प्राण और आंगरिक वायु क्या हैं? कैसे इनका उपयोग करें

इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है कि प्राण वायू क्या हैं और सांस लेने का सही तरीका क्या हैं.हर इंसान को जीवित रहने के लिए शुद्ध वायु की जरूरत होती है. वायु के बिना इंसान का जीवित रहना असंभव है.

लेकिन आज के समय में शुद्ध वायु का मिलना बेहद कठिन हो गया है यही वजह है कि लोगों को अक्सर कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है. वैसे तो वायु के कई प्रकार होते हैं लेकिन इंसान के उपयोग के आधार पर इसे दो भागों में बांटा गया है.

जी हां वायु दो प्रकार की होती है प्राण वायु और आंगरिक वायु. तो आइए विस्तार से जानते हैं इनके बारे में.

प्राण वायू क्या हैं-

दैनिक जीवन में हम वातावरण कैसे जो वायु अपने अंदर देते हैं उसे प्राण वायु कहा जाता है.

यह प्राणवायु बेहद शुद्ध होनी चाहिए क्योंकि इसी से इंसान जीवित रहता है.

आंगरिक वायु क्या हैं-

प्राणवायु लेने के पश्चात है जो वायु हम अपने शरीर से बाहर निकालते हैं उसे आंगरिक वायु कहा जाता है.

आंगरिक वायु हमारे शरीर में कई बीमारियों को जन्म देती है इसलिए इसका बाहर निकल जाना ही बेहतर होता है.

शरीर में वायु किन अंगों से ली जाती है

सामान्यतः सभी मनुष्य के पास वायु को ग्रहण करने के 2 तरीके होते हैं. हर व्यक्ति अपने मुंह और नाक इन दोनों इंद शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है.

क्योंकि जब हम मुंह से सांस लेते हैं तो वायु में मौजूद कई जीवाणु या धूल, मिट्टी के कण हमारे मुंह से होते हुए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं.

जिससे हमें भी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. हमारे मुंह में वायु को फिटर करने के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं है.

सांस लेने का सही तरीका क्या है-

वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसान सही इंद्री का उपयोग करके सांस लेता है तो वह हमेशा निरोग रह सकता है.

क्योंकि इंसान के शरीर में कई रोगों का जन्म उसके द्वारा सांस लेने के तरीके पर भी निर्भर करता है.

इसलिए हम आप लोगों को सांस लेने के उस सही तरीके के बारे में बता रहे हैं जिसका उपयोग करके आप अपने शरीर को स्वस्थ और निरोग बना सकते हैं.

नाक से सांस लेना-

भगवान ने मनुष्य को सांस लेने के लिए नाक दी हैं. नाक कि सबसे खास बात यह है कि ये सीधे हमारे फेफड़ों तक पहुंचती है.

इसके सिरे पर वायु को छानने के लिए कई छलनिया लगी हुई हैं जिससे वायु छनकर ही हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करती है. जब वायु इन छलनियो से होकर शरीर में जाती हैं तो उसमे न तो धूल और नहीं ही कीटाणु होते हैं.

मनुष्य की नाक में नथने होते हैं बाएं नथने से जो वायु शरीर में जाती है वह ठंडी रहती है और दाएं नथने से अंदर जाने वाली वायु गर्म हो जाती हैं.

यदि इनका आपस में सही क्रम बना रहे तो व्यक्तियों को किसी भी तरह का रोग नहीं होता है.

लंबी उम्र जीने का सही तरीका| 300 साल तक जीने का तरीका

यदि सामान्य तौर पर देखा जाए तो इंसान की आयु 200 वर्ष की होती है. लेकिन बढ़ते वायु प्रदूषण और हमारे सांस लेने के गलत तरीके की वजह से आजकल 60-70 साल की उम्र में ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.

यदि कोई व्यक्ति प्रति 2 मिनट में 20 सांस लेता है तो वह लगभग 40 से 50 वर्ष की उम्र में ही चलता बनेगा.

परंतु यदि मनुष्य 1 मिनट में 5 सांस लेने लगे तो वह 300 साल तक जीवित रह सकता है. आप लोगों ने ऐसा अक्सर सुना होगा कि कई साधु संत गुफाओं में हजारों सालों से तपस्या कर रहे हैं.

इन साधु संत के इतने समय तक जीवित रहने का यही कारण है कि वे न सिर्फ सांस कम लेते हैं बल्कि शुद्ध वायु ग्रहण करते हैं.

इसलिए हर इंसान को सांस लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए.

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