यदि आप भी ग्वालियर में घूमने की जगह या Best Tourist Places in Gwalior सर्च कर रहे हैं तो आप सही जगह पर पहुंचे हैं. ग्वालियर मध्य प्रदेश का जिला होने के साथ एक बहुत बड़ा शहर भी है जो एक ऐतिहासिक नगरी भी रहा है. ऐतिहासिक काल में यहां पर कई राजाओं का राज रहा है और इसलिए यहां पर इतिहास की झलक को साफ देखा जा सकता है.
यहां पर कई ऐतिहासिक किले, मंदिर और इमारतें बनी हुई है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यही वजह है कि ग्वालियर को मध्य प्रदेश में पर्यटन के लिए भी काफी महत्वपूर्ण समझा जाता है. इसलिए हम आप लोगों को ग्वालियर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं जहां पर भारत के अन्य राज्यों के लोग भी दूर-दूर से घूमने के लिए आना पसंद करते हैं.
अनुक्रम
ग्वालियर में घूमने की जगह|Best Tourist Places in Gwalior
ग्वालियर में कई राजाओं ने एक लंबे समय तक राज किया है. यही वजह है कि उनके समय की कई ऐतिहासिक इमारतें आज आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यहां पर मौजूद कई पर्यटन स्थलों पर अक्सर फिल्मों की शूटिंग भी होती रहती है जिसकी वजह से इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है.
इसलिए ग्वालियर जाने वाले पर्यटक अक्सर यहां पर घूमने की जगह के बारे में जानना चाहते हैं. तो आइए दोस्तों जानते हैं ग्वालियर में घूमने की जगह या Top Tourist Places in Gwalior के बारे में.
1. ग्वालियर का क़िला
यदि ग्वालियर में घूमने की जगह की बात की जाए तो इस लिस्ट में सबसे पहला नाम ग्वालियर किले का आता है जिसे महाराजा मानसिंह का किला भी कहा जाता है. ग्वालियर में एक ऊंचे पठार पर मौजूद यह किला शहर का मुख्य आकर्षण है जो पर्यटकों को हमेशा से बेहद लुभाता आ रहा है.
ऐतिहासक दौर में इस पर कई राजाओं का राज रहा है और यही वजह है कि यहां पर उनकी झलक देखने को मिलती है. लाल कलर के बलुआ पत्थर से निर्मित यह किला लगभग 15 वर्ष पुराना बताया जाता है और यही इसकी खास विशेषता नहीं है. ऊंची पहाड़ी पर मौजूद होने की वजह से यह ग्वालियर का यह किला शहर में किसी भी जगह से देखा जा सकता है.
किले के अंदर भी मध्यकालीन दौर के कई ऐतिहासिक नमूने देखने को मिलते हैं. हालांकि इतिहास में मेरी ज्यादा रुचि नहीं है लेकिन मैंने ग्वालियर के किले के बारे में अक्सर यह पड़ा है कि, इसमें कई युद्ध में लड़ाइयों को झेला है. परंतु आज भी इसकी खूबसूरती में कोई कमी देखने को नहीं मिलती है.
ग्वालियर के किले की खूबसूरती का सुंदर नजारा सुबह के समय देखने योग्य रहता है. क्योंकि सूर्योदय के समय जब रोशनी इस किले पर पड़ती है तो यह स्वर्ण की भांति चमकदार दिखाई देता है.
ग्वालियर किला देखने का समय
सुबह 06:00 बजे से शाम 05:30 बजे तक
ग्वालियर का किला कब और किसने बनाया था?
पांचवी और छठवीं शताब्दी में राजा सूरज सेन ने बनाया था.
2. जयविलास महल
यदि आप भारत में रहकर यूरोपियन शैली से निर्मित वास्तु कला देखना चाहते हैं तो आप लोगों को जय विलास पैलेस एक बार जरूर जाना चाहिए.जय विलास पैलेस सिंधिया परिवार का निवास स्थान होने के साथ-साथ संग्रहालय भी जिसे 1874 में लगभग एक करोड़ की लागत से बनाया गया था. लेकिन वर्तमान में जयविलास पैलेस की कीमत लगभग 4 हजार करोड़ के आसपास है.
इस पैलेस का निर्माण महाराजा जयाजीराव सिंधिया ने करवाया था. वैसे तो इस संग्रहालय की लगभग सभी चीजें देखने योग्य है जिसमें इटली, जर्मन, चीन और फ्रांस जैसे देशों से लाई गई दुर्लभ चीजें हैं. लेकिन संग्रहालय में मौजूद चांदी की ट्रेन यहां की मुख्य आकर्षण है. चांदी से बनी हुई यह ट्रेन एक डाइनिंग टेबल पर रखी हुई है जो भोजन के समय मेहमानों को भोज्य पदार्थ वितरित करने में उपयोग की जाती है.
जय विलास पैलेस के वास्तुकार माइकल फिलास थे जिन्होंने कमरे, दरबार और हॉल को शाही राजघरानों को ध्यान में रखते हुए बहुत ही खूबसूरती से बनवाया है. वर्तमान में जयविलास पैलेस के मालिक ज्योतिरादित्य सिंधिया है जिन्हें यह विरासत में मिला है. यह पहले सप्ताह में 6 दिन खुला रहता है केवल बुधवार के दिन ही बंद रहता है. इसलिए आप यहां पर इन 6 दिनों में कभी भी जा सकते हैं.
जयविलास पैलेस कैसे जाएं
ग्वालियर जंक्शन यहां का नजदीकि रेलवे स्टेशन हैं. यहां से आप कार, टैक्सी, बस या कैब से पैलेस तक पहुंच सकते हैं.
जयविलास पैलेस ग्वालियर टिकट प्राइस
भारतीयों के लिए 300 और विदेशी नागरिकों के लिए 850 रूपये
Jai Vilas Palace opening time
प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक (बुधवार को महल बंद रहता है)
3. ग्वालियर में घूमने की जगह- गोपाचल पर्वत
भारत अपनी विशेष संस्कृति और धर्म के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. यहां पर धर्म और संस्कृति से जुड़ी हुई कई विशेष कलाकृतियां देखने को मिलती है जो इसे दुनियाभर में प्रसिद्ध बनाती है. इसलिए हम आप लोगों को ग्वालियर में मौजूद एक ऐसी ही विशेष जगह के बारे में बता रहे हैं जो अपनी अद्भुत कलाकृति के लिए जानी जाती है.
ग्वालियर के आंचल में बसा हुआ गोपाचल पर्वत ऐसी ही खूबसूरत जगह है. गोपाचल पर्वत को विशेष तौर पर यहां पर बनी जैन धर्म की कलाकृतियों के लिए जाना जाता है. पर्वत पर मौजूद इन जैन धर्म की मूर्तियों को पत्थरों के पहाड़ों को तराश कर बनाया गया है.
यहां पर हजारों की तादाद में छोटी-बड़ी जैन धर्म की मूर्तियां हैं जिनका निर्माण तोमर वंश के राजाओं ने लगभग 500 से 600 वर्ष पूर्व किया था. लगभग 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर मौजूद होने की वजह से गोपाचल पर्वत की खूबसूरती का नजारा देखने योग्य रहता है. हालांकि भले ही यहां पर मौजूद मूर्तियां जैन धर्म से ताल्लुक रखती है, लेकिन इनकी बनावट व अद्भुत सुंदरता की वजह से सभी धर्म के लोग यहां पर आना पसंद करते हैं.
4. मानमन्दिर महल
जैसा कि हमने आप लोगों से कहा था कि ग्वालियर एक ऐतिहासिक नगरी रहा है. यही वजह है कि यहां पर प्राचीन काल में वास्तुकला से निर्मित कई अद्भुत कलाकृतियां देखने को मिलती है. ग्वालियर का मान मंदिर महल भी कलाकृतियों में शामिल एक खूबसूरत दार्शनिक स्थल है.
इस महल का निर्माण 14 से 15 वी शताब्दी के आसपास में ग्वालियर के राजा मान सिंह के द्वारा किया गया था. हालांकि भले ही समय ने इस मंदिर की खूबसूरती को कुछ हद तक छीना है लेकिन फिर भी इसके अंदर कई रंगों से निर्मित कलाकृतियों के अवशेष देखने योग्य हैं. ऐसा बताया जाता है कि राजा मानसिंह भी एक कला प्रेमी व्यक्ति थे और यही वजह है कि महल के अंदर ललित कला और कई शैली की झलक देखने को मिलती है.
महल के अंदर जालीदार दीवारों के बीच छोटे-बड़े कई संगीत कक्ष बने हुए हैं. जहां पर राज परिवार की महिलाएं संगीत का आनंद लेने के साथ शिक्षा ग्रहण भी करती थी.मान मंदिर महल में कई जगह पर कैदखाने भी देखने को मिलते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इन कैदखानो में औरंगजेब ने कई कैदियों को भी कैद करके रखा हुआ था.
इन सबके अलावा यहां पर एक खूबसूरत गुरुद्वारा भी देखने को मिलता है. जिसे सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह की स्मृति में बनाया गया था. गुरुद्वारे से कुछ ही दूरी पर जौहर कुंड और सूरजकुंड भी देखने को मिलते हैं जो यहां की ऐतिहासिकता को बयां करते हैं.
5. विवस्वान सूर्य मन्दिर
वैसे तो भारत में सूर्य मंदिर बहुत ही कम जगह पर देखने को मिलते हैं लेकिन जितनी भी जगह पर हैं सभी अपने आप में बेहद अद्भुत बने हुए हैं. हम आप लोगों को ग्वालियर के ऐसे ही प्रसिद्धि विवस्वान सूर्य मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो प्राचीन वास्तु कला का एक अद्भुत नमूना है.
इस मंदिर को कोणार्क के सूर्य मंदिर को ध्यान में रखकर बनाया गया है वह यही वजह है कि इसमें कोणार्क मंदिर की झलक साफ देखी जा सकती है. ऐतिहासिक शैली में बना हुआ यह मंदिर लाल कलर के बलुआ पत्थर से निर्मित है जिसके अंदर सात घोड़ों पर भगवान सूर्य देव की खूबसूरत प्रतिमा स्थापित है.
विवस्वान सूर्य मन्दिर का मुख पूर्व की तरफ है जिसकी वजह से सूर्य उदय के समय जब रोशनी मंदिर में प्रवेश करती है तो इसकी सुंदरता देखने योग्य रहती है. मंदिर के आंतरिक हिस्सों में कई जगह पर सफेद संगमरमर पत्थर का उपयोग किया गया है. इसके अलावा मंदिर के भीतरी दीवारों पर अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं नजर आती है जिन्हें पत्थर को तराश कर बनाया गया है.
यह मंदिर कई एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसकी वजह से इसके आसपास हरियाली का माहौल है. इसलिए जो भी पर्यटक या दर्शनिक यहां पर आते हैं उनका जहां से जाने का मन नहीं करता है.
विवस्वान सूर्य मन्दिर खुलने का समय
भक्तों के लिए मंदिर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता हैं. लेकिन मंदिर दोपहर 12:00 से 01:00 बजे तक बंद रहता हैं.
6. तानसेन स्मारक
यदि आप लोगों को इतिहास में थोड़ी सी भी रुचि है तो आप लोगों ने तानसेन का नाम तो जरूर सुना होगा. यदि भारत के इतिहास के सबसे महान संगीतकारों की बात की जाए तो इस लिस्ट में सबसे पहला नाम तानसेन का ही आता है. तानसेन एक प्रसिद्ध संगीतकार होने के साथ महान सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक रहे हैं.
उन्हीं की स्मृति में ग्वालियर में तानसेन एक स्मारक बनाया गया है जो कलात्मक दृष्टि से देखने योग्य है. तानसेन मुगल काल के थे, यही वजह है कि उनके स्मारक में मुगल शैली वास्तुकला को साफ देखा जा सकता है.
ग्वालियर में पति को वर्सेस नवंबर से दिसंबर के महीने में तानसेन समारोह आयोजित किया जाता है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. कई कलाकार और संगीत प्रेमी यहां पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और तानसेन समारोह को बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं.
7. तेली का मंदिर
वैसे देखा जाए तो ग्वालियर शहर में मंदिरों की कोई कमी नहीं है. यहां पर एक से बढ़कर एक खूबसूरत और अद्भुत कलाकृतियों से परिपूर्ण मंदिर देखने को मिलते हैं. लेकिन हम आप लोगों को अब जिस तेली का मंदिर के बारे में बता रहे हैं उसकी अपनी कई अलग विशेषता है.
कई विद्वानों और प्राचीन शिलालेख के आधार पर ग्वालियर के दुर्ग में मौजूद यह मंदिर तकरीबन 1100 से 1200 साल पुराना बताया जाता है. यह मंदिर मुख्य तौर पर एक हिंदू मंदिर है जो कि भगवान विष्णु, शिव और मातृका को समर्पित है. सफेद बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर एक विशाल पिरामिड की तरह दिखाई देता है जिस पर तरह-तरह की मूर्तियां और आकृतियां बनी हुई है.
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार दिखने में बेहद ही साधारण है और इसके दोनों तरफ पत्थरों से तराशी गई मूर्तियां बनी है. तेली का मंदिर एक विशाल गार्डन के बीच में बना हुआ है और इसके चारों तरफ पेड़, पैधो व कई सुन्दर वनस्पति लगे हुए है.
जिससे यहां पर वर्षभर हरियाली छाई रहती हैं और इसलिए यहां पर प्रतिदिन दूर दूर से लोग आते रहते हैं. बाहरी पर्यटकों के अलावा यहां पर स्थानिय लोगों का भी आना जाना लगा रहता हैं. क्योंकि यहां कि सुंदरता की वजह से लोग अक्सर यहां पर समय गुजारने के लिए आते रहते हैं.
तेली का मंदिर खुलने का समय
यह 24 घंटे खुला रहता हैं।
8. रानी लक्ष्मीबाई स्मारक
शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के बारे में पढ़ या सुना ना हो. रानी लक्ष्मीबाई एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी थी.
इतिहास के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर के पड़ाव क्षेत्र में अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया था. जिसके लिए उन्होंने यहां के स्थानीय शासकों से सहायता मांगी थी लेकिन उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की कोई सहायता नहीं की थी. यही वजह थी कि यहां पर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई करते हुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हो गई थी.
इसलिए यहां पर रानी लक्ष्मीबाई की स्मृति में एक स्मारक बनाया गया है जिसे अब रानी लक्ष्मीबाई स्मारक के नाम से जाना जाता है. यहां पर रानी लक्ष्मीबाई की घोड़े पर बैठी हुई एक 8 फीट की खूबसूरत प्रतिमा है जो देखने योग्य है. प्रतिमा के निकट ही उनकी एक समाधि भी बनी हुई है.
इन सबके अलावा यहां पर 30 वर्ष जून के महीने में लक्ष्मी बाई की याद में एक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं. इसलिए यह ग्वालियर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शामिल है.
9. तिघरा डैम
हम आप लोगों को अब ग्वालियर में घूमने की जगह में शामिल जिस बेहतरीन पर्यटन स्थल के बारे में बता रहे हैं वह एक विशाल जलाशय है जिसे तिघरा डैम के नाम से जाना जाता है. ग्वालियर शहर से तकरीबन 18 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में बना हुआ यह डैम एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल जो अपनी अपूर्व सुंदरता के लिए विख्यात है.
यह डैम ग्वालियर के स्थानीय लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट की सबसे पसंदीदा जगह बताई जाती है. इस विशाल जलाशय में नौका विहार का आनंद लेने के लिए प्रतिदिन लोगों की भीड़ जमा रहती है. बारिश के दिनों में यहां पर पानी की अधिकता होने की वजह से इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है. तो वही गर्मी और सर्दियों के मौसम में शाम के समय लोग नौका विहार का आनंद लेने के लिए यहां पर जाते हैं.
वैसे तो मैंने अभी तक कई गेम देखने हैं लेकिन तिघरा डैम की एक अलग ही खास बात है. क्योंकि यह डैम एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है जिसकी वजह से यहां का वातावरण काफी खुला खुला रहता है और दूर-दूर तक समुद्र की तरह पानी ही पानी नजर आता है. वही इस डैम के कुछ दूसरे छोर पर छोटे-छोटे पहाड़ों का सुंदर नजारा किसी खूबसूरत तस्वीर के सामान दिखाइए पड़ता है. आप लोगों के तिघरा डैम पर एक बार अवश्य जाना चाहिए.
ग्वालियर के आसपास घूमने की जगह
हम आपको ग्वालियर के आसपास घूमने की जिन जगहों के बारे में बता रहे है वह 150 किलोमीटर के अंदर हैं. तो आइए जानते है इन बेहतरीन जगहों के बारे में.
- माधव नेशनल पार्क
- बटेश्वर मंदिर
- मितावली
- पदावली
- नेशनल चंबल सेंचुरी
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