं दिखाई देती हैं.
इस वाॅटर पार्क में जहां बच्चों के लिए कम गहराई के छोटे स्विमिंग पूल है तो वहीं बड़ों लोगों के लिए कुछ अधिक गहराई के बड़े स्विमिंग पूल भी नजर आते हैं.कनक वाॅटर पार्क में आप न सिर्फ मौज मस्ती कर सकते है बल्कि यहां पर आप जन्मदिन कि पार्टी का आयोजन भी कर सकते है इसलिए यहां पर एक शानदार गार्डन और स्टेज भी बना हुआ हैं.
वाॅटर पार्क कि खूबसूरती बढ़ाने के लिए व लोगों को आकर्षित करने के लिए यहां पर हाथी व बंदर जैसे कई जंगली जानवरों कि मुर्तियां भी देखने को मिलती हैं.कनक वाॅटर पार्क आने के बाद आपको यहां पर किसी भी तरह से उबाऊ या बोरियतपन महसूस नहीं होता हैं.
कनक वाॅटर पार्क के मुख्य आकृर्षण/Most Visited Places At Kanak Water Park
यदि आप कनक वाॅटर पार्क जाते है तो यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि यहां पर मनोरंजन के लिए कौन-कौनसी अच्छी चीजें हैं.इसलिए मैंने यहां पर मौजूद कुछ खास चीजों कि लिस्ट बनाई है जो वाॅटर पार्क के आकृर्षण कि खास वजह हैं.तो आइए जानते है इन चीजों के बारे में.
The Welcome to Jungle–
जैसा कि हम आप लोगों को पहले बता चुके है कि कनक वाटर पार्क का निर्माण बच्चे व यूवा सभी लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं.इनमे से एक है The Welcome to Jungle जो कि एक स्विमिंग पुल है जो खास कर बच्चों के लिए हैं.यह स्विमिंग वाॅटर पार्क में प्रवेश द्वार से अंदर आने पर दाएं तरफ देखने को मिलता हैं.इस स्विमिंग में ज्यादा अधिक पानी नहीं भरा जाता है.
इसके बीचों बीच में बच्चों को नहाने के लिए कई स्लाइड मिलते है जिनमे ऊपर चढ़कर सीधे पानी में फिसला जाता हैं.इस स्लाइड को The Welcome to Jungle के नाम से जाना जाता हैं.इसे The Welcome to Jungle शायद इसलिए कहां जाता है क्योंकि इसके ऊपर शेर,हाथी व कई पक्षी के स्टेचू लगे नजर आते है जिन्हें बच्चों को आकृर्षण करने के लिए लगाए गए हैं.The Welcome to Jungle को पीले,हरे व नीले रंग से शानदार रंगों से रंगा गया है जो दिखने में भी काफि शानदार लगता हैं.
Long Water slide–
Long Water slide वाॅटर पार्क में The Welcome to Jungle के निकट ही पीछे कि तरफ हैं.यह एक 20 फिट ऊंची ईमारत है जिसके ऊपर से 2 स्लाइड प्रवेश गेट कि तरफ होती हुई नीचे आती हैं. इसमें एक बड़ी स्लाइड है जो 200 फिट व दूसरी छोटी स्लाइड है जो 150 फिट लंबी हैं.
यह दोनों स्लाइड ऊपर से नीचे आती है The Welcome to Jungle स्विमिंग पुल से आकर मिलती हैं.Long Water slide कि दोनों स्लाइड हार्ड प्लास्टिक से बनी हुई है जो बेहद मजबूत हैं.इन स्लाइड में नीचे से पानी के फव्वारे लगे हुए है जिनसे इनके अंदर पानी छोड़ा जाता है जिसे ठंठी व फिसलदार बनाता हैं जिसकी वजह से ऊपर से आने वाला व्यक्ति आसानी से नीचे कि तरफ फिसल जाता हैं.यह लंबी पानी की स्लाइड बच्चें व यूवा सभी वर्ग के लोगों के लिए बेहद सुरक्षित व मनोरंजन से भरपूर हैं.
Wave Pool–
Long Water slide के पीछे ही वेब पुल बना है जो कि कनक वाॅटर पार्क में एक एडवेंचर से भरपूर प्लेस हैं.इस वेब पुल में नीले और काले रंग से रंगा हुआ एक अर्धचन्द्र आकार पुल बना है जिसमे एडवेंचर पसदीदा लोगों को 20 फिट ऊपर से धकेला जाता है जिससे वह ऊपर-नीचे आता जाता रहता हैं.इस दौरान पुल के दोनों तरफ के ऊपरी हिस्सों से पानी के फव्वारें चलते रहते हैं.
इस पुल के निकट ही एक सर्पिलाकार पुल भी जिसमे ऊपर से आने वाला व्यक्ति घूमते-घूमते नीचे बने एक स्विमिंग पुल में आ गिरता हैं.इन दोनों पुल के 10 फिट नीचे एक छोटा सा पुल है जो कि सीधे स्विमिंग पुल से जाकर मिलता हैं.ये तीनों पुल एक 25 फिट ऊंचे मीनार से जुड़े हुए हैं.जिन लोगों को एडवेंचर का बेहद शौक है उन लोगों के लिए वेब पुल एक शानदार जगह हैं.
वेब पुल की टाइमिंग: प्रतिदिन-
12:00 PM
02:00 PM
3:00 PM
05:00 PM
कनक वाॅटर पार्क कब जाएं:
फरवरी से जून के बीच
कनक वाॅटर पार्क खुलने का समय:
सुबह 10:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक
कनक वाॅटर पार्क की प्रवेश टिकट:
सोमवार से शनिवार तक
350/- रूपये प्रति व्यक्ति
रविवार के दिन
400/- रूपये प्रति व्यक्ति
कास्ट्यूम चार्ज़- 50/- रूपये अलग से
कनक वाॅटर पार्क की पार्किंग टिकट:
Free
कनक वाॅटर पार्क क्यों जाएं:
वाॅटर पार्क गर्मी के दिनों में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए व मौज मस्ती करने के लिए एक शानदार हैं.यहां पर आप आपने परिवार और दोस्तों के साथ पार्टी भी मना सकते हैं.
कनक वाॅटर पार्क कैसे जाएं:
बैतूल से कनक वाॅटर पार्क जाने के लिए आप इंदौर रोड़ से होकर जाने वाली किसी भी बस से जा सकते हैं.बैतूल से कनक वाटर पार्क जाने के लिए दिन में किसी भी समय बस, कार और टैक्सी मिल जाती हैं.
कनक वाॅटर पार्क का पता:
वाॅटर पार्क बैतूल से 15 किलोमीटर दूर इंदौर रोड़ पर ग्राम खेड़ी में मौजूद हैं.
कनक वाॅटर पार्क का निकटतम शहर:
बैतूल 15 किलोमीटर
बैतूल से कनक वाॅटर पार्क जाने में कितना समय लगता हैं:
लगभग 30 मिनट
पार्क में भोजन व्यवस्था:
Kanak Fun City Food Zone
कनक वाॅटर पार्क जाने वालों के लिए जरूरी जानकारी:
- किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ बाहर से लेकर जाना मना हैं.
- वाॅटर पार्क के आसपास ठहरने के लिए कोई होटल या लाॅज नहीं हैं.
- कनक वाटर पार्क के बाहर भी कई भोजनालय व ढ़ाबे है जहां पर आप भोजन कर सकते हैं.
- वाॅटर पार्क के प्रवेश गेट के निकट ही यहां के कई नियम है जिन्हें पढ़ने के बाद ही टिकट खरीदें.
- वाॅटर पार्क के रेस्टोरेंट के अलावा भी मुख्य रोड़ पर कई भोजनालय व ढ़ाबे बने है जहां पर भोजन कर सकते हैं.
- कनक वाटर पार्क में पार्किंग के लिए काफि जगह है और फ़्री भी है इसलिए आप अपने साधन से भी जा सकते हैं.
- वाॅटर पार्क में किसी भी राईट में हिस्सा लेने से कोई दुर्घटना होती है उसकी जिम्मेदारी आप स्वंय कि होगी.
बैतूल कैसे जाएं /How To Reach Betul:
मध्यप्रदेश के दक्षिण में स्थित बैतूल एक छोटा जिला है जो कि महाराष्ट्र कि सीमा से लगा हैं.बैतूल जिले के कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों व तीर्थ स्थान (ताप्ती उद्गम स्थल) कि वजह से भारत के अन्य राज्यों कि लोग भी यहां पर आते हैं.इसलिए हम आपको यह बता रहे है कि आप बैतूल कैसे पहुंच सकते हैं.
- सड़क मार्ग से बैतूल कैसे जाएं–
बैतूल जिला सड़क मार्ग से आसपास के सभी जिलो होशंगाबाद,हरदा,छिंदवाड़ा,खंडवा,रायसेन,नागपुर,अमरावती, इंदौर और भोपाल से जुड़ा हुआ हैं.इंदौर व भोपाल सभी जगह से बैतूल जाने के लिए बस,कार,टैक्सी किसी भी समय मिल जाती हैं.
- ट्रैन से बैतूल कैसे जाएं–
बैतूल में रेलवे स्टेशन है जहां पर भारत के लगभग सभी बड़े शहरों व राज्यों से आने वाली ट्रैन रूकती हैं.इंदौर,भोपाल व नागपुर से बैतूल जाने के लिए दिन प्रतिदिन ट्रैन चलती हैं.
- Flight से बैतूल कैसे जाएं–
बैतूल एक छोटा जिला है जिसकी वजह से यहां पर कोई एयरपोर्ट कि सुविधा नहीं हैं.लेकिन बैतूल का सबसे नजदीकि एयरपोर्ट नागपुर का अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो 160 किलोमीटर कि दूरी पर हैं.नागपुर महाराष्ट्र का एक बड़ा जिला है जहां से भारत में किसी भी जगह से फ्लाइट मिल जाती हैं.फ्लाइट से नागपुर आने के बाद वहा से बस,कार,टैक्सी या ट्रैन द्वारा बैतूल जा सकते हैं.