6 होशंगाबाद में घूमने की अच्छी जगह 2023

होशंगाबाद में घूमने की अच्छी जगह​, होशंगाबाद मध्यप्रदेश का एक जिला होने के साथ बड़ा संभाग भी जो यहां पर बहने वाली नर्मदा नदी के लिए जाना जाता हैं.राजधानी भोपाल से होशंगाबाद 70 किलोमीटर कि दूरी पर है जो रेल मार्ग और सड़क मार्ग से जुड़ा हैं. होशंगाबाद जिले के पूर्व में छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर, पश्चिम में सीहोर व हरदा, उत्तर में रायसेन व दक्षिण में बैतुल जिला हैं. साल 2011 कि जनगंणना के अनुसार 12,40,975 जनसंख्या वाला यह राज्य 5,408 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हैं. होशंगाबाद को भारत में यहां पर छपने वाले नोट के कागज के लिए भी जाना जाता हैं.

यहां के लोगों कि आजीविका का मुख्य साधान व्यापार​,कारखाने,खेती और मजदूरी हैं.नर्मदा नदी ने इस जिले को बेहद प्रसिद्ध बनाया है इसलिए यहां पर प्रतिदिन दूर​-दूर से लोग नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं.यहां के घाट पर आपको हमेशा लोगों कि भीड़ देखने को मिलती है जो कुछ पूजा-पाठ करते है तो कुछ भजन करते नजर आते है तो वहीं कुछ दान​-पुन करते दिखाई देते हैं.

तो आइए विस्तार से जानते है होशंगाबाद में घूमने की इन जगहों के बारे में.

होशंगाबाद जिले के प्रसिद्ध स्थल​| Top Tourist Places in Hoshangabad

हम आप लोगों को होशंगाबाद जिले के जिन दर्शनिय स्थलों के बारे में बता रहे है उनमे कई खूबसूरत व प्रसिद्ध मंदिर​, पार्क​, घाट जैसी कई अच्छी जगह शामिल है जहां पर प्रतिदिन पर्यटक जाते रहते हैं.

1.भीलटदेव​| Bhilatdev in hindi

मैने अपनी यात्रा कि शुरूआत होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा तहसील से 8 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित भीलटदेव नाम के एक गांव से कि थी.भीलटदेव नाम के इस गाँव में भगवान भीलटदेव का एक पूराना मंदिर है जहां मंदिर है जहां पर प्रतिवर्ष अप्रैल के महीने में एक मेले का आयोजन किया जाता हैं जिसमे होशंगाबाद जिले ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के लोग भी शामिल होते हैं.

Bhilatdev
Bhilatdev Temple

भीलटदेव का मंदिर भीलटदेव गाँव में मुख्य सड़क से 400 मीटर कि दूरी पर दक्षिण में हैं. मंदिर में अन्दर जाने पर एक वृद्ध पुजारी से मेरी मुलाकात हुई जिन्होंने मुझे इस मंदिर और यहां पर लगने वाले मेले के बारे में कुछ जानकारी दी.इस मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी जी ने बताया कि सालों पहले यहां पर एक मिट्टी टिला था जहां पर भीलटवेद कि मुर्ति प्रकट हुई थी तभी आसपास के लोगों ने यहां पर एक छोटा सा मंदिर बना दिया था.

इसके बाद जन सहयोग से इस मंदिर को बड़ा बनाया गया हैं.इस मंदिर में भीलटदेव कि एक छोटी सी मुर्ति स्थापित है जो कि कांच से बने बाक्स में रखी गई हैं.मंदिर में एक प्रवेश द्वार है जिसे मार्वल के पत्थर से बनाया गया है और उस पर रंगीन कांच से सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं.भीलटदेव मंदिर 1500 वर्गफुट में फैला है जिसके दाएं में श्री पडिहार जी का एक मंदिर है जिनमे उनकी हाथ जोड़कर खड़ी हुई एक सुंदर प्रतिभा विराजित हैं.

इस मंदिर के सामने ही नीम का पेड़ है जिसके नीचे हनुमान जी का भी एक शानदार मन्दिर हैं जिनके दर्शन करने के बाद ही लोग भीलटदेव मंदिर में प्रवेश करते हैं.

भीलटदेव मंदिर जाने का समय​:

प्रतिदिन

भीलटदेव मंदिर के खुलने का समय​:

सुबह 06:00 से 08:30 तक​

मंदिर का पता:

भीलटदेव गांव में मुख्य रोड़ से 400 मीटर कि दूरी पर दक्षिण में

भीलटदेव कैसे जाएं:

बाबा भीलटदेव होशंगाबाद जिले से 40 किलोमीटर कि दूरी पर हरदा व सिवनी मालवा मार्ग पर है जहां जाने के लिए आपको बस व कार मिल जाती हैं.

भीलटदेव का निकटतम बड़ा शहर​:

सिवनी मालवा 8 किलोमीटर​

भीलटदेव मंदिर के विशेष कार्यक्रम​:

प्रतिवर्ष अप्रैल माह में लगने वाला विशाल मेला

भीलटदेव के निकट दर्शनिय स्थल​-Best Places Near Bhilatdev

जब मैंने भीलटदेव बाबा के दर्शन के बाद वहां के स्थानिय लोगों से यहां पर आसपास घूमने कि कुछ ओर जगह के बारे में जानकारी प्राप्त कि ओर इन जगहों पर घूमने के लिए गया तो मैंने अपने आप से कहां कि इतनी खूबसूरत और बेहतरीन जगह पर पहले क्यों नहीं आया यार ये जगहें सच में बेहद लाजवाब हैं. तो आइए जानते है भीलटदेव के आसपास घूमने के इन जगहों के बारे में.

भीलटदेव पार्क​| Bhilatdev Park

भीलटदेव पार्क भीलटदेव गाँव में ही मुख्य रोड़ से 20 फिट कि दूरी पर है जो यहां का सबसे बड़ा दर्शनिय स्थल हैं.इस पार्क का निर्माण जन भागीदारी मद योजन के तहत 30 मार्च 2017 को 24.51 लाख रूपये में लोगों और शासन कि मदद से किया गया हैं.भीलटदेव पार्क 25 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसके पीछे बारिश कि अधिकता होने से पानी का भराव रहता है जिसकी वजह से यहां का नजारा देखने में काफि सुंदर लगता हैं.

Bhilatdev park
Bhilatdev park

पार्क के अन्दर तीन छोटे-छोटे गाॅर्डन बने है जिनमे सीमेंट से बने हुए जिराफ​, गोरिल्ला, बन्दर​, मौर व हिरण जैसे कई जानवरों कि मुर्तियां बनी हुई हैं.इस जगह को देखने पर लगता है कि इसे बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया गया है क्योंकि बच्चों के लिए यहां पर झुले,खिसलपट्टी और रेंलिंग जैसी कई अच्छी चीजें हैं.

वैसे तो यह पूरा पार्क ही देखने के लिए बेहद अच्छा है लेकिन यहां के सबसे अधिक आकर्षण में शामिल भगवान शिव जी कि प्रतिमा है जो कि पार्क में पीछे कि तरह स्थित हैं.भगवान शिव जी कि यह प्रतिमा 25 फिट उंची है जो कि 4 फिट उंचे चबुतरे पर मौजूद हैं.जब मैंने पहली बार इस प्रतिमा को देखा तो मैं कुछ समय तक बस देखता ही रहा जो बेहद सुंदर लग रही थी.

इस प्रतिमा के सामने ही 5 फिट के सीमेंट से बने चबुतरे पर नंदी बने हुए है जिनका मुख शिव जी कि तरफ हैं.शिव जी कि प्रतिमा के निकट ही पानी से भले हुए तालाब पर जाने के लिए दो भागों में एक ब्रिज भी बनाया गया है जो गोलाकार बैठकर बिंब पर पहुंचता हैं.

गोलाकार बैठक बिंब पर अक्सर लोगों को फोटे लेते हुए देखा जाता हैं.इस पार्क कि एक खास बात यह भी है कि आपको यहां पर रहने के लिए रिसार्ट और भोजन करने के लिए रेस्त्रा भी मिलते है जहां पर लोग प्रतिदिन अपने जन्मदिन मनाने और पार्टी करने जाते रहते हैं.

पार्क खुलने का समय​:

सुबह 08:30 से 11:30 तक इसके बाद दोपहर 02:30 से शाम 07:30 तक​

पार्क में जाने की टिकट​:

Free (नि:शुल्क​)

कब जाएं:

सप्ताह में किसी भी दिन जा सकते है.

पार्क घूमने में कितना समय लगता हैं:

1 से 2 घंटे

भीलटदेव पार्क क्यों जाएं:

परिवार या दोस्तों के साथ कुसुन के पल और पार्टी के लिए यह जगह बेहद अच्छी हैं. वही खास बात यह है कि ये जगह बच्चों को बेहद पसंद आती है क्योंकि उनके मनोरंजन के लिए यहां पर झुले,पक्षी,गार्डन व बतख जैसे कई जीव हैं.यदि आप अपने जन्मदिन कि पार्टी को कुछ खास मनाना चाहते है तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए.

ठहरने के लिए आवास​:

Zayka Resort

आवास​ में रूकने का खर्चां:

1500 रूपये प्रतिदिन​

रिसोर्ट बुकिंग के लिए संपर्क नम्बर​:

Mobile No. 8109231536

भीलटदेव पार्क में भोजन व्यवस्था:

Zayka Rrestaurant और अन्य निकटम होटल​

पर्यटकों के लिए खास सुझाव​:

  • पार्क में मौजूद सभी झूले 12 साल तक के बच्चों के लिए हैं.
  • यहां के चिड़ियाघर में जानवरों व पक्षियों को खाने कि चीजें न डालें.
  • गार्डन में किसी भी तरह का कचरा न करें व कचरें को डस्टबिन में ही डालें.
  • पार्क में मौजूद चिड़ियाघर जरूर जाएं क्योंकि इसमें इस शानदार जीव देखने को मिलते हैं.
  • Zayka Rrestaurant में एक बार जारूर जाएं.
  • पार्क से 500 मीटर कि दूरी पर भागबाबा का एक पूराना मंदिर भी है जिसके दर्शन कर जरूर जाएं.
  • यदि आप Zayka Rrestaurant में किसी भी तरह कि पार्टी या जन्मदिन मनाना चाहते है तो इसके लिए पहले से ही एडवांस बुकिंग करें.
  • वैसे तो यहां पर आप किसी भी मौसम में घूमने के लिए जा सकते है लेकिन बारिश के दिनों में यहां कि सुंदरता और अधिक देखने लायक रहती हैं.

श्री बाबा रामदेव मंदिर​| Shree Baba Ramdev Temple

1 से 2 घंटे तक पार्क घूमने के बाद मैं यहां के निकटम श्री बाबा रामदेव मंदिर कि तरफ निल गया जो पार्क से 500 मीटर कि दूरी पर भीलटदेव गांव में रोड के किनारें पर मौजूद हैं.रामदेव जी का मंदिर रोड़ के किनारे ही है जो आपकों आसानी से नजर आ जाएगा.पुरी तरह से सफेद मार्वल पत्थर से बना हुआ यह मंदिर दो एकड़ में बना हुआ हैं.मंदिर के दरवार में प्रवेश करते ही मैं इसकी शानदार बनावट को देखता रहा कि इतने में मंदिर का चौकीदार वहां पर आ गया जो प्रांगण की साफ सफाई कर रहा था.

Shree Baba Ramdev Temple
Shree Baba Ramdev Temple

मैंने चौकीदार से मंदिर के बारे में काफि कुछ जाना जिस दौरान उन्होंने बताया कि यह मंदिर 7 साल पहले बनाया गया हैं.इस मंदिर के निर्माण के लिए कारिगरों को राजस्थान से बुलाया गया था और इसमे उपयोग होने वाला सफेद मार्वल भी राजस्थान से लाया गया हैं.इस मंदिर का मुख पश्चिम कि ओर है जिसमे तीन प्रवेश द्वार बनाए ग​ए हैं.मंदिर का बीच का द्वार मुख्य है जहां से रामदेव बाबा कि मुर्ति साफ नजर आती हैं.

इसके दाएं प्रवेश द्वार के ऊपर मार्वल पत्थर से सरस्वती जी और बाएं प्रवेश द्वार के ऊपर गणेश जी कि मुर्ति बनी हुई हैं.जैसे ही आप मंदिर के अन्दर जाते है तो आपको मार्वल से निर्मित रामदेव बाबा कि मुर्ति नजर आती है जो अपने घोड़े पर बैठे हुए नजर आते हैं.

वहीं दो घोड़े उनकी मुर्ति के निकट द्वार के सामने भी खड़े नजर आते हैं.मंदिर के द्वार के गेटों के निर्माण में शीशम कि लकड़ी का उपयोग किया है जिस पर कई सुन्दर डिजाईन और पीतल से बनी चित्रकारी दिखाई देती हैं.रामदेव बाबा जी का यह मंदिर 40 फिट ऊंचा है जिसकी आगे,पीछे कि दीवारों और खंबों पर मार्वल से कई देवी देवताओं कि मुर्तियां बनी हैं.

मुख्य मंदिर के दाएं तरफ डाॅली बाई का एक छोटा सा मंदिर है जिसे भी सफेद मार्वल से बनाया गया हैं.डाॅली बाई के मंदिर में उनकी एक 2 फिट कि एक प्रतिमा है जो हाथों में वीणा लिए नजर आती हैं.इस मंदिर का परिसर बेहद शांत रहता है जिसकी वजह से भक्त अक्सर यहां पर बैठे नजर आते हैं.वर्तमान में इस मंदिर का संचालन श्री बाबा रामदेव समिति के द्वारा किया जाता हैं.

रामदेव मंदिर खुलने का समय​:

सुबह 07:00 तक इसके बाद 02:30 से 07:00 तक​

रामदेव मंदिर में पूजा का समय​:

सुबह 7 बजे और शाम 7 बजे

रामदेव मंदिर के विशेष कार्यक्रम​:

प्रतिवर्ष भादों कि दूज पर 1 दिन का मेला लगाता हैं

रामदेव मंदिर क्यों जाएं:

इस मंदिर को पुरी तरह से मार्वल पर नक्काशी कर के बनाया गया हैं. सैकड़ों कॉरिगरों कि मेहनत और इसकी बनावट शैली देखने योग्य हैं.

रामदेव मंदिर जाने वालो के लिए लोगों के लिए सुझाव​:

  • मंदिर के अन्दर फोटो खिंचना मना हैं.
  • रामदेव बाबा के मंदिर के निकट भीलटदेव पार्क जरूर जाएं.
  • भादों कि दूज पर एक दिन लगने वाले विशाल मेले के दिन जरूर जाएं.
  • मंदिर कि दीवारों पर मार्बल​ से निर्मित देवी देवताओं कि प्रतिमा जरूर देखें.

2.सेठानी घाट होशंगाबाद​| Sethani Ghat Hoshangaba In Hindi

सैठानी घाट वैसे तो मैं पहले अपने बड़े भैया और पापा के साथ कई बार जा चुका था लेकिन इस बार यहां पर आना मेरे लिए बेहद खास रहा क्योंकि यह गुरू पुर्णिमा का दिन था.सैठानी घाट होशंगाबाद का सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत घाट है जिसके बारे में आप यहां के किसी भी व्यक्ति से पुच्छ सकते हैं.होशंगाबाद पहुंचने के बाद मुझे सैठानी घाट का रास्ता ठीक से याद नहीं था क्योंकि में काफि दिनों के बाद यहां पर आया था.

Sethani ghat hoshangabad
Sethani ghat

इसलिए मैंने रास्ते में कई लोगों और दुकान वालों से यहां का रास्ता पुछते-पुछते इंदिरा गांधी चौक तक आ गया जिसके बाद यहां से मैंने एक व्यक्ति से पुच्छा तो वह मेरी बाइक के पीछे बैठ गया और कहां चलिए मैं भी उसी तरह जा रहा हूं आपको भी घाट तक पहुंचा दुंगा.इसके बाद वह व्यक्ति मुझे रास्ता दिखाता चला गया और हम 5 मिनट में सैठानी घाट पर पहुंच ग​ए थे.चुंकि गुरू पुर्णिमा का दिन था इसलिए यहां पर भीड़ बेहद अधिक थी जिसकी वजह से मुझे बाइक पार्किंग कि जगह भी नहीं मिल रही थी.

मैं अपनी बाइक पार्किंग कि जगह देखने लगा कि अचानक एक युवक ने पार्किंग से उसकी बाइक निकाली और मुझसे कहां कि आप यहां पर अपनी बाइक लगा दीजिए.इसके बाद बाइक को पार्किंग में लगाने के बाद मैं घाट कि तरह निकल गया.मैंने अपना मोबाइल निकाला और कुछ फोटो लेते हुए घाट में प्रवेश ही किया था कि मेरे पीछे से एक महिला ने अवाज दी कि भैया प्रसाद ले लिजिए.

उस महिला से मैंने 30 रूपये का प्रसाद लिया जिसे लेकर में घाट के नीचे पहुंचा जहां पर कुछ लोग शिवलिंग कि पूजा कर रहे थे,तो कुछ लोग स्नान कर रहे थे और कुछ नर्मदा नदी के उस पार पहाड़ियों के खूबसूरत नजारें को देख रहे थे.गुरू पुर्णिमा कि वजह से घाट पर भक्तों कि भीड़ बेहद अधिक थी इसलिए मुझे भी शिवलिंग के निकट जाने में समय लग गया, लेकिन कुछ देर इंतजार करने के बाद शिवलिंग पर जाने का मेरा नंबर आ चुका था जहां पर जाकर मैंने भी शिवलिंग कि पूजा कि और प्रसाद चढ़ाया.

शिवलिंग कि पूजा करने के बाद मैं फोटो लेते हुए घाट पर घूमने लगा इस दौरान मैंने दिल को छु लेने वाले कई खूबसूरत नजारे अपनी फोटो में कैद किए. घाट पर मैंने श्री सिद्धी विनायक मंदिर​,नर्मदा मंदिर, श्री गायत्री शक्ति पीठ​ और हनुमान मंदिर के दर्शन किए और घाट के बाएं तरफ निकला जहां पर रंग बिरंगी दीवारें और उन पर बने हुए खूबसूरत फूल वहां कि खूबसूरती को बड़ा रहे थे.

उन दिवारों से लगी सिढ़ी से मैं ऊपर कि तरफ आया जहां पर एक हाॅल में कुछ लोग भजन किर्तन कर रहे थे और कुछ भोजन बना रहे थे संभवत वे अपने परिवार के साथ गूरु पुर्णिमा का पर्व मनाने आए थे.घाट कि खूबसूरती,सांस्कृतिक कार्यक्रम और दीपक से जगमगाता नजारा देखते ही देखते मुझे शाम हो चुकी थी.

सैठानी घाट के दर्शनिय स्थल​/Best Places Visit in Sethani Ghat

सैठानी घाट पर बहती हुई नर्मदा नदी का सुंदर नजारा, श्रद्धा भाव से भजन किर्तन करते लोग,स्नान करते हुए बच्चे और नाव से नर्मदा नदी में घूमते हुए खूबसूरत नजारों के अलावा देखने के लिए कई दर्शनिय स्थल है जिनके बारे में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं.तो आइए जानते है सैठानी घाट के इन दर्शनिय स्थलों के बारे में.

हनुमान मंदिर​-

Hanuman Mandir
Hanuman Mandir

जैसे ही आप सैठानी घाट में प्रवेश करते है तो हनुमान मंदिर बाएं तरफ नजर आता है जो सफेद मार्वल पत्थर से बनाया गया हैं.हनुमान मंदिर के ऊपरी हिस्से के मुख्य द्वार को रंगीन शीशे से सजाया गया है जिसमे कहीं कहीं पर फूलों कि डिजाईन भी बनाई गई हैं.इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने के लिए एक द्वार घाट कि तरफ है तो वही दूसरा द्वार घाट के ऊपर हैं.लेकिन इस मंदिर में आप किसी भी तरह से प्रवेश नहीं करते बाहर से ही आपको हनुमान जी के दर्शन करने होते हैं.इस मंदिर के नजदीक से आप पुरे घाट कि खूबसूरती को देख सकते हैं.

श्री सिद्धी विनायक मंदिर​-

Shree siddhi vinayak temple
Shree siddhi vinayak Temple

सिद्धी विनायक मंदिर जिसे श्री गणेश जी के मंदिर के नाम से जाना जाता है जो कि घाट पर ही हनुमान जी के मंदिर से करीब 150 फिट कि दूरी पर हैं.श्री सिद्धी विनायक मंदिर के दाएं तरफ ही प्राचीन श्री नर्मदेश्वर मंदिर शंकर मंदिर भी हैं. इन दोनों मंदिर को एक विशाल मंदिर के अन्दर ही बनाया गया है जिसके ऊपर हो गुंबद दिखाई देती हैं.सिद्धी विनायक मंदिर में दो प्रवेश द्वार है जो संभवत भीड़ कि अधिकता को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं.इस मंदिर के अंदर भगवान श्री गणेश कि एक सुन्दर प्रतिमा विराजित है जो कि दर्शनिय हैं.

प्राचीन श्री नर्मदा मंदिर​-

Narmada Mandir
Narmada Mandir

श्री विनायक मंदिर से 10 कदम कि दूरी पर ही आपको माँ नर्मदा जी का यह मंदिर देखने को मिलता है जो कि बेहद प्रचीन हैं.इस मंदिर कि बनावट बेहद शानदार है जो कि आपको काफि पसंद आ सकती हैं.मंदिर में आपको दो अन्दर जाने के लिए गेट नजर आते है लेकिन इनके बीच में आपको दो खिड़किया नजर आती है और इन दोनों खिडकियों के बीच में ही गेट के समान खुली खिड़की है जिसमे से आप मंदिर के बाहर से भी माँ नर्मदा के दर्शन कर सकते हैं.यह मंदिर घाट के बीचों बीच में है जहां से ही आप घाट पर हो रही चहल​-पहल व नर्मदा नदी में आवागमन कर रही नाव के सुंदर नजारें देख सकते हैं.

गायत्री शक्ति पीठ​-

Gaytree shakti pith
Gayatree shakti peeth

अब हम आपको लेकर चलते है गायत्री शक्ति पीठ जो कि घाट पर मौजूद खूबसूरत दर्शनिय स्थल हैं.गायत्री शक्ति पीठ पर जाने के लिए दो द्वार है जिनमे सबसे पहला द्वार आपको सैठानी घाट में प्रवेश करने से पहले ही हनुमान मंदिर के प्रथम द्वार के दाएं तरफ मिलता हैं.वही इसका दूसरा द्वार घाट में प्रवेश करने के बाद बाएं तरफ जाने पर घाट के निकट बनी हुई रंगीन दीवारों के होकर जाने वाली सीढ़ियां हैं.गायत्री शक्ति पीठ के सामने पीले रंग का बेहद खूबसूरत प्रवेश गेट लगा हुआ है जिसके शिखर पर तीन गुंबद बने हैं.

गायत्री शक्ति पीठ में प्रवेश करने पर आपको सबसे पहले एक किताबों कि दुकान दिखाई देगी जहां पर साहित्य और धर्म से संबधित सभी तरह कि किताबें देखने खरीदारी के लिए मिलती हैं.गायत्री शक्ति पीठ के मुख्य प्रांगण में आपको एक पीले रंग का सुंदर गायत्री मंदिर दिखाई देता है जिसकी मार्वल से निर्मित माता कि प्रतिमा स्थापित हैं.गायत्री शक्ति पीठ में जागरण​,प्रार्थना,ध्यान साधना,यज्ञ​,विवाह संस्कार​,सामूहिक श्रमदान और नादयोग साधना जैसे कई कार्यक्र किए जाते हैं.

गायत्री शक्ति पीठ की दिनचर्या


दैनिक कार्यक्रम
अप्रैल से सितम्बरअक्टूबर से मार्च​
1.जागरणप्रात​: 04:00 सेप्रात​: 05:00 से
2.प्रार्थना।आरती। स्तवन​प्रात​: 05:30 से 06:00 तक​प्रात​: 06:00 से 06:30 तक​
3.ध्यान साधनाप्रात​: 06:00 से 06:30 तक​सुबह​ 06:30 से 07:00 तक​
4.यज्ञ एंव संस्कार​सुबह​ 07:30 से 08:30 तक​सुबह​ 07:30 से 08:30 तक​
5.विवाह संस्कार​1.सुबह​ 09:00 से 11:00 तक​
2. 11:00 से 01:00 तक​
3. 01:00 से 03:00 तक​
4. 03:00 से 05:00 तक​
1.सुबह​ 10:00 से 12:00 तक​
12:00 से 02:00 तक​
02:00 से 04:00 तक​
6.सामूहिक श्रमदान​सांय​ 04:00 से 05:00 तक​03:00 से 04:00 तक​
7.नादयोग साधनासांय​ 06:00 से 06:15 तक​सांय​ 06:00 से 06:15 तक​
8.आरती।चालीसासांय​ 07:00 से 07:30 तक​सांय​ 06:30 से 07:00 तक​
9.रात्रिकालिन प्रार्थना।शयन​रात्रि 09:00रात्रि 09:00
गायत्री शक्ति की दिनचर्या की सुची

श्री राधा कृष्ण मंदिर​-

Radha krishna mandir
Radha Krishna Mandir

राधा कृष्ण मंदिर भी गायत्री शक्ति पीठ के प्रथम प्रवेश द्वार के निकट में मौजूद हैं.इस मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा जी कि संगमरमर से निर्मित प्रतिमा मौजूद है जो कि कमल के फूल पर स्थित हैं.इस मंदिर के अन्दर मार्बल​ का कार्य साल 15 अगस्त 2017 को किया गया था.इस मंदिर के प्रांगण से सैठानी घाट के बाजार में हो रही चहल​-पहल को साफ देखा जा सकता है जो कि शानदार नजारा हैं.

बाजार​-

Sethani ghat market
Sethani ghat market

सैठानी घाट का बाजार खरीदारी करने और घूमने फिरने के लिए बेहद शानदार​ हैं. वैसे तो इस बाजार में मुख्य रूप से आपको प्रसाद ज्यादा देखने को मिलता है लेकिन प्रसाद के अलावा भी यहां पर मिलने वाली कई अच्छी चीजें है जिनकी मैंने पहले ही काफि तारीफे सुनी हैं. यहां आपको प्रसाद से लेकर सजावटी समान और पत्थर से तराशी गई देवी देवताओं कि मुर्तियां भी मिलती हैं.

बच्चों के लिए खेल खिलौने और धातु से बने पूजा के सभी तरह के सामान​ मिल जाते हैं.बाजार के बीच में ही पार्किंग कि सुविधा है इसलिए आपको पार्किंग के लिए किसी भी तरह से परेशानियों का सामना नहीं करना होता हैं.

शाम को बेहद अधिक भीड़ कि वजह से इन दुकानों का नजारा भी काफि शानदार लग रहा था जिसकी वजह से मेरा यहां से जाने का मन ही नहीं कर रहा था और मैं अपने फोन से लगातार कुछ अच्छी तस्वीरें लेता रहा.

प्राचीन​ श्री राम जानकी मंदिर​-

Ram janki mamdir sethani ghat
Ram janki mandir sethani ghat

घाट से लौटते समय मैं बाजार हुए और खरीदारी करते हुए वापस आ रहा था कि मेरी नजर दाएं तरफ मौजूद प्राचीन श्री राम जानकी मंदिर पर कई जिसे देखकर में वहां जाने से अपने आप को रोक नहीं सका.राम और सीता जी का यह मंदिर बेहद पूरान बताया जाता हैं.यह मंदिर पूर्ण रूप से सफेद है जो यहां आने वाले लोगों का ध्यान आसानी से अपनी तरफ कर लेता हैं.

इस मंदिर में अन्दर जाने पर मैंने राम और सीता जी के दर्शन किए और वहां से निकल गया हैं.मंदिर के बाहार आपको पत्थर निर्मित भगवान कि मुर्तियों कि दुकान मिलती है जहां आपको सभी भगवान कि मुर्तियां देखने को मिलती है और यहां पर आर्डर पर भी मुर्तियों का निर्माण किया जाता हैं.

सैठानी घाट जाने का समय​:

प्रतिमाह अमावस्या और पुर्णिमा के दिन

खुलने का समय​:

24 घंटे

सैठानी घाट का पता:

सैठानी घाट इंदिरा गाँधी चौराहे से 300 मीटर पूर्व में जाने के बाद उत्तर में 500 मीटर कि दूरी पर इसके बाद 100 मीटर कि दूरी पर पूर्व में

घाट पर कैसे जाएं:

होशंगाबाद बस स्टेशन​ और रेलवे स्टेशन​ से 3 किलोमीटर दूर है जहां जाने के लिए टैक्सी और कार सभी तरह के साधन​ मिल जाते हैं.

सैठानी घाट के निकटतम लोकप्रिय जगह​:

इंदिरा गाँधी चौराहा

सैठानी घाट क्यों जाएं:

पुराणों में यह कहां गया है कि नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति अपने सभी पापों और दु:ख से मुक्त हो जाता हैं.इसलिए यहां पर स्नान करने एक बार अवश्य जाएं और वहीं शहर भी भागमभाग भरी जिंदगी से दूरी इस घाट पर सुकून और शांति का आभास होता है तो अनुभव बेहद शानदार होता हैं.घाट में जगह-जगह पर होती पूजा पाठ और भजन किर्तिन करते लोगों का नजारा देखते ही बनता हैं.

सैठानी घाट के विशेष कार्यक्रम​:

अमावस्या और पुर्णिमा के दिन भजन किर्तन का आयोजन​

पसंदीदा भोजन​:

सैठानी के निकट ढ़ाबों कि सब्जी-पुरी बेहद स्वादिष्ट और लोकप्रिय हैं.

सैठानी घाट पर​ पर नाव में घूमने का किराया:

30 रूपये प्रति व्यक्ति

सैठानी घाट घूमने में कितना समय लगता है:

2 से 3 घंटे का समय​

सैठानी घाट पर​ रूकने के लिए आवास​:

सैठानी घाट पर रूकने के लिए आपको धर्मशाला और होटल सभी तरह कि सुविधाएं मिल जाती है.

* अग्रवाल धर्मशाला

* रैनबसेरा आवास जो कि यात्रियों और करीबों के लिए नि:शुल्क हैं

सैठानी घाट जाने वाले पर्यटकों के लिए आवश्यक सुझाव​:

  • घाट पर किसी भी तरह का कचरा न फैलाएं.
  • अमावस्या या पुर्णिमा के दिन घाट पर शाम का खूबसूरत दृश्य जरूर देखें.
  • स्नान के बाद महिलाओं के वस्त्र बदलने के लिए घाट पर ही छोटे-छोटे कई कक्ष बनाएं ग​ए हैं.
  • शाम को नर्मदा नदी में नाव पर जरूर बैठे क्योंकि यह एक बेहतरीन अनुभव प्रदान करता हैं.
  • मुख्य सड़क से घाट में प्रवेश करने से पहले चौराहे पर केला जी के यहां कि कचौरी जरूर खायें.
  • यदि हो सकें तो घाट पर सूर्योंदय के समय जाएं क्योंकि इस समय यहां का सुन्दर नजारा देखते ही बनता हैं.
  • ठहरने के लिए रैनबसेरा और धर्मशाला के आलावा मुख्य मार्ग के चौराहे पर कई होटल भी है जहां पर आप रूक सकते हैं.
  • स्नान के लिए बच्चों को घाट में प्रवेश न करने दें क्यों यहां पर किनारों पर भी पानी बेहद गहरा हैं
  • वैसे तो यहां के लोग और माहौल काफि अच्छा है लेकिन वाहन पार्किंग के समय उसे लाक जरूर करें या जहां से आप प्रसाद खरीदते है उसी दुकानदार से वाहन कि देख रेख के लिए कहें.
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3.नेहरू पार्क​ होशंगाबाद​| Neharu Park Hoshangabad In Hindi

होशंगाबाद के सैठानी घाट पर जाते समय नेहरू पार्क आपको रास्ते में ही पड़ता है जो कि इंदिरा गाँधी चौराहे से 500 मीटर कि दूरी पर हैं. नेहरू पार्क होशंगाबाद शहर का सबसे पुराना पार्क भी माना जाता हैं. नेहरु उद्यान या नेहरू पार्क का उद्घाटन 7 अप्रैल 1972 को मध्यप्रदेश के पुर्व मुख्यमंत्री माननीयश्री प्रकाश चन्द्र सेठी ने किया था.यह पार्क और इसके आसपास का पुरा ऐरिया नेहरू पार्क के नाम से ही जाना जाता हैं.

Neharu park hoshangabad
Neharu park

नेहरू पार्क मुख्य मार्ग पर ही मौजूद है जिसके सामने फुटपाथ पर आपको कई फल-सब्जी और खाने-पीने कि कई दुकाने देखने को मिलती हैं.पार्क का निर्माण मुख्य रूप से स्थानिया लोगों और पर्यटकों के कुछ देर घूमने फिरने व आराम से अपना समय गुजारने के लिए किया गया है इसलिए यहां पर आपको अक्सर लोग अपने बच्चों,परिवार व दोस्तों के साथ घूमते-फिरते और मनोरंजन करते हुए नजर आते हैं.

मैंने भी जब पार्क में अन्दर प्रवेश किया तो यहां कि हरियाली और साफ सुथरा वातावरण देखकर पार्क को घूमने लगा जहां पर मैंने कई बच्चों को पार्क के झूलों पर झूलते हुए व मस्ती करते देखा तो कई बड़े लोग भी आपस में हंसी मजाक कर रहे थे तो कुछ लड़के एक दूसरे के डांस करते हुए विडियो बना रहे थे.

पार्क में घूमने फिरने और देखने के लिए वैसे तो 7 फिट ऊंचे पानी के फव्वारें,झूले और गोलाकार बैठक चोपाल जैसी कई अच्छी चीजें हैं लेकिन इन सभी के अलावा मेरा सबसे ध्यान बैठक चोपाल के निकट गार्डन में स्थापित भगवान बौद्ध कि प्रतिमा पर गया जो दूर से ही नजर आ रही थी.गार्डन में 2 फिट ऊंचे पत्थर पर बनी इस प्रतिमा में भगवान बौद्ध अपने दोनों हाथों को कोद में लेकर आखें बंद कर ध्यान कि मुद्रा में नजर आते है जिसे देखकर आपको उत्तर प्रदेश के गयाजी में 80 फिट ऊँची बौद्ध कि प्रतिमा कि याद आ सकती हैं.

नेहरू पार्क में बनी इस बौद्ध कि प्रतिमा के पीछे कि दीवार पर एक खूबसूरत पेंटिग कि गई है जिसमे पेड़-पौधो पर बैठे हुए पक्षी और सूर्यअस्थ का सुंदर नजारा नजर आता हैं जिसकी वजह से बौद्ध भगवान कि मुर्ति और भी अधिक सुंदर दिखाई पड़ती हैं.

नेहरू पार्क जाने का समय​:

प्रतिदिन जा सकते है

नेहरू पार्क खुलने का समय​:

सुबह 06:00 से 09:00 तक इसके बाद शाम 04:00 से रात्रि 07:00 तक​

पार्क का पता:

नेहरू पार्क रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर कि दूरी पर मीनाक्षी टाॅकेज़ के निकट​

नेहरू पार्क के निकटतम मशहूर जगह​:

इंदिरा गाँधी चौक और सैठानी घाट​

नेहरू पार्क में जाने की टिकट​:

Free

नेहरू पार्क घूमने में कितना समय लगता है:

1 से 1½ घंटा

नेहरू पार्क क्यों जाएं:

सुबह व्यायायाम करने के लिए या दिनभर आफिस या घर के काम से हो रही थकावट दूर करने के लिए एक अच्छी जगह हैं.इसके अलावा यहां जगह बच्चों के मनोरंजन के लिए भी बेहद अच्छी हैं.

नेहरू पार्क जाने वाले लोगों के लिए जरूरी सुझाव​:

  • भगवान बौद्ध कि प्रतिमा के दर्शन जरूर करें.
  • स्वच्छता ही पार्क कि खास पहचान है इसलिए यहां पर किसी भी तरह कि गंदगी न करें.
  • नेहरू पार्क कि तरफ टैक्सी काफि कम देखने को मिलती है इसलिए जहां तक हो सकें अपने पर्सनल वाहन से ही जाएं.
  • पार्क के बाहर ही पानीपुरी के ठेला है जहां कि जहां कि पानीपुरी काफि स्वदिष्ट है इसे जरूर खायें.
  • यहां पर पार्किंग कि पर्याप्त जगह नहीं है इसलिए हो सके तो यहां पर आवागमन के लिए कार या टैक्सी का उपयोग करें.

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4.आदमगढ़ की पहाड़िया| Adamgarh Rock Shelter In Hindi

सैठानी घाट और नेहरू पार्क घूमने के बाद अब मुझे होशंगाबाद के एक मशहूर दर्शनिय स्थल जाना था जिसे आदमगढ़ कि पहाड़ियों के नाम से जाना जाता हैं.मैंने आदमगढ़ कि पहाड़ियों के बारे में पहले कई लोगों से सुन चुका था कि यह काफि अच्छी जगह है लेकिन शायद होशंगाबाद के स्थानिय लोगों को इसके बारे में कुछ कम जानकारी है इसलिए जब मैं नेहरू पार्क से आदमगढ़ पहाड़ी घूमने निकला तो रास्ते में कुछ लोगों के इसके बारे में पता ही नहीं था तो कुछ लोगों ने मुझे यहां जाने का रास्ता भी बताया था.

Adamgarh hill
Adamgarh hill

नेहरू पार्क के नजदीक ही मैंने एक लड़के से यहां के बारे में पुच्छा तो उसने कहां कि भैया वह तो 7-8 किलोमीटर है तो वही एक पानीपुरी बेचने वाले व्यक्ति ने बताया कि भाई साहब आदमगढ़ की पहाड़ी 2-3 किलोमीटर कि दूरी पर हैं.इसके बाद मैं अन्य लोगों के पता पूछते हुए करीब 15 मिनट के दौरान मैं यहा पर पहुंच चुका था.आदमगढ़ कि पहाड़ी को कई लोग हनुमान धाम कि पहाड़ियों के नाम से भी जानते है क्योंकि इस पहाड़ी के निकट ही हनुमान जी का एक पूराना मंदिर है जिसमे उनकी पत्थर से निर्मित एक प्रतिमा विराजमान हैं.

आदमगढ़ की पहाड़िया होशंगाबाद से 3 किलोमीटर कि दूरी पर इटारसी रोड़ पर दक्षिण में हैं.आदमगढ़ की यह पहाड़ी विंध्याचल पर्वत माला में मौजूद है जो खास कर पुराने शैल चित्र के लिए जानी जाती हैं.जैसे ही मैंने इसके प्रवेश द्वार से अन्दर पहुंचा तो मैने देखा कि एक पत्थर से बनी चतुर्भुज शिला पर इस इस पहाड़ी से संबंधित जानकारी लिखी हुई हैं जिसे पढ़ने के बाद मुझे यहां बाद इसके बारे में काफि कुछ जानकारी प्राप्त हुई.

इसके बाद मैंने नजदीक बने टिकट घर से 25 रूपये का टिकट लिया और इस पहाड़ी को घूमने के लिए निकल गया जिसे घूमने के दौरान मुझे इसके इतिहास से जुड़ी कई जानकारियां देखने और पढ़ने को मिली थी.इस पहाड़ी में प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के शैल चित्र मौजूद हैं.साल 1960 के दौरान यहां से कई अधिक मात्रा में पाषाण काल के बड़े और छोटे उपकरण प्राप्त हुए थे.

इन उपकरणों को देखकर ऐसा लगता है कि संभवत इस जगह का उपयोग पूराने समय में पत्थर से बने उपकरणों के निर्माण के लिए किया जाता रहा होगा.आदमगढ़ कि पहाड़ी में 18 शैल चित्र देखने को मिलते है जो उस समय आदिमानवों के द्वारा बनाएं ग​ए है जो कि उनकी शैली,कौशल​,आवश्यकता और उनके परिश्रम को दर्शाते हैं.इन शैल चित्रों में आपको हाथी,हिरण​,शेर​,गाय​,जिराफ के अलावा नर्तक और वादक जैसे कई चित्र देखने को मिलते हैं.

हालांकि ये शैल चित्र बेहद पुराने हो चुके है जिसकी वजह से वर्षा और धूप कि वजह से कई शैल चित्र स्पष्ट नजर नहीं आते हैं.होशंगाबाद शहर के निकट होने कि वजह से कई युवा पर्यटक अक्सर यहां पर मौज मस्ती करने और घूमने के लिए आते रहते हैं.

इसलिए यहां पर आपको अक्सर युवाओं कि भीड़ देखने को मिलती हैं.इस खुबसूरत ऐतिहासिक जगह को पूरी तरह से घूमने में मुझे 2 से 3 घंटे का समय लग चुका था जिसकी वजह से शाम हो चली थी और इसलिए मैं भी अब अपने घर कि तरफ निकल पड़ा था.

आदमगढ़ पहाड़ी पर जाने का समय​:

साप्ताह में किसी भी दिन जा सकते हैं.

खुलने का समय​:

सुर्योंदय से सूर्यअस्थ तक​

आदमगढ़ पहाड़ी का पता:

होशंगाबाद शहर से 3 किलोमीटर कि दूरी पर दक्षिण में इटारसी रोड़ पर​

आदमगढ़ पहाड़ी का निकटतम शहर​:

होशंगाबाद 3 किलोमीटर कि दूरी पर

आदमगढ़ पहाड़ी की प्रवेश​ टिकट एंव अन्य शुल्क​​:

Note:15 वर्ष से कम आयु के लिए नि:शुल्क हैं

भारतीय नागरिक25/- रूपये प्रति व्यक्ति
विदेशी नागरिक300/- रूपये प्रति व्यक्ति
वीडियो कैमरा चार्ज25/- रूपये
आदमगढ़ पहाड़ी प्रवेश एंव अन्य शुल्क की सुची

पहाड़ी घूमने में कितना समय लगता हैं:

2 से 3 घंटे

आदमगढ़ पहाड़ी क्यों जाएं:

होशंगाबाद जिले में मौजूद यह एक मात्र ऐतिहासिक जगह है जहां पर अपको आदिमानव के द्वारा निर्मित शैल चित्र देखने को मिलते हैं जिसमे उस समय के लोगों कि श्रम शक्ति,शैली और कुशलता का पता चलता हैं.इसके अलावा यहां पर बारिश के मौसम में खूबसूरत हरियाली देखने को मिलती हैं.

पर्यटकों के लिए जरूर सुझाव​:

  • यहां पर थुकना और ध्रूमपान करना भी मना हैं.
  • इस पहाड़ी को घूमते समय इसके किनारें पर न जाएं नहीं तो दुर्घटना हो सकती हैं.
  • पहाड़ी के प्रवेश द्वार के दाएं तरफ एक पूराना हनुमान मंदिर है जिसके दर्शक जरूर करें.
  • आदमगढ़ पहाड़ी को घूमने के दौरान यहां कि किसी भी चीज को नष्ट पहुंचा अपराध कि श्रेणी में आता हैं.
  • आदमगढ़ पहाड़ी से शाम के समय सूर्यअस्त का नजारा बेहद सुंदर दिखाई देता है हो सके तो इसे जरूर देखें.
  • वैसे तो यहां पार पार्किंग के लिए काफि जगह है लेकिन वाहन को रोड़ के किनारे खड़ा करना पड़ता है इसलिए अपने वाहन का ध्यान रखें.
  • इस पहाड़ी के आसपास भोजन और नास्ते के लिए कोई होटल व ढ़ाबा नहीं है इसलिए अपनी व्यवस्था स्वंय साथ लेकर ही जाएं.
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5. पचमढ़ी

अब हम आप लोगों को होशंगाबाद में घूमने की जगह के बारे में बता रहे है उसके बिना यह आर्टिकल अधुरा हैं. जी हां क्योंकि अब हम बात कर रहे जिले के खूबसूरत पर्यटन स्थल पचमढ़ी के बारे में जिसे पहाड़ो कि रानी के नाम से जाना जाता हैं. पचमढ़ी न सिर्फ होशंगाबाद बल्कि मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा और पसंदीदा हिल स्टेशन हैं. वैसे तो यह एक छोटा सा पर्वतीय नगर है लेकिन यहां पर वे तमाम सुविधाएं है जो किसी बड़े महानगरों में मिलती हैं.

होशंगाबाद में घूमने की जगह​

पचमढ़ी पूरी तरह से सतपुड़ा पर्वत पर बसा है जिसकी वजह से यहां पर हमेशा ठंठा माहौल रहता हैं. यदि ऐतिहासिक नजरिएं से देखा जाएं तो यह जगह राजा महाराजों कि ग्रीष्मकालिन राजधानी हुआ करती हैं. क्योंकि यहां पर ऐतिहासिक काल से लोग शहरों कि भीषण गर्मी के छुटकारा पाने के लिए आया करते थे. पचमढ़ी के पर्यटन स्थल कि सबसे अच्छी बात यह भी है कि आप यहां पर वर्ष में किसी भी मौसम में आ सकते हैं. साल के बारह महीने यहां का खूबसूरती छाई रहती हैं.

गर्मी के दिनों जहां पचमढ़ी में शांत और ठंठी हवाएं चलती है तो वही बारिश और ठंठी में के दिनों में हरियाली के साथ साथ ऊचे पहाड़ो से बहते हुए विशाल झरने लोगों को अपनी और आने पर मजबूर करते हैं. पचमढ़ी में एक तरफ जहां प्रकृतिक प्रेमी के लिए खूबसूरत पहाड़ो और हरियाली देखने को मिलती हैं, तो वही यहां पर धार्मिक लोगों के लिए यहां पर भगवान शिव के कई प्राचिन मंदिर है. जिनके दर्शन मात्र से शांति और सुकून का अहसास होता हैं.

पचमढ़ी जाने का सबसे अच्छा समय​

साल में किसी भी महीने जा सकते हैं

पचमढ़ी घूमने में कितने दिन लगते है

कम से कम 3 से 4 दिन​

पचमढ़ी में घूमने की अच्छी जगह

घूपगढ़​, छोटा महादेव​, बड़ा महादेव​, रजत झरना, पांडव गुफा

पचमढ़ी का निकटतम रेलवे स्टेशन​ और बड़ा शहर​

पिपरिया 50 किलोमीटर​

पचमढ़ी कैसे जाएं?

यदि आप पचमढ़ी जाना चाहते है तो इसके लिए आपको सबसे पहले पिपरिया जाना होता हैं. पिपरिया एक बड़ा रेलवे स्टेशन है जहां पर जाने के लिए किसी भी जगह से ट्रैन मिल जाती हैं. इसके बाद पिपरिया से पचमढ़ी 50 किलोमीटर कि दूरी पर जहां जाने के लिए बस और कार सभी तरह के साथ दिन में किसी भी समय मिल जाते हैं.

6. तिलक सिंदूर

यदि होशंगाबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों की बात कि जाएं तो तिलक सिंदूर एक एक अलग ही खास बात हैं. यह एक नवोदित पर्यटन स्थल है जो इन दिनों बेहद चर्चा में हैं. होशंगबाद से 40 और इटारसी से 18 किलोमीटर की दूरी पर एक ऊंची पहाड़ी पर मौजूद यह एक धार्मिक पर्यटक स्थल है जो विशेष तौर पर भगवान शिव को समर्पित हैं. यहां पर भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है जो दर्शन योग्य हैं.

इसके निकट एक गुफा में भी शिव का वास हैं. यह जिले ही नहीं बल्कि भारत का एक मात्र मंदिर है जहां पर भगवान शिव जी की प्रतिमा पर सिंदूत चढ़ता हैं. ऐसी मान्यता है कि सिंदूर चढ़ाने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती हैं. पहाड़ी पर मौजूद मंदिर तक पहुंचने के लिए 135 सीढ़ियां चढ़कर जानी होती हैं.

यह मंदिर सतपुड़ा पर्वत के घने जंगलों में होने कि वजह से यहां का वातारण बेहद हरा भरा और खूबसूरत लगता हैं. यही वजह है कि यहां पर प्रतिदिन भक्तों का जमावड़ा रहता हैं. लेकिन महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहां कि रौनक देखते ही बनती हैं.

तिलक सिंदूर कब जाएं

कभी भी जा सकते है, लेकिन सोमवार और महाशिवरात्रि पर ज्यादा भीड़ होती हैं.

तिलक सिंदूर कैसे जाएं

होशंगाबाद और इटारसी से यहां पर जाने के लिए कार, बस और टैक्सी सभी तरह के साधन मिल जाते हैं.​

होशंगाबाद से तिलक सिंदूर कितनी दूर हैं

40 किलोमीटर की दूरी पर​

होशंगाबाद कैसे पहुंचे| How To Reach Hoshangabad:

होशंगाबाद मध्यप्रदेश के बीचों बीच में नर्मदा नदी पर बसा हुआ एक जिला होने के अलावा एक बड़ा संभाग भी है जो राज्य में व्यापार से लेकर शिक्षा और पर्यटन सभी दृष्टि से राज्य में महत्वपुर्ण है जिसकी वजह से यह आसपास के सभी बड़े शहरों से जुड़ा है जिसकी सहायता से कोई भी यहां पर आसानी से पहुंच सकता हैं.

सड़क मार्ग से होशंगाबाद कैसे जाएं:

होशंगाबाद जिला अपने आसपास के हरदा,बैतुल​,सीहोर​,रायसेन​,इंदौर​,भोपाल​,खंडवा,जबलपुर और सागर जैसे सभी जिलों व शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं.जहां पर जाने के लिए दिन में किसी भी समय पर बस और कार मिल जाती हैं.

रेल मार्ग से होशंगाबाद कैसे पहुंचे:

होशंगाबाद में रेलवे स्टेशन है जहां पर दिल्ली से मुंबई और मुबंई से दिल्ली जाने वाली कई ट्रैने रूकती हैं.इसलिए आप यहां पर भारत के किसी भी शहर से ट्रैन के द्वारा भी जा सकते हैं.

हवाई मार्ग से होशंगाबाद कैसे पहुंचे:

जिले का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट राजधानी भोपाल में जो 75 किलोमीटर कि दूरी पर हैं.भोपाल में इंटरनेशल एयरपोर्ट भी है जहां पर देश व विदेश से भी फ्लाइट आती हैं.फ्लाइट से भोपाल आने के बाद यहां से होशंगाबाद के लिए दिन में किसी भी समय पर बस और कार सभी तरह के साधान मिल जाते हैं.

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